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आज जीएसटी के जरिए हवाला हो रहा है: अमित मित्रा

जीएसटी परिषद के अध्यक्ष अमित मित्रा ने आजतक के मंच से बड़ा बयान दिया है कि जीएसटी की स्वचालित प्रक्रिया में खामियों की वजह से हवाला कारोबार हो रहा है.

आजतक के कार्यक्रम में अमित मित्रा, जयंत सिन्हा और मनीष तिवारी आजतक के कार्यक्रम में अमित मित्रा, जयंत सिन्हा और मनीष तिवारी
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:48 PM IST

हिंदी जगत का महामंच 'एजेंडा आजतक' दूसरे दिन भी जारी है. इस कार्यक्रम के 'आर्थिक सुधार, कितना असरदार' शीर्षक वाले सत्र में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, जीएसटी परिषद के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी शामिल हुए. इस मौके पर जीएसटी की खामियों पर चर्चा करते हुए अमित मित्रा ने कहा कि आज जीएसटी के जरिए हवाला हो रहा है और उन्होंने इसे लागू करते समय मना किया था कि जल्दबाजी न की जाए लेकिन सरकार नहीं मानी.

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जीएसटी परिषद के अध्यक्ष अमित मित्रा ने कहा कि सरकार ने जल्दबाजी में बिना तैयारी के जीएसटी लागू किया. इसके लिए आधी रात को विशेष सत्र बुलाया गया और मौके को उत्सव में तब्दील कर दिया. लेकिन हमारी तैयारी पूरी नहीं थी. उन्होंने कहा कि सिस्टम में खामियों की वजह से सरकार ने छोटा फॉर्म जीएसटीआर-3बी शुरू किया, लेकिन इस फॉर्म में इनवॉयस नहीं है.

गौरतलब है कि अत्यप्रत्यक्ष कर प्रणाली डिजाइन में जीएसटीआर-1 फॉर्म भरकर अपलिंक किया जाता है, जिसमें विक्रय मूल्य के आंकड़े होते हैं और जीएसटीआर-2 फॉर्म में खरीदे गए माल के आंकड़े होते हैं. लेकिन स्वचालित डिजिटीकृत प्रक्रिया में खामियों के कारण जीएसटीआर-3बी फॉर्म शुरू किया गया.

अमित मित्रा ने कहा कि हमारा अध्ययन बताता है कि जीएसटीआर-3बी में इनवॉयस नहीं होने से जीएसटी की स्वचालित डिजिटीकृत प्रकिया पूरी तरह से हस्तचालित काम हो गया, जिसके जरिए हावाला कारोबार हो रहा है, क्योंकि आप इसमें इनवॉयस नहीं लगाते हैं और इसकी जांच का कोई तरीका नहीं है.

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उन्होंने कहा जीएसटी परिषद के सदस्य के रूप में मैंने पिछले साल एक जुलाई को इसे लागू नहीं करने की अपील की थी और कहा था कि हम अव्यवस्था में फंस जाएंगे. सही मायने में हम अव्यवस्था में फंस गए हैं.

अमित मित्रा द्वारा जीएसटी की खामियों पर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए जयंत सिन्हा ने कहा कि मित्रा साहब जीएसटी परिषद के अध्यक्ष हैं, अगर उन्हें लगता है कि सिस्टम कोई गड़बड़ी है, तो उसे सामने लाएं जिसका उपाय किया जाएगा.

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