
सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा के एकमात्र ऐसे कलाकार हैं जनकी झोली में पद्मश्री से पद्म विभूषण तक और ऑस्कर अवॉर्ड से लेकर दादासाहेब फाल्के पुरस्कार हैं. इसके अलावा 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से भी उन्हें नवाजा जा चुका है. सत्यजीत रे ने आर्ट सिनेमा को जिस अंदाज में उजागर किया कि देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने उनकी प्रतिभा का लोहा माना. उन्होंने भारतीय सिनेमा में नए-नए ट्रेंड स्थापित किए. आज उनकी पुण्यतिथी पर हम बता रहे हैं उनके द्वारा निर्देशित 5 बड़ी फिल्मों के बारे में-
1- अपू ट्रायोलॉजी- इस फिल्म को तीन भागो में बनाया गया था. पहला भाग पत्थर पंचली दूसरा भाग अपराजितो और तीसरा भाग द वर्ल्ड ऑफ अपू था. फिल्म के तीनों भागों को देशभर में काफी पसंद किया गया था. इस फिल्म से भारतीय सिनेमा के लिए अंतराष्ट्रीय कला क्षेत्र के भी दरवाजे खुल गए थे.
2- महानगर- इस फिल्म में सत्यजीत रे ने बड़ी खूबसूरती से बड़े शहरों की में रहने वाले लोगों के लिये गुजर-बसर करना कितना मुश्किल होता है. साथ ही ये फिल्म ये भी बताती है कि किस तरह से बड़े शहर में रहने वाली महिलाएं ऑफिस में काम करने के साथ घर के काम भी बड़ी सहजता से करने में सक्षम होती हैं.
3- चारूलता- इस फिल्म को अपने समय के आगे की फिल्म माना जाता है. फिल्म में महिला के व्यभिचार और अकेलेपन को बहुत सहजता से बताती है. फिल्म में एक महिला के अकेलेपन को दिकाया गया है. फिल्म की कहानी ये है कि एक महिला अपने मेंटर से प्रेम में पड़ जाती है और मेंटर उनके पति का चचेरा भाई होता है.
4- शतरंज के खिलाड़ी- ये फिल्म हिंदी भाषा में बनाई गई सत्यजीत दा की एकलौती फिल्म थी. फिल्म की कहानी अवध के आखरी मुगल वाजिद अली शाह और उनके शासन के पतन पर फिल्माई गई थी. फिल्म का केंद्र संवेदनशील ना रख कर हल्के-फुल्के अंदाज में रखा गया. फिल्म में उनके मंत्रियों की कहानी बताई गई जिनको शतरंज खेलने की जिद रहती है और वो इसे आनंदित हो कर खेलने के लिए महफूज जगाहों की तलाश करते रहते हैं. फिल्म में मुख्य किरदार अमजद खान, संजीव कुमार और सहीद जाफरी ने निभाया था.
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5- आगुंतक - ये फिल्म सत्यजीत दा कि आखरी फीचर फिल्म थी. फिल्म में उत्पल दत्त ने अभिनय किया था. फिल्म की स्क्रिप्ट, डायलॉग और सीन्स बहुत ही शानदार थे. अपने बेहतरीन अभिनय से उत्पल दत्त ने भी फिल्म में चार चांद लगा दिए थे.
हंसा कोरंगा