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Agenda Aaj Tak 2022: विपक्षी एकता मरे घोड़े की तरह, कितनी भी चाबुक मारो खड़ा नहीं हो पाएगाः सुशील मोदी

विचारों का महामंच 'एजेंडा आजतक' कार्यक्रम के दूसरे दिन, राजनीति और सिनेमा से जुड़े दिग्गज मंच पर शिरकत कर रहे हैं. मंच पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने विपक्षी एकता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्षी एकता मरे घोड़े की तरह है.

बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST

राजधानी दिल्ली में विचारों का महामंच 'एजेंडा आजतक' दूसरे दिन भी जारी है. कार्यक्रम में राजनीति से लेकर मनोरंजन और खेल जगत से जुड़ी नामचीन हस्तियां हिस्सा ले रही हैं. '24 का चक्कर' सेशन में अलग अलग पार्टियों के 4 राज्यसभा सांसदों ने हिस्सा लिया.

इनमें बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi), कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल (Shakti Singh Gohil), आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) और शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Priyanka Chaturvedi) शामिल थीं. इनसे सवाल-जवाब कर रही थीं आजतक की वरिष्ठ पत्रकार अंजना ओम कश्यप.

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'विपक्ष कभी साथ नहीं आ सकता'

सुशील कुमार मोदी से सवाल किया गया कि बीजेपी के लिए 2024 की जंग 2019 से ज्यादा मुश्किल होगी? जवाब में उन्होंने कहा कि ये जंग पहले से आसान होगी. चुनौतियां बहुत सामान्य होंगी. उन्होंने विपक्ष पर भी टिप्पणी की.

उन्होंने कहा कि विपक्ष बिखरा हुआ है जो कभी एक नहीं हो सकता. विपक्षी एकता मरे घोड़े की तरह, जिसपर कितनी भी चाबुक मारो वो कभी खड़ा नहीं हो सकता. विपक्ष कभी साथ नहीं आ सकता. विपक्षी एकता और विपक्ष नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकता. कौन है विपक्ष का उम्मीदवार जो मोदी का मुकाबला करेगा? नरेंद्र मोदी जी का ग्राफ लगातार ऊंचा होता जा रहा है. 2019 का चुनाव वादों का चुनाव था, लेकिन 24 का चुनाव भरोसे का चुनाव होगा.

'इतना अहंकार नहीं पालना चाहिए'

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इसपर आप सांसद संजय सिंह ने सुशील मोदी की इस बात का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि सुशील जी खुद भी विपक्षी एकता से निकलकर आए हैं. मैं समझता हूं कि राजनीतिक परिस्थितियां और देश की जनता कब किसके बारे में क्या फैसला सुनाए कुछ नहीं कहा जा सकता, इसलिए इतना अहंकार नहीं पालना चाहिए.

उन्होंने पूछा कि क्या महंगाई मुद्दा नहीं है? आम आदमी को कितनी दुश्वारियों में जीना पड़ रहा है, इस बात का अहसास सरकार को नहीं है? बैंकों के लाखों करोड़ों रुपए लेकर देश के बाहर भाग गए, देश में हुए बड़े-बड़े घोटाले हुए, बैंक के बैंक खाली हो गए, दो करोड़ नौकरियों के वादे का क्या हुआ, काला धन दोगुना हो गया, विदेशों से पैसा लाकर लोगों के खाते में 15 लाख डालेंगे, कहां हैं? 


 

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