
एजेंडा आजतक के विशेष सत्र मिशन कश्मीर में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शिरकत की. इस सत्र का संचालन पुण्य प्रसून वाजपेयी ने किया. इस सत्र के दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को बोली नहीं गोली की भाषा समझ में आती है. दोनों देशों के बीच 4 बार युद्ध हो चुका है और देश का लाइन ऑफ कंट्रोल आज वहीं है जहां युद्ध अंतिम युद्ध में तय किया गया था. यही नहीं, उन्होंने करगिल जीत में अपनी भूमिका की भी जानकारी दी. फारूक के अनुसार उन्होंने पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को वायुसेना के इस्तेमाल की सलाह दी और इसके बाद हम करगिल जीते.
फारूक ने कहा कि करगिल युद्ध के दौरान वह भी हेलिकॉप्टर से करगिल और द्रास गए थे. उस दौरान बंकर में वहां के दो ब्रिगेडियर ने उनसे वायुसेना की मदद मांगी थी. इसके बाद वह सीधे कश्मीर से पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के घर पहुंचे. उन्होंने एयर चीफ की मौजूदगी में वाजपेयी से कहा कि सेना को वायुसेना की मदद पहुंचाई जाए. इस पर एयर चीफ ने कहा कि वह यह वादा नहीं कर सकते कि वायुसेना एलओसी नहीं पार करेगी. हालांकि इसके बावजूद वाजपेयी ने वायुसेना भेजी और हम युद्ध जीते. हमारी वायुसेना ने एलओसी भी पार नहीं की. फारुक ने कहा कि हालांकि अब हम युद्ध लड़ने का खतरा नहीं मोल ले सकते क्यों दोनों देश परमाणु शक्ति हैं और परमाणु युद्ध का खतरा मोल नहीं ले सकते. .
वहीं सत्र के दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि युद्ध से भारत और पाकिस्तान के अच्छे रिश्ते नहीं कायम हो सकते. इसके लिए बेहद जरूरी है कि दोनों देश लगातार बातचीत करते रहें, क्योंकि दोनों देशों के बीच विवाद बातचीत से ही सुलझ सकता है. इस सत्र के दौरान नागरिकता पर हुए सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने उन लोगों को चेतावनी दी जो उनकी नागरिकता पर सवाल उठाते हैं. लिहाजा सवाल पर नाराजगी जाहिर करते हुए ऐसे सभी लोगों से कहा कि उनकी नागरिकता पर शक करना गलत है.
फारूक ने कहा कि वाजपेयी जी ने मुझे खुद बुलाया था जब लाहौर गए थे. हालांकि वाजपेयी मुझे साथ लेकर नहीं गए. उनकी लाहौर यात्रा के बाद पूछा कि क्या लेकर आए हैं? इसके बाद जब मुशर्रफ साहेब को बुलाया गया तो मुझे थर्ड पार्टी कहा गया. लेकिन मैनें खुद को फर्स्ट पार्टी बोला. फारूक ने कहा यदि वाजपेयी दूसरा चुनाव जीत लेते तो अबतक पाकिस्तान के साथ समस्या का कुछ हल निकल गया होता.
फारूक ने कहा कि इससे पहले नेहरू के समय समस्या का हल निकालने की ऐसी कोशिश हुई थी जब हम बेहद करीब थे. उस वक्त जनरल अयूब खान भारत आने वाले थे लेकिन नेहरू के इंतकाल की वजह से वह मौका भी हाथ से चला गया. सार्क समूह की स्थापना के वक्त मैंने इंदिरा गांधी से पूछा था कि आखिर सार्क की स्थापना क्यों की जा रही है? इंदिरा गांधी ने कहा कि सार्क देशों को यूरोपियन यूनियन की तर्ज पर एक करने को कोशिश इस समूह के जरिए की जाएगी. सभी देशों का साथ में विकास हो, यह मकसद था. लिहाजा, उस परिकल्पना पर काम करते हुए हमें कोशिश करनी चाहिए कि सार्क देशों में ट्रैवल करने पर प्रतिबंध हटाने के प्रयास किए जाएं.