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देखने गया था सनी लियोन की फिल्म 'बेईमान लव' लेकिन...

फिल्मप्रेमी और समीक्षक होने के कारण मैं सनी लियोन की 'बेईमान लव' देखने थिएटर पहुंचा, आइए आपको ऐड की तरह 'Before' और 'After' वाली दास्तां सुनाता हूं...

सनी लियोन सनी लियोन
स्वाति गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 12:21 PM IST

इस हफ्ते एक से बढ़कर एक फिल्मों जैसे 'सात उचक्के', 'इन्फर्नो', 'अन्ना', 'लव डे' के बीच बॉलीवुड की बेबी डॉल सनी लियोन की फिल्म 'बेईमान लव' भी रिलीज हुई. ट्रेलर और गाने तो निराशाजनक थे लेकिन फिल्मप्रेमी और समीक्षक होने के कारण मैं 'बेईमान लव' भी देखने थिएटर पहुंचा, आइए आपको ऐड की तरह 'Before' और 'After' वाली दास्तां सुनाता हूं...

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फिल्म देखने से पहले:
थिएटर तक जाने से पहले मेरे जहन में था कि इस फिल्म में भी 2-3 स्पेशल डांस नंबर (जिन्हें आइटम सॉन्ग भी कुछ लोग कहते हैं) होंगे. कुछ इंटिमेट सीन्स होंगे और सनी लियोन थोड़ी और बेहतर एक्टिंग करती हुई नजर आएंगी. इंटरवल तक कहानी का सस्पेंस बरकरार रहेगा और उसके बाद शायद बेहतर क्लाइमेक्स मिले और अंततः एक अच्छी फिल्म देखने को मिल जाए.

फिल्म के दौरान:
जैसे ही फिल्म की शुरुआत होती है झटके से एक स्पेशल डांस नंबर चलने लगता है, जिसमें सनी लियोन अपनी स्टाइल में परफॉर्म करती दिखाई देती हैं. उसके बाद अचानक कुछ बिजनेस रिलेटेड सीन्स, कुछ प्यार की चाह वाले सीन्स, तो कुछ टिपिकल बेड सीक्वेंस सामने नजर आते हैं, और मैं सोचता रहता हूं कि कहानी कब शुरू होगी. इसी बीच स्क्रीन पर 'इंटरमिशन' लिखा हुआ नजर आता है. मैंने बाहर निकालकर यही सोच रहा था कि कहानी शायद सेकेंड हाफ में मिलेगी. खैर इंटरवल के बाद एक बार फिर से फोर्सफुल सीन्स, डायलॉग्स, कुछ घिसे पिटे इंटिमेट सीन्स और आखिरकार फिल्म का खत्म हो जाना.

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फिल्म देखने के बाद:
लगभग दो घंटे की फिल्म देखने के बाद जब मैं थिएटर से बाहर आया तो मेरे जहन में एक ही सवाल चल रहा था कि आखिरकार ऐसी फिल्में किसके लिए बनाई जाती हैं? फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं था जो कि नया या अलग रहा हो. ना ही कोई बहुत अद्भुत इंटिमेट सीन्स, ना ही जबरदस्त गाने, और ना ही अच्छी कहानी. आखिर किस जल्दीबाजी में यह फिल्म बनायी गयी है. दर्शक इसे क्यों देखने आएंगे? सनी लियोन के नाम पर कुछ लोग थिएटर तक जा सकते हैं, लेकिन उन्हें भी निराशा ही मिलेगी. इससे कहीं बेहतर सनी की 'लीला' और 'रागिनी एमएमएस 2' फिल्में थी. फिल्म के बाकी किरदार जैसे रजनीश दुग्गल, राजीव वर्मा भी कोई बड़ा प्रभाव नहीं छोड़ सके.

आखिरकार फिल्म का आगाज और अंजाम एक सा था और मुझे लगा फिल्म में लव बेईमान नहीं बल्कि मेरे टिकट के पैसों के साथ बेईमानी हुई है. तो ये तो थी मेरी दास्तां, बाकी आप खुद तय कर सकते हैं कि यह फिल्म आपको देखनी है या नहीं क्योंकि 'मर्जी है आपकी, आखिर पैसा है आपका.'

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