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किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ तो कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन: जिग्नेश मेवाणी

एजेंडा आज तक में एक सत्र युवाओं के नाम रहा. हम हैं नए अंदाज क्यों हो पुराना में एक्टिविस्ट हार्दिक पटेल, गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक हनुमान बेनीवाल ने शिरकत की.

जिग्नेश मेवाणी [फोटो- आजतक] जिग्नेश मेवाणी [फोटो- आजतक]
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:41 PM IST

मुझे दलित नेता क्यों कहा जाता है यह मैं समझ नहीं पाता हूं, मैंने युवाओं के लिए काम किया, मजदूरों के लिए काम किया. बेरोजगारों के लिए काम किया, किसानों के लिए काम किया लेकिन मुझे दलित नेता कहा जाता है. यह दर्द है एजेंडा आजतक में पहुंचे गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी का. उन्होंने इस बात का पुरजोर खंडन किया कि वो केवल दलितों की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर तीनों राज्यों में किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ तो कांग्रेस सरकार के खिलाफ भी जोरदार आंदोलन किया जाएगा.

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इस कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे साहिल ने पूछा कि ऊना की घटना के बाद आपकी पहचान बनी, इस मेवाणी का कहना था कि वह उस घटना से 9 साल पहले से सामाजिक क्षेत्र में हैं और अपने इलाके में ऑस्कर विनिंग फिल्मों के समारोह कराने से लेकर वॉटर हॉर्वेस्टिंग जैसे कई काम करते हैं. जब उनसे पूछा गया कि अगर वह दलितों के नेता नहीं हैं तो फिर रिजर्व सीट से क्यों लड़े. इस पर उनका कहना था कि अगर रिजर्व सीट से न लड़ें तो उन्हें पूछे कौन. मेवाणी ने दावा कि अगर सीटें आरक्षित न हों तो दलितों को कोई टिकट ही न दे.

पटेलों के आरक्षण की मांग को लेकर गुजरात में आंदोलन कर रहे हार्दिक पटेल ने भी कहा कि वह भी अपने को पटेलों का नेता नहीं मानते. उन्होंने कहा कि जिग्नेश या उनके कहने से लोग नहीं मानेंगे और जो पहचान दे दी गई है उस पर लोग कायम रहेंगे. मेवाणी ने सवाल उठाया कि आखिर किसानों की जमीनें बिना उनकी मर्जी के क्यों ली जा रही हैं.  

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2 करोड़ रोजगार नहीं तो 26 लाख पद तो भरे जा सकते हैं

आनंद तेलतुंबड़े की किताब का जिक्र करते हुए साहिल ने सवाल उठाया कि दलित आंदोलन को कुछ अलग तरीके से सोचना होगा. जिग्नेश ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि सफाई कर्मचारी को सफाई करने में आनंद मिलता है. क्या एक पीएम का इस तरह से कहना ठीक है. जिग्नेश मेवाणी ने सवाल उठाया कि अगर मोदी सरकार 2 करोड़ लोगों को रोजगार नहीं दे सकती तो जो 26 लाख पद खाली हैं उसे क्यों नहीं भर देती. अगर उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया जा सकता है तो किसानों का क्यों नहीं. जिग्नेश ने कहा कि अगर कांग्रेस ने तीनों राज्यों में किसानों का कर्ज माफ नहीं किया तो उनके खिलाफ भी आंदोलन किया जाएगा.

किसानों का दर्द सबसे बड़ा

जिग्नेश ने कहा कि 4 महीने में 3 बार किसानों ने मार्च किया लेकिन किसी ने उनसे बात करने की कोशिश नहीं की. बिना अनुमति के किसानों की जमीनें ली जा रही हैं और उसे उद्योगपतियों को दे दिया जा रहा है अगर ऐसा ही रहा तो आगे किसान खाएगा क्या इसके बारे में भी सोचा जाना चाहिए.

 

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