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'महिलाओं की लीडरशिप आर्थिक और राजनीतिक मजबूती के बिना अधूरी...', बोलीं बांसुरी स्वराज

Agenda AajTak Delhi: एजेंडा आजतक 2024 के पहले दिन की शुरुआत महिलाओं पर केंद्रित सत्र से हुआ. इसमें देश की प्रमुख महिला राजनीतिज्ञों ने हिस्सा लिया और महिलाओं को सशक्त करने और उनके समक्ष खड़ी चुनौतियों को लेकर अपने-अपने विचार रखें.

बांसुरी स्वराज (फोटो - अरुण कुमार) बांसुरी स्वराज (फोटो - अरुण कुमार)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:38 PM IST

Agenda AajTak: एजेंडा आजतक के पहले सत्र - ओ नारी, चुनाव में रक्षा करना में शिरकत करते हुए बीजेपी की दिवंगत नेत्री सुषमा स्वराज की बेटी और पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची बांसुरी स्वराज ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर खुलकर अपनी बातें रखीं.  

महिलाओं की राजनीति में भागीदारी को लेकर बांसुरी स्वराज ने कहा कि महिलाओं की लीडरशिप आर्थिक और राजनीतिक मजबूती के बिना अधूरी है. जब हम महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करते हैं तो वो पूरे परिवार को मजबूत बनाती हैं और सशक्त परिवार से बनता है सशक्त समाज बनता है और इसी से मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है.

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'एनडीए महिला लीडरशिप की बात करती है'
इससे पहले बांसुरी स्वराज ने विभिन्न राज्यों में महिलाओं के लिए चल रही फ्री योजनाओं से उनके वोट प्रभावित होने को लेकर भी काफी प्रभावी ढंग से अपनी बातों को रखा. बांसुरी ने कहा ऐसा बिलकुल भी नहीं है. एनडीए को महिलाएं तरजीह दे रही हैं, क्योंकि 2014 तक पूरे देश में महिला शक्तिकरण की बात होती थी. जब नरेंद्र मोदी जी आए तो देश को महिलाओं के नेतृत्व में सशक्त बनाने की बात की. इसका बहुत ज्यादा प्रभाव महिला वोटरों पर पड़ा है.

महाराष्ट्र, हरियाणा या फिर  जहां भी महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की बात हो रही है, वहां महिलाओं का वोट अधिक मिला है. क्योंकि विकसित भारत की नींव महिला शक्ति ही रख रही है. सशक्त भारत के संकल्प सिद्धि  महिला शक्ति के बिना अधूरा है. एनडीए की सरकार ने एक दशक में महिला शक्तिकरण के लिए कई सारे काम किये हैं. सरकार ने कई सारी योजनाएं लाई है. इनमें बेटी बचाओ योजना, मुद्रा लोन, उज्जवला योजना आदि कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनका एक सामूहिक इफेक्ट पड़ा है.  

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'भेदभाव की परवाह न करें'
महिलाओं को साथ समाज में डिस्क्रिमिनेशन को लेकर बांसुरी ने कहा कि वकालत हो या राजनीति भेदभाव का सामना करना ही पड़ेगा. मैं अकेली नहीं हूं. ऐसा हर एक महिला को करना पड़ता है. फिर भी मैं आज इस मंच से एक भी ऐसा वाकया साझा नहीं करूंगी. क्योंकि ये प्रोग्राम भारत की बेटियां देख रही हैं और उनको मैं बस यही कहूंगी कि भेदभाव होगा, कोई बात नहीं, उठो और खुद को सशक्त करो. भेदभाव की परवाह मत करो.  

खुदी को कर बुलंद इतना...
बांसुर ने आगे कहा - खुदी को कर बुलंद इतना की हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से ये पूछे अरे बता तेरी रजा क्या है... इसलिए अपने आप को स्कील डेवलपमेंट से, एजुकेशन से, आर्थिक रूप से हर तरीके से अपने आपको सशक्त करें. अपने सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी आप पर है.

'नहीं दूंगी महिलाओं के लिए कोई नेगेटिव उदाहरण'
बांसुरी स्वराज ने कहा कि मैं आज कोई भी नाकारात्मक उदाहरण पेश नहीं करूंगी. 18वीं लोकसभा आखिरी लोकसभा है जब आपको ऐसे आंकड़े देखने को मिले. क्योंकि नारी शक्ति वंदन अधिनियम आने वाला है, अगली लोकसभा चुनाव में प्रत्येक राजनीतिक दल को कम से कम 33 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देना होगा. नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिलाओं को सम्मान देती है. इसे सभी दलों ने सर्वसम्मति से पारित किया है.  रिजर्वेशन का ये अर्थ नहीं है कि महिला जेनरल सीट से नहीं लड़ सकती हैं. जिनमें क्षमता होगी वो जेनरल सीट से भी चुनाव लड़ सकती हैं. 

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