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ज‍िंदा एक्टर की मौत का मनाया गया मातम, सफेद साड़ी में घर पहुंचीं औरतें, अमर बोले- मैं मरा नहीं...

'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' के कुछ एपिसोड से मिहिर का किरदार सभी का चहेता बन गया था. मगर एक समय सीरियल में ऐसा आया था जब तुलसी के पति मिहिर के किरदार को शो में मार दिया गया था. मिहिर का किरदार निभाने वाले एक्टर अमर ने हाल ही में मिहिर की मौत के ऊपर दर्शकों के रिएक्शन के बारे में बात की है.

क्योंकि सास भी कभी बहू थी के मिहिर क्योंकि सास भी कभी बहू थी के मिहिर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

टीवी सीरियल काफी लंबे समय से लोगों को एकसाथ जोड़ने का काम करता आया है. दूरदर्शन ने ये काम करना शुरू किया था, जिसके बाद कई और टीवी चैनलों ने अपने-अपने सीरियल लाने की शुरुआत की. जब 2000 का दशक शुरू हुआ, तो टीवी पर एक ऐसा सीरियल आया जिसने हर तरफ मानो सनसनी सी मचा दी थी. हम बात कर रहे हैं एक्ता कपूर के सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की. 

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तुलसी का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस स्मृति ईरानी को लोग आज भी उनके काम के लिए याद करते हैं. लेकिन एक और किरदार था जिसने सभी को अपना मुरीद बना लिया था, और वो किरदार था मिहिर का जिसे एक्टर अमर उपाध्याय ने निभाया था. 

काफी पॉपुलर था मिहिर का किरदार

शो के पहले ही कुछ एपिसोड्स से मिहिर सभी मां-बहनों का चहेता बन गया था. लेकिन एक समय सीरियल में ऐसा आया था जिसने हर तरफ खलबली सी मचा दी थी जब तुलसी के पति मिहिर के किरदार को शो में मृत दिखाया गया था. मिहिर का किरदार निभाने वाले एक्टर अमर ने हाल ही में मिहिर की मौत के ऊपर दर्शकों के रिएक्शन के बारे में बात की है. एक इंटरव्यू में अमर ने बताया कि उनके किरदार मिहिर की मौत से सभी लोग बड़े दुखी हुए थे. 

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अमर ने शो के बारे में बताया, 'एकता ने मिहिर की मौत वाला एपिसोड इतना बढ़ चढ़कर दिखा दिया था कि जब वो आखिरकार मरा तो ऐसा लगा कि हर तरफ जैसे खलबली सी मच गई. जब वो एपिसोड ऑन-एयर हुआ मुझे याद है मेरी मां वो एपिसोड देख रही थीं और रो भी रही थीं, तभी मैंने उनको कहा कि मैं जिंदा हूं आपके साथ ही बैठा हूं. देर रात को मुझे बालाजी टेलीफिल्म्स से एक कॉल आया कि उनके इमेल सर्वर क्रैश और टेलीफोन लाइन्स जाम हो गए हैं क्योंकि मिहिर की मौत को लेकर हर तरफ एक बहुत बड़ा बवाल खड़ा हो गया है.'

'औरतें सफेद साड़ियों में मेरे घर पहुंच गई थीं'

अमर ने बताया कि उन्हें देर रात 2 बजे प्रोडक्शन के ऑफिस में जाकर सभी कॉल्स का जवाब देना पड़ा और सभी को समझाना पड़ा था कि वो जिंदा हैं, बस उनके किरदार की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि 2000 के दशक में लोग काफी साधारण सा जीवन जीते थे और वो उस सब को मानते थे जो टीवी पर चल रहा होता था. अमर ने बताया कि लोग इतने दुखी हो गए थे कि कुछ औरतें उनके घर के बाहर सफेद साड़ियां में मिहिर की मौत का शोक मनाने आ गई थीं. 

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उन्होंने उस किस्से को सुनाते हुए कहा, 'मैं एक सुबह उठा और मेरे घर की घंटियां बज रही थीं. कुछ 15-20 औरतें मेरे घर के बाहर सफेद साड़ियों में खड़ी थीं. उन्होंने मुझे जैसे ही देखा, वो चौंक गईं. जब मेरी मां ने उनसे पूछा कि वो हमारे घर में ऐसे क्यों आई हैं, तब उन्होंने बताया कि वो यहां मिहिर की मौत का शोक मनाने आई हैं. मेरी मां को बहुत गुस्सा आया. उन्होंने उनको डांट लगाई और वहां से भगा दिया.'

ये वो दौर था जब प्रोड्यूसर एक्ता कपूर टीवी पर अपने डेली सोप्स से काफी सुर्खियां बटोर रही थीं. लोग उनके सीरियल की कहानी के बारे में आपस में चर्चा भी करते थे. मां-दादी-नानी सभी लोगों की घड़ी में जैसे ही 10.30 बजते थे, वो तुरंत टीवी के सामने बैठ जाते थे. सभी शो के किरदारों से काफी कनेक्ट भी हो गए थे. लोगों के दिलों में आज भी इस सीरियल की याद बसी हुई है. 

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