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संविधान की शपथ लेने वाला कोई शख्स समान नागरिक संहिता का विरोधी नहीं हो सकताः आरिफ मोहम्मद खान

एजेंडा आजतक कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि संविधान की शपथ लेने वाला कोई शख्स समान नागरिक संहिता का विरोधी कैसे हो सकता है. राज्यपाल ने कहा कि यूसीसी का मकसद है कि शादी के नतीजे में जो अधिकार और कर्तव्य पैदा होते हैं, उसमें अगर शिकायत है तो न्याय की यूनिफॉर्मिटी पैदा करने के लिए ताकि सभी को जस्टिस मिल सके.

एजेंडा आजतक में शिरकत करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान. एजेंडा आजतक में शिरकत करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:44 PM IST

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एजेंडा आजतक कार्यक्रम में कहा कि संविधान की शपथ लेने वाला कोई शख्स समान नागरिक संहिता का विरोधी नहीं हो सकता है. उन्होंने बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मकसद क्या है. 

राज्यपाल ने कहा कि पहले तो समझना चाहिए कि यूसीसी क्या है. कोई भी आदमी, जिसने संविधान की शपथ ली है, वो ये कहेगा कि नहीं आनी चाहिए तो क्यों शपथ ली है, जिसमें साफ-साफ लिखा गया है. लोगों के दिमाग में इसको लेकर डर पैदा किया गया है. 

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सिविल कानून, उसमें किसी काम को कराने के लिए सजा का प्रावधान नहीं होता है. बात सिर्फ इतनी सी है कि मानिए हिंदू कोड पहले से हैं, हिंदुओं, सिखों, जैनों के लिए सिविल कोड है. क्या सबके अंदर समानता पैदा हो गई. इसका मकसद ही नहीं है समानता पैदा करना. हम गर्व से कहते हैं कि हमारे देश विविधता से भरा हुआ है. हमारे मनीषियों ने विचारकों ने विविधताओं को एकता को मजबूत करने का हमेशा स्त्रोत माना है. इसलिए जो चीज फैलाई जाती है वो एकदम गलत है.  

रस्म-रिवाज के लिए नहीं है यूसीसी: खान

मानिए यूनिफॉर्म सिविल कोड आ गया क्या वो ये कहेगा कि मुस्लिम लॉ में जो बीबी को महर देना होता है और मैरिज से पहले देना है तो कानून ये कहेगा कि मत दो, ऐसा नहीं है. यूपी में रिवाज और हैं, महाराष्ट्र में और हैं. यूसीसी शादी के रस्म, रिवाज की समानता पैदा करने के लिए नहीं हैं बल्कि इसलिए है कि शादी के नतीजे में अधिकार और कर्तव्य पैदा होते हैं, उसमें अगर शिकायत है तो न्याय की यूनिफॉर्मिटी पैदा करने के लिए ताकि सभी को जस्टिस मिल सके. 

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कई लोग दूसरी शादी के लिए मुस्लिम हुए: खान

राज्यपाल ने कहा कि कई लोग दूसरी शादी के लिए मुस्लिम हो गए, लेकिन जबतक पहली बीबी शिकायत न करे तब तक कोई कार्रवाई नहीं क्योंकि सिविल लॉ की परिभाषा ही ये है. जब तक उसमें प्रभावित पार्टी उसकी शिकायत न करे तो तब तक कुछ नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि शादीशुदा शख्स लिवइन में रह रहे हैं तो आपके कुकर्मों की सजा उन बच्चों को नहीं दी जा सकती, जो आपके साथ रहने के कारण पैदा हुए. न्याय की समानता, न्याय सबको समान रूप से मिलना चाहिए. 

यूसीसी को लेकर फैलाया जाता है प्रोपेगेंडा

उन्होंने कहा कि ये प्रोपेगैंडा फैलाया जाता है कि अगर कानून लागू हुआ तो महर देने की इजाजत नहीं होगी, मुर्दे को दफन करने की इजाजत नहीं होगी. ऐसा कुछ नहीं है. कुरान में भी लिखा है कि शादी उनसे करो, जिनकी पहले कभी शादी नहीं हुई. ये मर्द और महिला दोनों के लिए है.

 

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