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पिता के लिए आर डी बर्मन ने महज 9 साल की उम्र में बना डाली थी ट्यून

एस डी बर्मन को फुटबॉल, पान और किशोर कुमार की कंपनी से लगाव था और उन्होंने अपने बेटे की प्रतिभा को बचपन से ही पहचान लिया था. यही कारण था कि आर डी को बचपन से ही संगीत की ट्रेनिंग मिली थी. 

अपने पिता एस डी बर्मन के साथ आर डी बर्मन सोर्स पीइंटरेस्ट अपने पिता एस डी बर्मन के साथ आर डी बर्मन सोर्स पीइंटरेस्ट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2019,
  • अपडेटेड 7:14 AM IST

भारत के मशहूर संगीतकार आर डी बर्मन को देश के सर्वश्रेष्ठ म्यूज़िक कंपोज़र के तौर पर पहचान हासिल है. बर्मन को कई म्यूज़िक विशेषज्ञों और फैन्स द्वारा विलक्षण प्रतिभा का धनी माना जाता है. बेहद छोटी उम्र में म्यूजिक बनाने वाले आर डी बर्मन के पिता देश के मशहूर सिंगर और कंपोज़र थे.  एस डी बर्मन को फुटबॉल, पान और किशोर कुमार की कंपनी से लगाव था और उन्होंने अपने बेटे की प्रतिभा को बचपन से ही पहचान लिया था. यही कारण था कि आर डी को बचपन से ही संगीत की ट्रेनिंग मिली थी. बर्मन ने मुंबई में उस्ताद अली अकबर खान से सरोद की ट्रेनिंग ली थी वही समता प्रसाद से तबले की ट्रेनिंग ली थी. वे सलिल चौधरी को भी अपना गुरू मानते थे. उन्होंने अपने पिता को भी असिस्ट किया और वे उनके ऑर्केस्ट्रा में हारमोनिका बजाया करते थे.

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बर्मन का जन्म 27 जून को हुआ था. बर्मन ने पश्चिम बंगाल में अपनी पढ़ाई की थी. उनके पिता मशहूर बॉलीवुड म्यूजिक कंपोजर थे. जब राहुल देव बर्मन 9 साल के थे तो उन्होंने अपना पहला गाना कंपोज किया था. इस गाने को उनके पिता ने साल 1956 में आई फिल्म फंटूश के लिए इस्तेमाल किया था. मशहूर रेट्रो गाने 'सर जो तेरा चकराए' की ट्यून को भी बर्मन ने ही कंपोज किया था. इस ट्यून को साल 1957 में आई गुरूदत्त की फिल्म प्यासा के लिए इस्तेमाल किया गया था. हालांकि, साल 1958 में ही उन्हें फिल्मों के गानों के लिए क्रेडिट मिलने लगा था. इनमें साल 1958 में आई फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी', कागज के फूल (1959) और बंदिनी (1963) जैसी फिल्में शामिल हैं. बर्मन ने अपने पिता की हिट सॉन्ग 'है अपना दिल तो आवारा' के लिए माउथ ऑर्गन भी बजाया था.  

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1959 में बर्मन ने म्यूज़िक डायरेक्टर के तौर पर फिल्म राज साइन की थी. इस फिल्म को महान निर्देशक गुरूदत्त के असिस्टेंट निरंजन ने डायरेक्ट किया था. हालांकि, ये फिल्म कभी पूरी नहीं हो पाई थी. एक स्वतंत्र म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर बर्मन की पहली फिल्म 'छोटे नवाब' थी. इस फिल्म को कॉमेडियन महमूद ने प्रोड्यूस करने का फैसला किया था और वे एस डी बर्मन के घर पहुंचे थे. हालांकि एस डी बर्मन ने इस फिल्म को करने से मना कर दिया था. महमूद ने इस मीटिंग के दौरान राहुल को तबला बजाते देखा था और फिर उन्हें अपनी फिल्म के लिए म्यूजिक डायरेक्टर बनाया था. उन्होंने साल 1966 में तीसरी मंजिल के साथ ही अपनी पहली हिट फिल्म दी थी. इस फिल्म के गानों को भी खूब पसंद किया गया था. इन सभी गानों को मोहम्मद रफी ने गाया था. इसके बाद बर्मन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वे बॉलीवुड के बेहतरीन म्यूजिक कंपोजर साबित हुए.

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