
स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 के क्लास रूम सिनेमाघरों में लग चुके हैं. फिल्म में अनन्या पांडे, तारा सुतारिया का डेब्यू, टाइगर श्राफ का लीड रोल है. फिल्म की कहानी इन तीनों की है लेकिन ये फिल्म कैसी है, इसके लिए करण जौहर की दुनिया को समझना बहुत जरूरी है. क्योंकि ये करण जौहर के प्रोडक्शन से निकली एक काल्पनिक कहानी है. जिसका वास्तविक जीवन से कोई लेनादेना नहीं है.
फिल्म की कहानी शुरू होती है देहरादून के एक कॉमन बॉय रोहन (टाइगर श्रॉफ) से, जो अपनी गर्लफ्रेंड मृदुला (तारा सुतारिया) से सच्चे आशिकों वाली मोहब्बत करता है. मृदुला एक ऐसी लड़की है जो हाई सोसाइटी और बड़े सपनों के पीछे भाग रही है. कहने को बचपन से उसे रोहन से प्यार है, लेकिन सपनों के आगे वो रोहन को भूलने में वक्त नहीं लगाती. मृदुला को अपना नाम भी देसी लगता है. इसलिए वो इसे बदलकर मिया कर देती है. मिया अमीर बाप की बेटी है इसलिए वो पढ़ती है अमीरों के कॉलेज सेंट टेरेसा में. उसके प्यार में रोहन भी अपना कॉलेज छोड़कर सेंट टेरेसा कॉलेज में एडमिशन ले लेता है, लेकिन पैसों से नहीं स्पोर्ट्स कोटे में.
यहां दोनों की मुलाकात होती है सेंट टेरेसा कॉलेज के ट्रस्टी के दो बच्चों और कॉलेज के स्टार्स श्रेया (अनन्या पांडे) और मानव (आदित्य सील) से. श्रेया और मानव से पहली मुलाकात में मिया तो मानव की दीवानी हो जाती है लेकिन रोहन पर श्रेया का कोई खास असर नहीं होता है. कॉलेज के पहले दिन से ही रोहन और अनन्या के बीच टशनबाजी शुरू हो जाती है. कहानी की इस शुरुआत के बाद कॉलेज में डांस कॉम्पटीशन होता है.
मिया और श्रेया दोनों को कॉम्पटीशन जीतना है. ऐसे में श्रेया का जोड़ीदार बनता है उसका भाई और मिया को जीत दिलाने के लिए उसका जोड़ीदार बनता है रोहन. कॉम्पटीशन में श्रेया और मानव की टीम जीत जाती है. लेकिन इस बीच रोहन की गर्लफ्रेंड मिया उसे छोड़कर मानव के पास चली जाती है. रोहन और मानव के बीच बहस होती है और रोहन को ट्रस्टी के बेटे पर हाथ उठाने की वजह से निकाल दिया जाता है. कॉलेज से निकाले जाने के बाद मानव उसे मारता है और लूजर ऑफ द ईयर का खिताब दे देता है.
कहानी में ट्रिस्ट आता है और श्रेया अपनी टशनबाजी भुलाकर रोहन की गर्लफ्रेंड बन जाती है. लेकिन रोहन को अब जीतना है स्टूडेंट ऑफ द ईयर का अवॉर्ड, कॉलेज से निकाले जाने पर उसने मानव को इसका चैलेंज भी किया था. अब शुरू होता है स्टूडेंट ऑफ द ईयर की ट्रॉफी जीतने की जंग. ये जंग होती है 8 कॉलेजों के बीच. दो साल से ये अवॉर्ड मानव का कॉलेज सेंट टेरेसा जीत रहा था. वहीं पिशोरीलाल चमनदास कॉलेज जीतना तो दूर हमेशा 8वें नंबर पर रहा है. खिताब की जंग ही फिल्म का क्लाइमेक्स है.
एक्टिंग के मामले में फिल्म को जज करना गलत है, क्योंकि किसी किरदार में नया कुछ भी नहीं है. पूरी फिल्म में टाइगर श्रॉफ स्टूडेंट कम सुपरहीरो ज्यादा लगते हैं. जिसे खाली सड़क पार करनी हो तो वो वहां भी फ्लिप मार कर पार करेगा. डांस और एक्शन टाइगर ने फिल्म में अपने हुनर के मुताबिक दिखाया है. कहानी का पूरा बोझ टाइगर के कंधो पर है ये भी साफ नजर आता है. या यूं कहें टाइगर के हिसाब से कहानी के डांस स्किल और एक्शन को देखकर ही कहानी लिखी गई है.
फिल्म में तारा सुतारिया होकर भी नहीं हैं. उनके आगे अनन्या पांडे अपनें कई सीन में कॉमेडी और ड्रामा दोनों बेहतर करती हैं. भले ही फिल्म के पोस्टर में तारा को जगह दी गई है लेकिन उनसे ज्यादा बड़ा रोल है आदित्य सील का. फिल्म में उन्हें सीन ज्यादा मिले हैं. फिल्म के बाकी किरदारों में समीर सोनी और मनोज पहवा ने रोल के हिसाब से ठीक अदाकारी की है. लेकिन सरप्राइज पैकेज में हैं हॉलीवुड स्टार विल स्मिथ. जो बस एक गाने में दो स्टेप्स करके चले जाते हैं. दूसरी गुल पनाग जो लंबे वक्त बाद एक छोटे से रोल में हैं.
डायलॉग्स और गाने
पहली फिल्म से तुलना करें तो उसके गाने ज्यादा बेहतर हैं. नए पैकेज में बेमतलब के बेसुरे गाने और डायलॉग के नाम पर सूखा है. पूरी फिल्म देखने के बाद एक भी डायलॉग याद नहीं रहा जाता.
डायरेक्शन
पुनीत मल्होत्रा ने तीसरी बार डायरेक्शन का जिम्मा संभाला है. फुल मसाला मूवी बनने के चक्कर में वो भूल गए कि फिल्म का डायरेक्शन क्या होगा. सच तो ये है कि डायरेक्शन के मामले में ये पुनीत की हैट्रिक लग गई है. इसके पहले वो दो फ्लॉप फिल्में बना चुके हैं.
टाइगर श्रॉफ के डाइहार्ट फैन हैं और लेटेस्ट फैशन ट्रेंड देखना चाहते हैं तो ये फिल्म आपको भले पसंद आएगी. लेकिन किसी शानदार रोमांटिक लव स्टोरी को देखना चाहते हैं तो ये फिल्म पूरी तरह से फेल है.