Advertisement

जायरा वसीम पर आलिया की मां- अल्लाह चाहेगा कि तुम वो करो जो तुम्हें पसंद है

आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान ने जायरा वसीम के बॉलीवुड छोड़ने के फैसले पर कहा है कि अल्लाह चाहेगा कि तुम वो करो जो तुम्हें पसंद है.

सोनी राजदान सोनी राजदान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 4:51 PM IST

दंगल गर्ल जायरा वसीम के बॉलीवुड छोड़ने पर बॉलीवुड के तमाम दिग्गजों का रिएक्शन अब तक आ चुका है. अब आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान ने भी जायरा के बॉलीवुड छोड़ने के फैसले पर बयान दिया है. सोनी राजदान ने कहा कि अल्लाह चाहेगा कि तुम वो करो जो तुम्हें पसंद है. मालूम हो कि जायरा ने ये कहते हुए बॉलीवुड को अलविदा कह दिया कि वह अल्लाह के रास्ते पर चलना चाहती हैं.

Advertisement

आध्यात्मिक रास्ते पर चलने के लिए अपने शानदार करियर को छोड़ देने के उनके फैसले की कई लोग निंदा कर रहे हैं और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उनका समर्थन कर रहे हैं. सोनी राजदान ने ट्वीट में लिखा, "मैं उम्मीद करूंगी कि वह इतनी समझदार हो जाए कि इस बात को समझ पाए कि आपको वो करना चाहिए जो आपको पसंद है, अल्लाह आपसे यही चाहता है."

सोनी ने लिखा, "अभिनय और जितनी भी रचनात्मक कलाओं में कुछ भी ऐसा नहीं है जो आपको उस रास्ते पर चलने से रोकता है. किसी इंसान को तकलीफ या खुशी महसूस कराना और किसी चीज से जोड़ देना, इससे ज्यादा खूबसूरत पेशा क्या हो सकता है."

सोनी ने कहा, "ये सब कहते हुए भी मैं उसके फैसले का सम्मान करती हूं क्योंकि ये काम एक बड़ी आबादी को खुशी देता है और कुछ लोगों को डराता भी है. जायरा तुम अभी बहुत छोटी हो और मैं तुम्हें बता दूं कि सिर्फ चार साल के बाद तुम्हारे विचार बदल जाएंगे... हम खुली बाहों से तुम्हारा स्वागत करेंगे प्यारी बच्ची, यदि ऐसा होता है." जायरा ने साल 2016 में सुपरस्टार आमिर खान की फिल्म दंगल से बॉलीवुड डेब्यू किया था.रंगोली चंदेल ने किया जायरा का सपोर्ट:

एक्ट्रेस कंगना रनौत की बहन रंगोली चंदेल ने जायरा के फैसले का सपोर्ट किया है. रंगोली ने लिखा, "लोगों को जायरा को घेरना बंद करके उसके भीतर के अंतर्द्वंद्व को समझना चाहिए. एक बच्चे को क्या करना चाहिए अगर उसका मजहब उसे नाचने, गाने और जिंदगी के वास्तविक अर्थ को परिलक्षित करने से रोकता है? उसे बुली करने की बजाए हमें उसके कन्फ्यूजन को समझना चाहिए."

Advertisement

रंगोली ने लिखा, "हिंदुओं में भक्ति खास तौर से भक्ति गीतों, नृत्यों से परिपूर्ण है. कत्थक मंदिरों में किया जाने वाला नृत्य था और मुगलों में इसे दरबारों में ले आया गया. हमें ये बात समझनी चाहिए कि हिंदुओं में हमें अपनी पसंद का भगवान चुनना होता है, हम अपनी पसंद वाले को देवता बना सकते हैं और इसे इष्ट देव कहा गया है, यानि निजी पसंद के देवता. आज के वक्त और उम्र में हमें अपनी पसंद के धर्म को पर्सनलाइज करना चाहिए न कि उसका अनुसरण करना चाहिए जिसे पिछले हजार सालों में स्थापित किया गया है."

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement