
बॉलीवुड के दिग्गज और हैंडसम अभिनेता विनोद खन्ना का 6 अक्टूबर को जन्मदिन है. आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपनी फिल्मों के जरिए वह सदा अमर रहेंगे. उनका ब्लैडर कैंसर की वजह से निधन हो गया था. उनके निधन से पहले उनकी एक फोटो इंटरनेट पर काफी वायरल हुई थी. जिसने सभी को सकते में डाल दिया था.
उन्होंने 1968 में आई फिल्म 'मन का मीत' से फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. अपने करियर में उन्होंने करीब 150 फिल्मों में काम किया. फिल्म 'कुर्बानी' के लिए 1981 में उन्हें बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था. 1999 में वो लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजे गए थे. वो भाजपा से जुड़े और 1999 में चुनाव जीतने के बाद उन्हें पर्यटन, विदेश राज्यमंत्री जैसे पद मिले.
एक जमाने में बॉलीवुड के सबसे हैंडसम एक्टर कहे जाने वाले विनोद खन्ना की यह हालत देखकर सभी हैरान हो गए थे. फिल्म इंडस्ट्री से लेकर उनके फैंस उन्हें इस हालत में देखकर असमंजस में पड़ गए थे. फोटो में वह काफी बीमार और दुबले-पतले दिख रहे थे. उन्हें शरीर में पानी की कमी की वजह से अस्पताल में दाखिल किया गया था.
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विनोद खन्ना की निजी जिंदगी हमेशा सुर्खियों में रही है. चाहे वह घर छोड़कर ओशो की शरण में जाना हो या अपने से 16 साल छोटी कविता से दूसरी शादी करना हो. उन्होंने 1971 में अपनी बचपन की दोस्त गीतांजलि से पहली शादी की थी. उनके दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं. विनोद की शादीशुदा जिंदगी में तब भूचाल आया जब उन्होंने परिवार को छोड़कर संन्यास लेने का फैसला किया.
वह परिवार को छोड़कर वह अपने आध्यात्मिक गुरु ओशो की शरण में चले गए. वहां आश्रम में इस सुपरस्टार ने बर्तन धोने और माली का काम किया. विनोद के अचानक इस तरह से चले जाने के कारण उनकी पत्नी गीतांजली बहुत नाराज हुईं.
यूं एकदम परिवार को छोड़ संन्यास लेने के चलते गीतांजलि ने तलाक लेने का फैसला लिया. जिसके बाद विनोद की मुलाकात कविता से हुई. एक साल की मेल मुलाकात के बाद विनोद ने एक और चौंकाने वाला ऐलान किया कि वो अपने से 16 साल छोटी कविता से शादी करने जा रहे हैं. 1990 में विनोद ने कविता से शादी की. दोनों के एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा हैं.
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फिल्मों के प्रति अपने प्यार को वह ज्यादा समय के लिए रोक ना सकें. उन्होंने 1987 में 'इंसाफ' फिल्म से वापसी की. 4-5 साल तक हीरो बनने के बाद उन्होंने धीरे-धीरे चरित्र भूमिकाओं की ओर रुख किया. वैसे कहा जाता है कि अगर विनोद खन्ना ओशो के आश्रम न जाते तो आने वाले वक्त में वह अमिताभ बच्चन के स्टारडम को फीका कर देते.