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सेना का जवान हो या श्रीनगर का बच्चा, मरता तो हमारा ही खून है: महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सूबे की जमीन में खून मिल रहा है. यह खून हमारा है. हमें इसे रोकना होगा. यह पाकिस्तान और अलगाववादियों के साथ बातचीत से ही संभव है.

एजेंडा आजतक में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती (फोटो-aajtak) एजेंडा आजतक में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती (फोटो-aajtak)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 9:38 PM IST

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य में सुरक्षाबलों और स्थानीय लोगों के बीच हो रहे संघर्ष पर दुख जाहिर किया. आजतक के खास कार्यक्रम 'एजेंडा आजतक' में उन्होंने कहा कि एक दिन मैंने सेना के शहीद मेजर की बच्ची को देखा. वह अपनी मां के आंसू को पोंछ रही थी. यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगा. कश्मीर में जो कुछ हो रहा है उसमें मरने वाला हमारा है. चाहे वह कोई हो. वह इस मुल्क का खून है, वही बह रहा है. उन्होंने इसे रोकने के लिए पाकिस्तान और अलगाववादियों के साथ बातचीत करने की वकालत की.

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महबूबा ने कहा कि आज 10 साल का बच्चा आतंकी बन रहा है. हमें सोचना होगा कि कश्मीर में ऐसे हालात क्यों आ गए है. आतंकियों को मारने से हल नहीं मिलेगा, क्योंकि एक आतंकी को जब आप मारते हैं तो चार और आतंकी बन जाते हैं. कश्मीर के नौजवानों के साथ बैठकर बात करनी होगी. 10 साल के किसी बच्चे को दफनाया जाता है या किसी जवान को ताबूत में उसके घर भेजा जाता है तो यह कश्मीर का नुकसान है.

उन्होंने कहा कि हमें कश्मीरियत को बचाने के लिए खून को रोकना होगा. इसे रोकने के लिए हमें बातचीत करनी होगी. हमें पाकिस्तान के साथ बंद हुई बातचीत को शुरू करना होगा. बातचीत के बाद जिन इलाकों में माहौल शांत होता है, वहां से सुरक्षाबलों को हटाकर उन्हें बैरक में भेजना होगा. कश्मीर के लोगों को बिजली, पानी, सड़क के अलावा कश्मीर के मुद्दों का हल चाहिए. कश्मीरी कहते है हमें आजादी दो. मैं कहती हूं कि कश्मीर से शारदा पीठ समेत सारे रास्ते खोल दो.

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्होंने कश्मीर की समस्या को हल करने के लिए बहुत काम किया. 2004 का चुनाव अगर वह जीत जाते तो कश्मीर का मसला हल भी हो जाता है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान, हुर्रियत से कभी बातचीत बंद नहीं की. चाहे कारगिल हुआ या संसद पर हमला. उन्होंने कश्मीर में अमन-चैन के लिए पहल की, लेकिन यूपीए और एनडीए सरकार ने कभी इस पहल को आगे बढ़ाने का काम नहीं किया.

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