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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को 'एजेंडा आजतक' कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बात की, इनमें बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ का मुद्दा भी काफी अहम रहा. अमित शाह ने आजतक की तहकीकात पर रिएक्शन देते हुए कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा का 96% हिस्सा फेंसिंग से सुरक्षित किया जा चुका है, वहां से घुसपैठ नहीं हो रही, लेकिन 4% हिस्से पर फेंसिंग नहीं हुई है, क्योंकि वहां नाला है, ब्रह्मपुत्र नदी हैं, बड़े-बड़े तालाब हैं, जंगल की सीमाएं हैं, पहाड़ियां हैं जहां ऊपर-खाबड़ जमीन हैं, वहां फेंसिंग हो ही नहीं सकती.
लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह ने किसी मीडिया हाउस को दिए अपने पहले इंटरव्यू में कहा कि जहां से घुसपैठ हो रही है, उन इलाकों को चिह्नित कर मैंने दिसंबर 2019 में राज्य सरकारों को रिपोर्ट भेजी थी. मैंने निर्देश दिए थे कि अगर कोई राशन कार्ड, आधार कार्ड या मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आवेदन करता है तो उसकी पूछताछ ढंग से होनी चाहिए. इस प्रक्रिया में सावधानी बरती जाए. असम में ये रुक चुका है. मैं भरोसा दिलाता हूं कि ओडिशा में भी ये रुक जाएगा, लेकिन बंगाल और झारखंड में नहीं रुक रहा है.
अमित शाह ने आरोप लगाया कि कुछ राज्य सरकारें इन घुसपैठियों को वोटबैंक के तौर पर देखती हैं और इस वजह से इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहीं. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि देश की सुरक्षा क्या राज्य सरकारों की जिम्मेदारी नहीं है? अमित शाह ने कहा कि राज्य सरकारों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने पटवारी, पुलिस और कलेक्टर को सतर्क करें.
केंद्रीय गृहमंत्री ने असम का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां घुसपैठ को रोक दिया गया है, लेकिन पश्चिम बंगाल और झारखंड में यह समस्या अभी भी जारी है. अमित शाह ने कहा कि बंगाल और झारखंड में सरकारें वोटबैंक की राजनीति कर रही हैं. इन सरकारों को चिंता है कि उनके वोटबैंक पर असर न पड़े.
अमित शाह ने कहा कि मैंने अपने जीवन में इतनी निचले स्तर की राजनीति नहीं देखी. उन्होंने सवाल किया कि राज्य सरकारें अपने प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदारी क्यों नहीं देतीं?