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पेरिस तक पहुंची रीमा दास की विलेज रॉकस्टार, Cannes Festival में हुआ चयन

असम में रीमा दास की बनाई एक गरीब और साहसी बच्ची पर आधारित फिल्म 'विलेज रॉकस्टार' की कहानी उन्हें पेरिस के कान फैस्टिवल तक ले गई.

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स्वाति पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2017,
  • अपडेटेड 7:48 PM IST

असम की फिल्मकार रीमा दास की बनाई फिल्म 'विलेज रॉकस्टार' को Cannes Festival के ‘हॉन्ग-कॉन्ग गोज टू कान’ कार्यक्रम में दिखाया गया. दरअसल हर साल ‘हॉन्ग-कॉन्ग एशिया फिल्म फाइनेंस फोरम’ (एचएएफ) पूरे एशिया से 4 फिल्मों का चयन करता है, जिनकी कहानी सबसे हटकर और सबसे खास होती है. इस साल भी ऐसी ही एक कहानी का चयन किया गया है.

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'विलेज रॉकस्टार' के अलावा इस साल इस्राइल की ‘इकोस’, जापान ताइवान की ‘ओमोतेनाशी’ और वियतनाम की ‘द थर्ड वाइफ’ को भी कॅान फैस्टिवल के लिए चुना गया है.

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Cannes 2017 में रीमा दास की प्रस्तुति
रीमा दास ने प्रस्तुती से पहले अपने फिल्म के बारे में और फिल्म से जुड़ी कुछ खास पलों के बारे में बताया. उन्होनें कहा, 'गांव में अपनी पहली फिल्म की शूटिंग करते समय इस फिल्म का विचार मेरे दिमाग में आया था. मैं इन अद्भुत बच्चों से मिली और तभी से बड़े पर्दे पर इन बच्चों की कहानी दिखाने के लिए उत्साहित हो गई.

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क्या कहानी है 'विलेज रॉकस्टार' की
इस फिल्म की कहानी छाय्गओं गांव में रह रही एक 10 वर्षीय धुनू की कहानी है, जिसमें धुनू की विधवा मां अपनी जिदंगी की सारी मुश्किलों का सामना करते हुए अपनी बेटी को पालन-पोषण करती हैं. धुनू गरीब जरूर है पर वो अपनी मां की तरह साहसी भी है जिसका सपना एक संगीतकार बनना है.

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रीमा दास के लिए यह कहानी बहुत अहम रही है क्योंकि यह कहानी उसी के गावं छाय्गओं की कहानी है और इस फिल्म में धुनू का किरदार निभाने वाली लड़की भी इसी गांव से है. ‘विलेज रॉकस्टार’ के जरिए वो एक बार फिर अपनी जगह को जी पाई हैं.

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