Advertisement

Agenda Aaj Tak 2023: लंबे युद्ध के लिए क्या रणनीति हो, किन चीजों की जरूरत भारतीय सेनाओं को होंगी? पूर्व सेनाध्यक्षों ने गिनाई भविष्य की जरूरतें

क्या छोटे युद्ध खत्म हो गए हैं? रूस-यूक्रेन 22 महीनों से लड़ रहे हैं. क्या अब ऐसे ही युद्ध होंगे. ऐसे युद्धों के लिए भारत की क्या तैयारी है? इस पर पूर्व सेनाध्यक्षों ने कहा कि हम अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं. हमारी आत्मनिर्भरता ही इसे और सक्षम बनाएगी. हमारी सेनाएं मजबूत हैं. ताकतवर हैं. किसी भी तरह के जंग के लिए तैयार हैं.

एजेंडा आजतक 2023 के जय हो सेशन में बोलते पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे और पूर्व वायुसेनाध्यक्ष आरकेएस भदौरिया. एजेंडा आजतक 2023 के जय हो सेशन में बोलते पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे और पूर्व वायुसेनाध्यक्ष आरकेएस भदौरिया.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:54 AM IST

छोटे युद्धों का मामला खत्म हो गया है क्या? इस सवाल पर पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि चीन से युद्ध हुआ तो क्या हम दूसरे देशों के हथियारों पर निर्भर रहेंगे. नहीं. पिछले दस वर्षों में यह भावना पैदा हो रही थी कि लड़ाई नहीं होगी. लड़ाई कहीं नहीं जाने वाली. ये कभी भी हो सकती है. भारत को हमेशा इसके लिए तैयार रहना है. इसके लिए क्षमता पैदा करने के लिए पैसे लगते हैं. मेहनत और नई तकनीकें लगती है. 

Advertisement

जनरल नरवणे ने कहा कि यूक्रेन में जो हुआ है, वो अमेरिका और अन्य नाटो देशों से सपोर्ट मिला है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन को फिर से बनाने के लिए 412 बिलियन डॉलर्स का खर्चा आएगा. इस तरह के नुकसान से बचना है तो हमारे पास स्ट्रॉन्ग मिलिट्री होनी चाहिए. हमारी तैयारी दूसरे पर निर्भर नहीं हो सकती. अपनी इंडस्ट्री को बढ़ाना है. आत्मनिर्भर होना है. उस मिशन को आगे बढ़ाना है. 

निजी कंपनियों को आगे लाना होगा, अभी कई स्टेप बाकी

जनरल नवरणे ने कहा कि टेक्नोलॉजी अपनी होनी चाहिए. नेवी और एयरफोर्स प्लेटफॉर्म्स सेंट्रिक हैं. थल सेना में सैनिकों की संख्या ज्यादा है. हमारे हथियार और तकनीक निचले लेवल के हैं. हमने दो साल में बड़े काम किए हैं. कई कंपनियां तेजी से आगे आई हैं. भारत फोर्ज, एलएंडटी. आइडियाफोर्ज को सबसे पहले यूएवी का ऑर्डर गया. एक साल के अंदर लद्दाख में ड्रोन तैनात भी हो गया है. इससे निजी कंपनियों को बढ़ावा मिलता है. 

Advertisement

आत्मनिर्भर भारत मिशन सफल पर बहुत काम बाकी

क्या आत्मनिर्भर मिशन सफल हो रहा है? इस पर पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि बहुत तेजी से काम हो रहा है. लेकिन अभी बहुत काम होना बाकी है. सिर्फ निर्माण से काम नहीं होगा. रिसर्च एंड डेवलपमेंट, डिजाइन और आईपीआर पर काम करना है. मेक इन इंडिया में बहुत काम हुआ है. डीआरडीओ जैसी संस्थाओं को निजी कंपनियों को लेकर चलना चाहिए. ये बहुत जरूरी है प्राइवेट सेक्टर को पूरी ताकत से इसमें शामिल करना होगा. 

डिफेंस सेक्टर में R&D बहुत जरूरी है

एयरचीफ मार्शल भदौरिया ने कहा कि क्रिटिकल टेक्नोलॉजी में हम कितना बढ़ रहे हैं. डिफेंस कॉरिडोर्स में अच्छा काम चल रहा है. इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट मिल रहा है. प्रोडक्शन जल्दी शुरू होने वाला है. यूपी और तमिलनाडु में. हमारे यहां कि बड़ी कमजोरी है R&D में. इसके लिए निजी कंपनियों को सपोर्ट करना होगा. आत्मनिर्भरता की ट्रैजेक्टरी ऊंची रखने के लिए ये बहुत जरूरी है. 

पूरी ताकत लगाकर निजी कंपनियों को आगे लाना होगा

सरकार ने जो रूल बदले हैं, उससे निजी कंपनियों को बढ़ावा मिला है. प्रधानमंत्री मोदी के तेजस में उड़ान के बाद तो एविएशन सेक्टर का मनोबल बहुत ज्यादा बढ़ा है. छोटी-छोटी टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहे हैं. बड़ी टेक्नोलॉजी पर काम बाकी है. डायरेक्ट वेपन, आईएसआर, लेजर वेपन्स विकसित करने में समय लगेगा. उसपर पूरी ताकत लगाना जरूरी है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement