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कास्टिंग डायरेक्टर ने कहा था 'ठंडा एक्टर', 12 साल के स्ट्रगल के बाद यूं मिली 'गुल्लक' के अन्नू भइया को पहचान

वैभव राज गुप्ता वैसे तो रहने वाले बेनीगंज, हरदोई के हैं. लेकिन सपनों की दुनिया मुंबई शहर में वह एक्टर बनने आए. छोटे भाई की बदौलत इन्हें 'गुल्लक' वेब सीरीज मिली थी. आज 12 साल की मेहनत के बाद अन्नू भइया दर्शकों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ पाए हैं.

वैभव राज गुप्ता वैभव राज गुप्ता
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 7:18 AM IST

12 साल से इंडस्ट्री में रहने के बावजूद वैभव राज गुप्ता अपनी पहचान बनाने में नाकामयाब रहे, लेकिन जब सोनी लिव पर 'गुल्लक' वेब सीरीज आई तो इसमें निभाने वाले किरदार अन्नू भइया ने हर किसी के दिल पर अपनी छाप छोड़ दी. 'गुल्लक' के तीन सीजन तो आ चुके हैं. चौथे की तैयारी में मेकर्स अभी हैं. जल्द ही वैभव राज गुप्ता वेब सीरीज 'गुड बैड गर्ल' में नजर आने वाले हैं. वैभव के करियर की बात करें तो यह मिस्टर सीतापुर रह चुके हैं. इन्हें साल 2017 में फिल्म 'आश्चर्यचकित' में काम मिला था. यही इनकी डेब्यू फिल्म भी थी. डेब्यू वेब सीरीज की बात करें तो वह 'स्ट्रगलर्स' थी. 

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कहां से हैं वैभव?
वैभव वैसे तो रहने वाले बेनीगंज, हरदोई के हैं. लेकिन सपनों की दुनिया मुंबई शहर में वह एक्टर बनने आए. सातवीं तक की पढ़ाई वैभव ने सरस्वती विद्या मंदिर से की. इसके बाद पूरे परिवार के साथ वह सीतापुर शिफ्ट हो गए. सुमित्रा कॉलेज और आरपीएफ डिग्री कॉलेज से इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. सपनों के शहर मुंबई गए. वहां जाकर स्कूल ऑफ ब्रॉडकास्ट कम्युनिकेशन' से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. वैभव का परिवार मिडिल क्लास था. 

स्ट्रगलिंग रहा करियर
छोटे भाई अमृत राज गुप्ता पेशे से निर्देशक हैं. शुरू से ही भाई और परिवार के साथ वैभव ने सिनेमा देखा. बचपन में ही वैभव के मन में एक एक्टर बनने का सपना आ गया था. पढ़ाई-लिखाई में मन कम लगता था तो सीतापुर में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. साल 2007 में सीतापुर महोत्सव हुआ, जिसमें वैभव मिस्टर सीतापुर चुने गए. इसके बाद उन्हें मॉडलिंग से ऑफर मिलने शुरू हो गए, लेकिन कुछ खास स्कोप नहीं दिखा तो मॉडलिंग छोड़ दी. वैभव के पापा सहारा इंडिया परिवार की ओर से अक्सर ही मुंबई आते-जाते रहते थे. डिग्री लेने के लिए वैभव मुंबई आए. 

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दोस्त से मिला धोखा
जिस दोस्त के पास वैभव रहने वाले थे, उसने अपना फोन स्विच ऑफ कर लिया था. दादर रेलवे स्टेशन पर वैभव उतरे और दूसरे दोस्त का ख्याल आया. वैभव की जेब में केवल 1200 रुपये थे. इतने में मुंबई में सर्वाइव कर पाना काफी मुश्किल होता है. दोस्त रेलवे स्टेशन आया और उन्हें फ्लैट पर लेकर गया. फ्लैट की हालत इतनी खराब थी कि वैभव के उसे देखकर पसीने छूटने लगे. पांच दिन उस दोस्त के पास बिताने के बाद उन्होंने खुद के लिए कुछ ढंग की जगह देखी. कांदिवली के एक थिएटर को वैभव ने ज्वॉइन किया. मुंबई में बिताए पहले तीन साल तो वैभव की लाइफ में ऐसे बीते कि उन्हें शहर के बारे में चीजें समझ आईं. थिएटर तो करते ही थे, ऐसे में वैभव ने मुंबई में अपना पहला नाटक 'अग्नि बरखा' किया. करीब 6-7 साल थिएटर करने के साथ ही वैभव पैसा कमाने लगे थे. एक्टिंग से नहीं, बल्कि रेलवे स्टेशन पर एनजीओ के पर्चे बांटकर उन्होंने पैसा कमाया. इसके लिए वैभव को आठ हजार रुपये महीने के मिलते थे. 

कैसे मिली 'गुल्लक' वेब सीरीज
छोटा भाई निर्देशक है तो उसकी बदौलत ही वैभव को 'गुल्लक' सीरीज मिली. दरअसल, एक दिन वैभव ने भाई से पूछा कि मेरा ऑडिशन लोगे क्या? इसपर भाई ने कहा कि मैं वेब सीरीज के लिए थोड़ा देसी लड़का ढूंढ रहा हूं. तुम बहुत अर्बन दिखते हो. लेकिन जब ऑडिशन लिया तो वैभव को ही उनके भाई ने फाइनल कर लिया. आज 'गुल्लक' अपने चौथे सीजन की तैयारी में है. इस वेब सीरीज के बाद से ही वैभव की लाइफ बदल गई. लोग अब उन्हें सीरियसली लेते हैं. उनके काम की इज्जत करते हैं. प्रोडक्शन हाउस भी स्क्रिप्ट्स के साथ उन्हें कॉल करते हैं. 

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कास्टिंग डायरेक्टर ने कहा 'ठंडा एक्टर'
जैसे-जैसे वैभव खुद का लोहा एक्टिंग की फील्ड में मनवा रहे हैं. वैसे-वैसे ऑडिशन प्रोसेस भी उनके लिए कम होते जा रहे हैं. स्क्रीन पर एक्टिंग से इंप्रेस करने वाले वैभव अब सीधा स्क्रिप्ट पढ़कर साइन करते हैं. वैभव ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने उस समय को भी याद किया था जब चार साल पहले उन्हें कास्टिंग डायरेक्टर ने 'ठंडा एक्टर' कहकर रिजेक्ट कर दिया था. इससे वह काफी आहत हुए थे. 

 

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