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आर्थिक नीतियों में कांग्रेस और भाजपा में कोई फर्क नहीं: वृंदा करात

वृंदा ने कहा कि बीजेपी के पास आज मजबूत बहुमत है लिजाहा वह उन सभी काम को आसानी से कर ले रही है जो कांग्रेस बहुमत की कमी के कारण नहीं कर पा रही थी. बीजेपी सरकार ने अपने कार्यकाल में एफडीआई को मंजूरी दे दी है औऱ कांग्रेस इस काम को लंबे समय से करना चाह रही थी लेकिन संसद में लेफ्ट पार्टियों के विरोध से वह ऐसा करने में सफल नहीं हो पाई थी.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2017 इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2017
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:29 PM IST

एजेंडा आजतक 2017 के विशेष सत्र लेफ्ट बनाम राइट में लेफ्ट नेता वृंदा करात ने कहा कि लेफ्ट पार्टी कॉरपोरेट चंन्दे पर नहीं चलती लेकिन मौजूदा समय में लेफ्ट को छोड़कर सभी पार्टियां कॉरपोरेट चंदे पर चल रही है. लिहाजा, वृंदा के मुताबिक बीजेपी और कांग्रेस की आर्थिक नीति में कोई अंतर नहीं है.

वृंदा ने कहा कि बीजेपी के पास आज मजबूत बहुमत है लिजाहा वह उन सभी काम को आसानी से कर ले रही है जो कांग्रेस बहुमत की कमी के कारण नहीं कर पा रही थी. बीजेपी सरकार ने अपने कार्यकाल में एफडीआई को मंजूरी दे दी है औऱ कांग्रेस इस काम को लंबे समय से करना चाह रही थी लेकिन संसद में लेफ्ट पार्टियों के विरोध से वह ऐसा करने में सफल नहीं हो पाई थी.

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वृंदा ने कहा कि गुजरात चुनावों के प्रचार के दौरान अब प्रधानमंत्री के भाषणो से गुजरात मॉडल का जिक्र नहीं हो रहा है. चुनाव के भाषणों में पीएम मोदी नेहरू और सोमनाथ मंदिर का जिक्र करते हैं, वह इंदिया गांधी के समय की चर्चा कर रहे हैं. लिहाजा, क्या यही मोदी सरकार का विकास है. आखिर कहां गया मोदी सरकार का विकास का एजेंडा.

वृंदा ने कहा कि जनता की क्रय शक्ति बढ़ाने की जरूरत है. वृंदा ने कहा कि देश एक बड़ा बाजार है और आज पूरी दुनिया भारत में निवेश कर रही है. इस मौके का फायदा केन्द्र सरकार को उठाना चाहिए और सरकारी निवेश को बढ़ाते हुए आम आदमी की क्रय शक्ति में इजाफा करने की कोशिश करनी चाहिए.

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वृंदा ने कहा कि मौजूदा समय में केन्द्र सरकार कॉरपोरेट का 2 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज माफ करने में एक बार नहीं सोचती वहीं किसानों का मामुली कर्ज माफ करने में उसे दिक्कत होती है. वृंदा करात ने कहा कि मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल अब केन्द्र और राज्य संबंधों में एक फुटबाल जैसी स्थिति में पहुंच गया है.

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