
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद करिश्माई बदलाव आए हैं. इन बदलावों पर बात करने के लिए गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा 'एजेंडा आजतक' के मंच पर पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि अब कोई आतंकी प्रधानमंत्री के साथ नहीं बैठ सकता. बल्कि अब तो NIA के एक छोटे से अफसर के सामने भी आतंकी जमीन पर बैठता है.
एलजी मनोज सिन्हा ने आगे कहा,'अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुए बदलावों से करीब एक करोड़ दस लाख लोगों की आबादी के अंदर एक सम्मान की भावना पैदा हुई है. उन्हें लगने लगा है कि आज दिल्ली में जो सरकार है वह हमारे अधिकारों और सम्मान के लिए तत्पर है. अब कोई आतंकी दिल्ली में आकर प्रधानमंत्री के साथ बैठकर बात नहीं कर सकता, अब NIA के एक छोटे अफसर के सामने भी वह कुर्सी पर नहीं बैठता, जमीन पर बैठता है. इस अंतर को देश समझ रहा है.'
भारत से पूरी तरह जुड़ना चाहते हैं कश्मीर के लोग
अनुच्छे 370 पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मनोज सिन्हा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पूरे देश ने स्वीकार किया है. हमारी न्यायपालिका की प्रतिष्ठा पर आम आदमी पूरा भरोसा रखता है. जब एलजी से जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों के विचारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वहां के लोग पूरी तरह से भारत के साथ एकात्मता चाहते हैं. भारत से जुड़ना चाहते हैं. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के षड्यंत्रों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वहां ना तो सड़क है ना ही बिजली है.
अब आतंकियों के जनाजे में नहीं जुटती भीड़
बता दें कि अब जम्मू-कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने पर उसका जनाजा पूरे शहर में नहीं घुमाने दिया जाता है, बल्कि उसे आसपास दफनाने की व्यवस्था ही की जाती है. इस बारे में जब एलजी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में मरने वाले के परिवार की सहमति भी ली जाती है. ग्लेमराइज करने की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया है.
गोरखा से लेकर आधी आबादी तक मिले अधिकार
बातचीत के दौरान मनोज सिन्हा से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग भी भारत के साथ जुड़ना चाहते हैं तो इस पर उन्होंने कहा कि कुछ काम विदेश मंत्रालय के जिम्मे हैं. इसलिए उन कामों को उन्हीं के भरोसे छोड़ देना चाहिए. जब उनसे पूछा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद घाटी में और क्या बदला है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पहले वहां सालों से रह रहे गोरखा लोगों को ना वोटिंग का अधिकार था, ना प्रॉपर्टी का. आधी आबादी यानी महिलाओं को दूसरे राज्य में शादी करने पर सारे अधिकार चले जाते थे. अब उन्हें उनके अधिकार मिल गए हैं और वो भी बेहतर महसूस कर रही हैं.