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जवानों को सेना में भर्ती से पहले दिए जाते हैं ये पांच मंत्र, जनरल रावत ने किया खुलासा

वर्तमान समय में युद्ध अक्सर रात में होती है. इसके बावजूद 24 घंटे ध्वज की इज्जत की जाती है. ध्वज के सम्मान के लिए हमारा सैनिक अपनी जान न्योछावर करने से भी नहीं हिचकिचाता.

जनरल बिपिन रावत, थल सेनाध्यक्ष (फोटो- चंद्रदीप कुमार, इंडिया टुडे) जनरल बिपिन रावत, थल सेनाध्यक्ष (फोटो- चंद्रदीप कुमार, इंडिया टुडे)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:38 PM IST

  • 'सैनिक देखता तो आसमान की तरफ है, लेकिन पैर धरती पर टिके रहते हैं'
  • पैर धरती पर टिके रहे तो आसमान तक पहुंचने में आसानी होती है- जनरल रावत

जम्मू-कश्मीर के रास्ते पाकिस्तान बार-बार घुसपैठ की कोशिश करता रहा है. ऐसे में ये भारतीय सेना ही है जो हर बार न केवल देश को बड़ी मुसीबतों से बचाता है बल्कि दुश्मनों को हर बार मुंहतोड़ जवाब देता है. देश के नंबर वन न्यूज चैनल आजतक के 'एजेंडा आजतक' के आठवें संस्करण के दूसरे दिन भारत के थलसेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत भी शामिल हुए. मंच से सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने वो बातें भी बताईं, जिसकी वजह से हमारे देश के सैनिकों के अंदर हर हालात में जूझने की क्षमता विकसित होती है.

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उन्होंने कहा, 'भारतीय सैनिकों से अक्सर सवाल पूछा जाता है कि आप कैसे अपने कर्तव्यों के पालन के लिए निस्वार्थ भाव से हमेशा दृढ़ सकंल्पित रहते हैं? कोई भी नौजवान जब अपने ट्रेनिंग सेंटर में जाता है (बाद में वो भारतीय सेना में भर्ती होते हैं) तो उसके मन में किस तरह की भावनाएं पैदा की जाती हैं?'

समझाते हुए थल सेनाध्यक्ष ने कहा, 'इस विचारधार को मैं सिर्फ पांच शब्दों में दोहरना चाहूंगा- नाम, नमक, निशान, वफादारी और इज्जत. सभी जवानों को एक ही सीख दी जाती है कि आप जो भी काम करो इन पांच बातों का हमेशा ख्याल रखना.'

सेनाध्यक्ष ने इन पांच शब्दों को विस्तार से समझाते हुए कहा, 'नाम- पहले के दौरा में राजा के नाम का ध्यान रखते थे आज के दौर में देश का नाम, मान और सम्मान कायम रखने के लिए जवान को प्रोत्साहित किया जाता है. दूसरा नमक- हमारी संस्कृति में कहा गया है कि हम किसी का नमक चख लें तो उसके वफादार हो जाते हैं, हमने इस मातृभूमि का नमक खाया है तो सभी सैनिक इस मातृभूमि के लिए नमक के लिए जान न्योछावर करने से कभी नहीं हिचकिचाते हैं. तीसरा निशान- हर रेजीमेंट के पास एक ध्वज होता है जिसका सभी को सम्मान करना होता है, हमारी पुरानी पंरपरा आज भी कामय है. थोड़ा बदलाव हुआ है. सूर्य की पहली किरण धरती पर आते ही बिगुल के साथ ध्वज को लहराया जाता

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है. सूर्यास्त के समय फिर ध्वज को बड़ी इज्जत के साथ बिगुल के साथ उतार दिया जाता है. पहले यह युद्ध के समय होता था, इसलिए दिन में झंडा फहराया जाता था क्योंकि रात में युद्ध नहीं होता.'

जनरल बिपिन रावत ने आगे कहा, 'हालांकि वर्तमान समय में युद्ध अक्सर रात में होती है. इसके बावजूद 24 घंटे ध्वज की इज्जत की जाती है. ध्वज के सम्मान के लिए हमारा सैनिक अपनी जान न्योछावर करने से भी नहीं हिचकिचाता. चौथा कर्तव्य- जवानों को यह सलाह दी जाती है कि आप जब भी कोई काम करें तो देश की सुरक्षा और देश का सम्मान ध्यान में रखते हुए करें. साथ ही आपके अधीन जो जवान काम कर रहे हैं उनका सम्मान और इज्जत करना और अपना कंफर्ट-सेफ्टी सबसे अंत में आता है. प्रत्येक सैनिक देखता तो आसमान की तरफ है, लेकिन पैर उसके धरती पर टिके रहते हैं. पैर धरती पर टिके रहे तो आसमान तक पहुंचने में आसानी होती है.'

वहीं पांचवी बात का जिक्र करते हुए जनरल बिपिन रावत ने कहा, 'चौथा इज्जत- इज्जत हर सैनिक के लिए बहुत जरूरी होती है. किसी भी सैनिक के लिए प्रत्येक देशवासी की इज्जत कायम रखना भी उसका कर्तव्य होता है. ये पांच शब्द सैनिकों के दिमाग में गहराई से बिठा दिए जाते हें. जब तक भारत के सैनिक इन पांच शब्दों पर अमल करते रहेंगे तब तक भारतीय सेना पर बुरी नजर रखने वालों का नाश ऐसे ही होता रहेगा.'

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