
एजेंडा आजतक 2024 के एक देश, एक चुनाव सेशन में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी शिरकत करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने वन नेशन वन इलेक्शन के बिल पर चर्चा की. साथ उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की तरफ बनाई गई कमिटी की अध्यक्षता करने के लिए हामी क्यों भरी. फिलहाल, वन नेशन वन इलेक्शन बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. इस संसद में चर्चा चल रही है.
आजादी के बाद एक साथ ही होते थे चुनाव
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि वन नेशन वन इलेक्शन नई चीज नहीं है. साल 1952 से लेकर 1967 तक देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए. 68 के बाद कुछ राज्यों पर आर्टिकल 356 लगाकर इसे खत्म किया गया. हालांकि, वन नेशन वन इलेक्शन कराने की काफी उपयोगिता है. अभी क्या होता है पहले लोकसभा का चुनाव, कभी विधानसभा तो कभी अन्य चुनाव होते हैं. तकरीबन 5 साल में 4 साल चुनाव में चले जाते हैं. ये जनता के लिए गलत है. वह गर्वनेंस के लिए वोट देती है ना कि पॉलिटिकल पार्टियां चुनाव ही लड़ती रह जाए इसके लिए मत देती है.
वन नेशन वन इलेक्शन कमिटी की अध्यक्षता करने के लिए क्यों हुए तैयार
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आगे कहते हैं कि प्रथम दृष्टया वन वन नेशन वन इलेक्शन कमिटी को लेकर लोग राय बनाते हैं कि ये पॉलिटिकली फंक्शन है. मैं ऐसा नबीं मानता है. इस कमिटी को रूलिंग पार्टी बनाती तो ये सोचा भी जा सकता है, लेकिन इसे गोवर्नमेंट ऑफ इंडिया कान्सिट्यूट किया. हमने इस रिपोर्ट को सरकार की बजाय राष्ट्रपति को सब्मिट की. मैंने इस कमिटी की अध्यक्षता इसलिए स्वीकारी क्योंकि ये ये लोकहित का मुद्दा है, देश हित का मुद्दा है.
प्रणव दा से भी की थी चर्चा
रामनाथ कोविंद ये भी बताते हैं जब वह सांसद थे और उसके बाद राज्यपाल थे तो भी वन नेशन वन इलेक्शन के बारे में विचार करते थे. सासंद के तौर पर भी वह इसको लेकर दो बार पूर्व प्रणव मुखर्जी से मिले थे. इसपर चर्चा भी किया. इसके अलावा राज्यपाल के तौर पर भी मैंने उनसे इस बारे में चर्चा की थी. ये टॉपिक मेरे लिए हमेशना दिल के करीब था.
62 पॉलिटिकल पार्टियों को दिया था न्योता
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कहते हैं कि जब बिल पर कमिटी ने काम करना शुरू किया तो 62 पॉलिटिकल पार्टियों को बुलाया. उन्हें पर्याप्त समय और पर्याप्त मौका दिया. 62 पॉलिटिकल पार्टी में 47 पार्टीज ने इसपर प्रतिक्रिया दी. इसमें से वन नेशन वन इलेक्शन को 32 ने सपोर्ट किया. 15 ने अपनी कुछ वजहें वजहें बताकर सपोर्ट नहीं किया.