
बॉलीवुड से लेकर फेमस टीवी सीरियल्स में काम कर चुके राकेश बेदी थिएटर प्ले और लिखने पर ध्यान दे रहे हैं. फिलहाल टीवी के सीनियर कॉमिक एक्टर राकेश बेदी खुद के द्वारा लिखे गए प्ले 'पत्ते खुल गए' के लिए दिल्ली में हैं. इस शो का प्रोडक्शन राहुल भुच्चर के फेलिसिटी थिएटर ने कमानी ऑडिटोरियम में किया है. श्रीमान श्रीमती और भाबी जी घर पर हैं जैसे तमाम बड़े और मशहूर सीरियलों में नजर आने वाले राकेश बेदी ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने थिएटर को लेकर अपने प्यार, प्रेरणा और नेपोटिज्म के बारे में बात की.
कॉमेडी की तरफ रहा है हमेशा रुझान
इस इंटरव्यू के दौरान राकेश बेदी के बचपन से लेकर अपने टीवी करियर और बेटी को थिएटर में काम देने के बारे में बात की. उनसे पूछा गया कि 'स्कूल के दिनों में मोनो एक्टिंग करने से लेकर प्लेराइटर बनने तक का उनका सफर कैसा रहा है?' इस पर राकेश बेदी ने कहा, 'बहुत बढ़िया और सुखद. मैं पिछले 16-17 सालों से एक मसाज नाम का मोनो प्ले कर रहा हूं. इसे मैं दिल्ली, मुंबई, भोपाल और यहां तक कि विदेशों में भी कर चुका हूं. मोनो एक्टिंग एक अलग एक्सपीरियंस है और ये बहुत चैलेंजिंग होती है. जनता को 1-2 घंटों के लिए अपने साथ जोड़े रखना बहुत मुश्किल काम है. एक एक्टर को हमेशा चीजों पर ध्यान देना पड़ता है. कॉमेडी ने मुझे हमेशा अपनी ओर आकर्षित किया है. इसलिए मेरे हर काम में कॉमेडी जरूर होती है.'
क्यों थियेटर की तरफ रुख कर रहे हैं शानदार एक्टर?
राकेश से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि अच्छे एक्टर्स के लिए अब रोल्स नहीं लिखे जा रहे हैं? साथ ही क्या लोग थिएटर की तरफ इसलिए जा रहे हैं क्योंकि वहां उन्हें सीखने को मिलता है? इस पर उन्होंने कहा, 'ये एक्टर की अपनी चॉइस के ऊपर है. मैंने अपने समय के सभी एक्टर्स को बढ़िया काम करते देखा है. आज के समय में लोगों के पास ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे नेटफ्लिक्स, एमेजॉन आदि हैं, जिसमें लोगों को बहुत से मौके मिलते है. थिएटर की बात करें तो वहां सभी को कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है. उन्होंने कहा, "मैं हूं या कोई और थिएटर आर्टिस्ट है उनके थिएटर से जुड़े रहने का बड़ा कारण ये है कि वो हमारी स्किल्स को लगातार पॉलिश करता रहता है." राकेश ने बताया कि हम अपने हिसाब से किसी भी स्क्रिप्ट को इंप्रोवाइज करके एक दूसरे स्तर पर ले जा सकते हैं. एक एक्टर का अपने किरदार के साथ न्याय करना बहुत जरूरी है.
क्या कॉमेडी करके टाइपकास्ट होने का है पछतावा
राकेश से पूछा गया कि आप कॉमेडी करने की वजह से टाइपकास्ट हुए, क्या इस बात को लेकर कोई पछतावा है? इस पर उन्होंने कहा, 'नहीं, बिल्कुल नहीं. ह्यूमर में मेरा निजी इंट्रेस्ट है. मैं अपने लिखने में और एक्टिंग में कॉमेडी शामिल करने की कोशिश करता हूं. 'मेरा वो मतलब नहीं था' नाम का प्ले मैंने कुछ समय पहले अनुपम खेर और नीना गुप्ता के साथ किया है. वो प्ले एक अकेले आदमी के बारे में है लेकिन हमने उसे मजाकिया अंदाज में दिखाया था. हमारा नया शो 'पत्ते खुल गए' में कॉमेडी होगी. हम सभी को ये समझने की जरूरत है कि जनता काफी समझदार है और टीवी हो या थिएटर, लोगों को अच्छी कहानियां देखना पसंद आता है.
नेपोटिज्म पर बोले राकेश बेदी
राकेश से आखिर में उनकी बेटी रिद्धिमा राकेश बेदी के थिएटर आर्टिस्ट बनने के बारे में पूछा गया. उनसे पूछा गया कि 'वे नेपोटिज्म जैसे विषय के साथ कैसे डील करेंगे?' राकेश ने कहा, 'जो भी मैं करता हूं उससे मेरे आसपास के लोगों और करीबियों पर असर पड़ता है. अगर मैंने रिद्धिमा को एक चांस दिया और उन्होंने अच्छा परफॉर्म नहीं किया, तो मैं उन्हें शो से निकाल दूंगा. अंत में टैलेंट ही इंसान के अंदर जरूरी होता है. काम दिया जा सकता है लेकिन वो परफॉरमेंस पर निर्भर करता है. हम सभी की जनता के प्रति जवाबदेही है.'