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सनी देओल बोले- फिल्म बनाने का काम छिछोरापन नहीं होता

यमला पगला दीवाना फिर से में धर्मेंद्र और उनके बेटे सनी और बॉबी देओल की जोड़ी नजर आने वाली है. ये फिल्म 31 अगस्त को रिलीज होगी. इस सि‍लसिले में सनी देओल ने 'आज तक' से खास बातचीत की.

यमला पगला दीवाना फिर से यमला पगला दीवाना फिर से
महेन्द्र गुप्ता
  • ,
  • 22 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST

धर्मेंद्र व उनके बेटे सनी और बॉबी देओल की जोड़ी 'यमला पगला दीवाना फिर से' के जरिए परदे पर लौट रही है. ये फिल्म 31 अगस्त को रिलीज होगी. सनी देओल ने फिल्म और अपने करियर से जुड़े कई सवालों के जवाब 'आज तक' को दिए.

यमला पगला दीवाना सीरीज की तीसरी फिल्म बनाने का प्रेशर था?

देखिये काम के वक्त प्रेशर तो होता ही है, लेकिन हमारा परिवार जिस तरह की फिल्में करता है , उसमें सही बात लोगों तक पहुंचाई जाए, बस ये ही कोशिश रहती है. हमारे विषय लोगों के दिल को छूते हैं .

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आप इस फिल्म में पंजाबी होकर गुजरात का सफर करते हैं?

पंजाबी और गुजराती कल्चर की वजह से नया रंग आएगा, वैसी ही फिल्म बनाने का प्रयास है. इस फिल्म में मैं और बॉबी साथ हैं, पापा स्टोरी में थोड़े अलग हैं .

ट्रेलर का रिस्पॉन्स कैसा आया ?

बहुत ही बढ़िया आया है , सब लोगों को बहुत पसंद आया है, लोगों को अब फिल्म का इंतजार है .

आजकल काफी इमोशनल हो गए हैं ?

शायद मैं एक ही समय पर बहुत सारा काम कर रहा हूं, बेटे की फिल्म, पापा और बॉबी के साथ काम, सब कुछ एक ही समय पर चल रहा है  तो शायद वही लाड प्यार दिखाई दे रहा होगा .

डांस अब एन्जॉय करते हैं ?

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मैं पहले डांस करने से झिझकता था, मुझे नहीं लगता था कि ये मेरी एक्टिंग का हिस्सा है, मुझे अब झिझक नहीं होती.

कोई रोल मुश्किल होता है ?

एक्टर के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता. जितना डर लगता है तो वो और भी अच्छा होता है.

फैमिली ट्रिप ब ताइये ?

हम सब साथ रहते हैं और एक-दूसरे से डरते भी हैं, कभी साथ छुट्टियों पर अब जाने का मौका नहीं मिलता, बचपन में पापा के फिल्म के सेट्स पर चले जाया करते थे, थोड़ा डर होना जरूरी है , पापा जैसा कोई नहीं है. हमें हमेशा से ही अच्छी परवरिश और अनुशासन सिखाया गया है.

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सलमान खान, रेखा और बाकी लोगों का कैमियो ?

मुझे सब लोगों को देखकर बहुत अच्छा लगा, शत्रुघ्न जी का काम पापा के साथ पहले भी ख़ास रहा था, और इस बार दोनों को साथ देखकर लगा कि मुझे एक और फिल्म बना लेनी चाहिए .

गुजरात की यादें ?

मेरे कई दोस्त हैं और कभी खाना होता है तो उनके घर चला जाता हूं, वो थोड़ा-थोड़ा खाना खिलाते हैं.

श्रीदेवी जी के साथ यादें ?

वो बहुत ही अच्छी इंसान थीं, दोनों शर्माते भी थे, हमारी केमेस्ट्री भी बहुत बढ़िया रही है .उन्होंने बहुत सी फिल्में की हैं और प्रोफेशनल अदाकारा थी.

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कभी विलेन बनना चाहेंगे ?

मुझे वो कांसेप्ट समझ नहीं आता, अगर ऐसा कैरेक्टर आया तो सोचूंगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मेरी ऐसी इमेज बन चुकी है, जिसमें लोग विलेन के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे .

कोई एक्टर जो अच्छा लगता है?

मुझे चिंटू (ऋषि कपूर)) का बेटा (रणबीर कपूर) और उसका काम बहुत पसंद है .

कोई ड्रीम रोल ?

हमेशा से पीरियड फिल्म करना चाहता था , वो उस समय नहीं हो पाया, आज कल बनायी जा रही हैं , देखिये क्या होता है .

घायल फिल्म की रीमेक की चर्चा हो रही है?

रीमेक की चर्चा तो होती ही रहती है. दरअसल मेरे फैन कहते हैं कि मैं अपनी सफल फिल्मों का रीमेक बनाऊं. कैरक्टर के हिसाब से देखा जाए तो मुझे भी अपनी कई फिल्में बहुत पसंद हैं, जिनका मैं रीमेक बनाना चाहता हूं, लेकिन उन फिल्मों को एक बार फिर से बनाना बेहद मुश्किल है.

ग़दर फिल्म का रीमेक देखना चाहेंगे ?

अब गदर का रीमेक बनाना कितना मुश्किल होगा, जरा सोचिए घायल का पार्ट 2 बनाया, लेकिन लोगों को पुराने घायल का किरदार ही चाहिए, उसे वह किसी भी तरह बदला हुआ नहीं देखना चाहते हैं. फिल्म दामिनी में जो मेरा गोविन्द का किरदार था, वह मुझे बहुत इंट्रेस्टिंग लगता है, उस पर जरूर कुछ हो सकता है.

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आप पापा को डायरेक्ट करना चाहेंगे ?

देओल परिवार को एक साथ लेकर फिल्म बनाना आसान नहीं है. यमला पगला... जैसी फिल्म तो फिर भी हम बना सकते हैं, लेकिन 2007 में आई अपने जैसी फिल्म बनाना मुश्किल है. हम तीन ऐक्टर्स को एकसाथ जस्टिफाई करना आसान नहीं है.

शायद यमला पगला दीवाना 2 के दौरान लोगों की उम्मीद कम थी, इसी वजह से फिल्म फ्लॉप हो गई, हमारी या किसी की भी कोशिश हमेशा यही रहती है कि फिल्म अच्छी बनें और लोगों को खूब पसंद आए. फिल्म बनाने में खूब समय, मेहनत और पैसा लगता है, फिल्म बनाना एक बड़े प्रॉजेक्ट की तरह होता है.

फिल्म मेकिंग को कैसे देखते हैं ?

फिल्म बनाने का काम छिछोरापन तो होता नहीं है. समय, मेहनत और पैसा लगाने के बाद शुक्रवार को फिल्म की रिलीज़ पर दिल धड़कने लगता है, लगता है अब क्या होगा, दर्शकों को फिल्म पसंद आएगी या नहीं. हम यह भी समझते हैं कि हर बार आपकी मेहनत का फल मीठा होगा. कभी-कभी फिल्म अच्छी होने के बाद भी लोगों को पसंद नहीं आती है.

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