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जब लता मंगेशकर से नाराज हो गए थे एसडी बर्मन, ऐसे हुई थी सुलह

संगीतकार एस डी बर्मन ने बर्थडे पर बता रहे हैं कुछ किस्से जब साथी कलाकारों के साथ हो गई थी उनकी अनबन. किसी से तो हुई सुलह मगर किसी से ताउम्र बिगड़े रहे रिश्ते.

बेटे आर डी बर्मन के साथ एस डी बर्मन बेटे आर डी बर्मन के साथ एस डी बर्मन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 7:53 AM IST

एस डी बर्मन फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे संगीतकार के रूप में जानें जाते हैं जिन्होंने संगीत की गरिमा को हमेशा बनाए रखा. उन्होंने एक्सपेरिमेंट से कभी परहेज नहीं किया मगर इसी के साथ शास्त्रीय संगीत की गरिमा को भी बनाए रखा. यही वजह है कि उनके संगीत में एक गहराई नजर आती है जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है. संगीत की दुनिया का ये महान संगीतकार भी कॉन्ट्रोवर्सी के घेरे में आया. और कॉन्ट्रोवर्सी भी किसके साथ, सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर के साथ. 1 अक्टूबर 1906 को जन्में बर्मन दा के बर्थडे पर बता रहे हैं वो किस्सा जब हो गई थी उनमें और लता मंगेशकर में अनबन. इसके अलावा साहिर लुधियानवी के साथ उनकी बात इस हद तक बिगड़ गई की दोनों ने कभी साथ में काम ही नहीं किया.

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प्यासा' फ़िल्म के बनने के दौरान एसडी बर्मन की साहिर लुधियानवी से तक़रार हो गई. मुद्दा था कि नग़मे में ज़्यादा रचनात्मकता है या संगीत में. बीबीसी को दिए गए इंटरव्यू में बर्मन दा पर किताब लिखने वाली लेखिका सत्या सरन ने ये किस्सा शेयर किया था. उनके मुताबिक, मामला इस हद तक बढ़ा कि साहिर, सचिनदेव बर्मन से एक रुपया ज़्यादा पारिश्रमिक चाहते थे. साहिर की दलील ये थी कि एसडी के संगीत की लोकप्रियता में उनका बराबर का हाथ था. सचिनदेव बर्मन ने साहिर की शर्त को मानने से इंकार कर दिया और फिर दोनों ने कभी साथ काम नहीं किया. दोनों ही अपनी अपनी फील्ड के माहिर थे.

सिर्फ साहिर ही नहीं बल्कि लता मंगेशकर के साथ भी सचिनदेव बर्मन की अनबन हो गई थी. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में लता ने ख़ुद बताया था, "जब मैंने 'पग ठुमक चलत' गीत रिकॉर्ड किया तो दादा बहुत खुश हुए और इसे ओके कर दिया. एक बार जब संगीतकार किसी गीत को ओके कर देता है तो रिकॉर्डिंग दोबारा नहीं की जाती है." बता दें कि ये गाना साल 1958 की फिल्म सितारों से आगे का था.

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लता आगे कहती हैं, "लेकिन बर्मन परफेक्शनिस्ट थे. उन्होंने मुझे फोन किया कि वो इस गीत की दोबारा रिकॉर्डिग करना चाहते हैं. मैं चूंकि बाहर जा रही थी, इस लिए मैंने रिकॉर्डिंग करने से मना कर दिया. बर्मन इस पर नाराज हो गए. लेकिन कलाकारों के बीच इस तरह की नोकझोंक होती रहती है."

मगर दोनों की ये अनबन कुछ सालों के बाद ही दूर हो गई थी दरअसल 1962 में जब राहुल देव बर्मन अपनी फिल्म 'छोटे नवाब' में संगीत दे रहे थे तो उन्होंने अपने पिता सचिन और लता के बीच सुलह कराने में अहम रोल प्ले किया था. उन्होंने अपने पिता से कहा कि संगीत निर्देशक के तौर पर अपनी पहली फ़िल्म में मैं लता दीदी से गाना ज़रूर गवाऊंगा. लता ने न सिर्फ़ छोटे नवाब के लिये गाया बल्कि सचिनदेव बर्मन की फ़िल्म बंदिनी में जब उन्होंने गुलज़ार के शब्दों... मोरा गोरा अंग लइ ले को अपनी आवाज़ दी. गाना आज भी लोगों के बीच काफी पॉपुलर है.

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