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'एक हैं तो सेफ हैं' पर बहस' आशुतोष बोले- जब आप एक समुदाय को घुसपैठिया कहते हैं तो कैसी एकता?

एजेंडा आजतक 2024 के एक हैं सेफ हैं सेशन में वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने जोरदार तरीके से इस नारे खिलाफ अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान जब आप एक समुदाय विशेष को घुसपैठिया कहते हैं फिर कैसी एकता की बात करते हैं. कड़वा सच ये है कि इस नारे के जरिए देश को बांटा जा रहा है.

Ashutosh Ashutosh
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

एजेंडा आजतक के दूसरे दिन यानी शनिवार को 'एक हैं तो सेफ हैं' सेशन में कांग्रेस की प्रवक्ता मुमताज पटेल, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया, भाजपा की तरफ से शहजाद पूनावाला , शिवसेना शिंदे नेता शायना एनसी, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष, राजनीतिक विश्लेषक रजत सेठी ने भी हिस्सा लिया. इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने जोरदार तरीके से इस नारे खिलाफ अपनी बात रखी और इसे पोलराइजेशन का स्लोगन बताया. 

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एक हैं तो सेफ हैं विवादास्पद नारा है

आशुतोष कहते हैं कि विवेकानंद से जब एक पर बात करने की कही गई थी तो उन्होंने ब्रह्म-ब्रह्मांड की एकता की बात की थी. जीव-जंतुओं की एकता की बात की थी. आज जब एक शब्द का नाम सुनते हैं तो दिल में दहशत होती है, खौफ होता है. यहां बैठे हर एक शख्स को मालूम है कि एक हैं तो सेफ हैं का नारा क्यों है, किस वजह से दिया गया है. लेकिन सच्चाई कोई स्वीकार नहीं करना चाहता है. अगर ये विवादास्पद नारा नहीं होता तो इसपर चर्चा ही नहीं होती है.

समुदाय विशेष को घुसपैठिया कहते हैं फिर कैसी एकता 

आशुतोष आगे कहते हैं कि चुनाव के दौरान आप एक समुदाय विशेष को घुसपैठिया कहते हैं फिर एकता की बात कहते हैं. किस एकता की बात करते हैं. कैसी एकता. इस सत्य को आप अगर नहीं समझ रहे हैं तो आप बहुत मासूम हैं या फिर चालाक या घूर्त. असल बात ये है कि हमें डर दिखाया जा रहा है. पहले आप बांटने की कोशिश करते हैं फिर पोलराइज करते हैं फिर बोलते हैं एक हैं सेफ हैं. आप सवाल उठाएंगे तो आपको देशद्रोही घोषित कर दिया जाएगा.

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खुलकर देश को बांटने की बात की जा रही है

आशुतोष के मुताबिक जब संविधान के बड़े पदों पर बैठे लोग सिर्फ 80 प्रतिशत लोगों की बात करने लगे तो समझ लिजिए देश खतरे में है. खुलकर देश को बांटने की बात की जा रही है. लेकिन हम बहुत मासूमियत से कहते हैं देश को एक होने की बात करने की जा रही है. शर्म की बात है कि आज के समय में भी सिर्फ हिंदू-मुसलमान की बात कर रहे हैं.

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