
हिंदी जगत के महामंच एजेंडा आजतक के जन्नत की हकीकत सत्र में शिकरत करते हुए जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी की समस्या के हल के लिए पाकिस्तान से बातचीत को जूरूरी बताया. उन्होंने कहा कि कश्मीर में जो हो रहा है, चाहे सेना के जवान हों या वहां के नौजवान, यदि वो मारे जाते हैं तो हमारे देश के लोग होते हैं, कश्मीर के बच्चे होते हैं. कश्मीर हमारा है इसलिए पहल भी हमें (भारत) ही करनी होगी.
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जब हम ये मानते हैं कि पाकिस्तान का जम्मू-कश्मीर में दखल है, तो बातचीत में उन्हें शामिल क्यों नहीं करते? उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान दखल नहीं देता तो जम्मू-कश्मीर में 66 फीसदी मतदान होता है और जब दखल देता है तब वोटिंग 2 फीसदी हो जाती है.
उन्होंने कहा कि जब हम पाकिस्तान के साथ हाथ मिलाएंगे तब हुर्रियत से भी हाथ मिल जाएगा. अगर हम पाकिस्तान परस्त होते तो 1947 में पाकिस्तान को छोड़कर भारत के साथ नहीं रहते.महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पाकिस्तान के मुख्यमंत्री इमरान खान ने दोस्ती की बात की, शारदा पीठ की बाद की, करतारपुर कॉरिडोर खोल दिया. इसलिए उन्हें बातचीत का मौका देना चाहिए. मुफ्ती ने कहा कि लोग कहते हैं कि यदि इमरान पाक सेना के प्रॉक्सी हैं, तब तो यह बात करने के लिए सबसे मुफीद समय है. कश्मीर की समस्या के हल के लिए यदि दस बार भी पाकिस्तान से बात करनी पड़े तो करनी चाहिए.
महबूबा ने कहा कि इससे पहले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के समय काम हुआ था, क्योंकि वो सेना में थे. उनके समय में मुजफ्फराबाद रोड शुरू हुआ एक समय पर मुशर्रफ और वाजपेयी कश्मीर की समस्या के समाधान के करीब थे. उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहेंगे जैसा उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर के समय किया तो शारदा पीठ का रास्ता भी खुल जाएगा. कश्मीरी पंडितों को शारदा पीठ जाने के लिए कश्मीर से हो कर गुजरना होगा. यह उनकी घर वापसी जैसा होगा.