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जब सुरेंद्र शर्मा ने राजीव गांधी से कहा था, मैंने भी दो-तीन पीएम देख रखे हैं

एजेंडा आजतक 2024 के हंसी-खुशी सेशन में कवि सुरेंद्र शर्मा भी हिस्सा लेने पहुंचे और अपनी हास्य कविताओं से सबको गुदगुदाया. इस दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मुलाकात का एक मजेदार किस्सा भी शेयर किया.

Kavi Surendra Sharma (Pic credit: Rajwant Rawat) Kavi Surendra Sharma (Pic credit: Rajwant Rawat)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST

एजेंडा आजतक 2024(Agenda Aajtak 2024) के दूसरे दिन 'हंसी खुशी' के सेशन में कवि सुरेंद्र शर्मा और अशोक चक्रधर ने हिस्सा लिया. इस दौरान दोनों ने अपनी कविताओं और लतीफों से लोगों को खूब गुदगुदाया. कवि सुरेंद्र शर्मा ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से जुड़ा हुआ एक दिलचस्प किस्सा सुनाया. 

कवि सुरेंद्र शर्मा ने सुनाया राजीव गांधी से जुड़ा किस्सा

कवि सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जन्मदिन पर वह बधाई देने पहुंचे थे. उस दौरान राजीव गांधी ने उनसे कहा कि तुमने दिल्ली में बहुत मोनोपोली बना रखी है. कल मैं हैदराबाद गया था तीन-चार कवियों को सुना. मैं उन्हें तुम्हारे कंपटीशन में दिल्ली ले आ रहा हूं. फिर मैंने उन्हें जवाब दिया कि ले आओ 3 से 4 प्रधानमंत्री हमने भी देख रखा है. मेरा कहना है कि हास्य को एन्जॉय करें वही हास्य करने का हक रखता है.

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सोशल मीडिया पर वायरल होने को लेकर सुरेंद्र शर्मा ने क्या कहा

हाल ही में कवि सुरेंद्र शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था जिम नहीं करना चाहिए. घोड़ा बहुत दौड़ता है कुछ ही साल जिंदा रहता है. वहीं अजगर आराम से रहता लंबी जीवन जीता है. उनका ये क्लिप सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था. इसपर वह कहते हैं कि  मैं यही कहना चाहता हूं संदेश देने वालों से बच कर रहे हैं. मैं क्या संदेश दे रहा हूं ये जरूरी नहीं है उसका पालन करें. ये देश संदेश देने वालों के चलते बर्बाद हुआ है. अगर हम संदेश देने वालों से बचते अपनी सोच पैदा करते . हमने हमारी सोच खत्म कर दी उस संदेश वालों पर चलने लगे. संदेश वालों के कहने पर कभी ना चलो. अपने दिमाग से काम लो. ताकि आगे बेहतर कर सको.

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इंसानियत जिंदा रहनी चाहिए

कवि सुरेंद्र शर्मा आगे कहते हैं कि इंसानियत जिंदा रहनी चाहिए. कितना अच्छा होता भारत पाकिस्तान में लड़ाई नहीं होती. मैं तो कहता हूं बात करों उनके हुक्मरानों से कि चलो आखिरी लड़ाई लड़ते हैं. तुम अपने मूल्क की गरीबी पहले मिटाते हो कि हम पहले मिटाते हैं. तुम पहले बेरोजगारी मिटाते हो कि हम मिटाते हैं. गोलियों का खर्चा रोटियों पर हो जाए तो दोनों देश के लोग संपन्न हो जाए. 

हंसना जरूरी, लेकिन किसी के आंसुओं की कीमत पर नहीं

कवि सुरेंद्र शर्मा ने हंसने की उपोगिता पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सेहत के लिए हंसना बहुत जरूरी है. खूब हंसो, बस एक बार देखते रहो किसी की आंसुओं की कीमत पर तो तुमने हंसी तो हासिल नहीं की. जिंदगी में खूब ऊपर चढ़ो, तरक्की का आसमान छू लो. बस ये देखते रहना तुम्हारे पांव ने तो जमीन नहीं छोड़ी है. जमीन जुड़े रहकर तरक्की करेंगे तो स्थाई रहेगी.

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