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तबला वादक जाकिर हुसैन ने पिता से तीन साल की उम्र में सीख लिया था पखावज

जाकिर हुसैन ने संगीत के क्षेत्र में जो योगदान दिया है उसके लिए उन्हें आने वाली सदियों तक याद रखा जाएगा. 68 साल के हो चुके जाकिर हुसैन आज भी संगीत जगत में सक्रिय हैं और तबले की धुन पर सबको नाचने पर मजबूर कर देते हैं.

जाकिर हुसैन जाकिर हुसैन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST

मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च, 1951 को मुंबई में हुआ था. उनके पिता अल्लाह राखा अपने समय के बहुत बड़े तबला वादक थे और जिन्होंने कई सारे कंसर्ट्स में पंडित रवि शंकर के साथ जुगलबंदी भी की थी. जाकिर हुसैन ने काफी छोटी सी उम्र में ही वाद्य यंत्र सीखना शुरू कर दिया था. जाकिर की काबीलियत से पंडित रवि शंकर काफी प्रभावित थे. उन्होंने USA की यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन में म्यूजिक टीचर के तौर पर जाकिर के नाम का सुझाव दिया था.

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महज तीन साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता से पखावज बजाना सीखा. वे प्लैनेट ड्रम नाम के एक रिद्धम बैंड का हिस्सा रहे. इस बैंड में उनके साथी मिकी हार्ट, सिकिरू एडिपोजू, जियोवन्नी हिडाल्गो. साल 1992 में इस ग्रुप को विश्व के श्रेष्ठ म्यूजिक एल्बम का ग्रैमी अवॉर्ड मिला. इस बैंड ने साल 2007 में एक बार फिर से अपना जलवा बिखेरा. ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट नाम का एल्बम लेकर ये आए और एक बार फिर से इस बैंड की झोली में ग्रैमा अवॉर्ड आया.

हुसैन ने सिनेमा में भी म्यूजिक दिया है. उनकी सबसे पहली फिल्म थी हीट एंड डस्ट. फिल्म का निर्माण स्माइल मर्चेंट ने किया था. फिल्म में शशि कपूर अहम रोल में थे. स्माइल के साथ जाकिर की जोड़ी खूब जमी. 1993 में आई इन कस्टडी और 2001 में आई The Mystic Masseur में जाकिर ने म्यूजिक दिया. दोनों ही फिल्मों में ओम पुरी अहम रोल में थे.

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अपने बेहतरीन काम के लिए जाकिर को कई सारे अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें 1988 में पद्मश्री, 1990 में संगीत नाटक एकेडमी और 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा उन्हें USA में National Endowment for the Arts's National Heritage Fellowship से सम्मानित किया गया है. ट्रेडिशनल आर्ट और म्यूजिक की श्रेणी में अमेरिका द्वारा दिया गया ये सबसे बड़ा सम्मान है.

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