
विद्युत जामवाल की फिल्म जंगली बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही है. अपने एक्शन सीक्वेंस के लिए पहचाने जाने वाले विद्युत बिना किसी गॉडफादर के अपने दम पर बॉलीवुड जैसी इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाने में कामयाब रहे हैं और इसके पीछे उनकी जिंदगी में एक खास चीज है जो उन्हें कई मायनों में दूसरे सितारों से अलग बनाती है.
विद्युत जामवाल कलारीपयात्तु मार्शल आर्ट्स में निपुण हैं. वे इसे तीन साल की उम्र से सीख रहे हैं और उन्हें दुनिया के टॉप 6 मार्शल आर्ट्स एक्सपर्ट के तौर पर जाना जाता है. वह अपनी हर फिल्म के लिए वे अपने सभी स्टंट्स खुद परफॉर्म करते हैं और हर खतरनाक स्टंट को खुद ही अंजाम देते हैं. कलारी का मतलब तमिल और मलयालम भाषाम में बैटलफील्ड होता है यानि रणभूमि वहीं पयात्तु का मतलब प्रशिक्षित होना. जब इन शब्दों को मिलाया जाता है तो रणभूमि के लिए तैयार होना. इसे दुनिया का सबसे प्राचीन मार्शल आर्ट्स विधा के तौर पर भी शुमार किया जाता है.
इसकी शुरुआत केरल में एक यूनिक मार्शल आर्ट स्टायल के तौर पर हुई थी. उस दौर में सभी वॉरियर्स को रेग्लुर अवसर पर मिलिट्री ट्रेनिंग लेनी होती थी यही कारण है कि इस प्राचीन लड़ने की तकनीक को रणभूमि पर सर्वाइव करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये सभी वॉरियर्स हर जात और धर्म से ताल्लुक रखते थे. कल्लारीपयत्तु को मार्शल आर्ट्स की सबसे प्रमुख विधा में शुमार किया जाता है. कल्लारीपयत्तु की तीन प्रमुख विधा हैं जिनमें अटैक और डिफेंस की तकनीक सिखाई जाती है.
इससे शरीर में स्फूर्ति बढ़ती है और इंसान की रिफलेक्स एक्शन्स और लचीलेपन में काफी सुधार होता है. इसे खास तौर पर इसलिए भी इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इससे अंदरुनी शक्ति में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होती है. इसके अलावा इस मार्शल आर्ट्स विधा से इंसान काफी अपने अटैक और डिफेंस में काफी फास्ट हो जाता है और शरीर में आलस्य अपने आप कम होता चला जाता है. इस तकनीक के द्वारा ध्यान लगाने की क्षमता में भी विकास होता है और ये विधा स्ट्रेस में भी काफी कारगर है और इससे प्रेजेंस ऑफ माइंड भी काफी बेहतरीन होता है. मार्शल आर्ट की ये विधा पिछले कुछ सालों में काफी लोकप्रिय हुई है क्योंकि इसमें फिजिकल के साथ ही साथ मानसिक क्षमता में भी विकास होता है.