
Agenda Aajtak 2021: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को 'एजेंडा आजतक' के मंच पर उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा जाता है कि सरकार दूसरे विचारों को नहीं सुन रही है. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा वही लोग बोलते हैं, जो हमेशा यही कहते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है. मालूम हो कि केंद्र सरकार पर विपक्षी दल के नेताओं समेत कई अन्य लोग दूसरी विचारधाराओं के लोगों को न बोलने देने का आरोप लगाते रहे हैं.
नई दिल्ली में आयोजित किए गए कार्यक्रम में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ''जो आरोप लगाते हैं कि सरकार दूसरे विचार वालों को नहीं सुन रही है. यह वही लोग बोल रहे हैं, जोकि सबसे ज्यादा बोलते हैं. देश में वही लोग सबसे ज्यादा बोलते हैं तो सवाल उठता है कि फिर कहां रुकावट है और किसकी आवाज बंद की जा रही है? जो टीवी, न्यूजपेपर, सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा बकवास करते हैं, वे ही बोलते हैं कि बोलने नहीं दिया जा रहा है. संविधान के प्रति आस्था और जो इज्जत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दी है, वह किसी और प्रधानमंत्री ने नहीं दी है.''
उन्होंने आगे कहा कि इसके बाजवूद भी ऐसा इल्जाम लगाया जाता है. यह बहुत दुख की बात है कि लोग हवा में लोग उछाल देते हैं और कहते हैं कि हम लोग डेमोक्रेटिक प्रिंसिपल को नहीं मानते हैं. ये वही लोग उल्टा इल्जाम लगाते हैं जो अराजकता पैदा करना चाहते हैं. राष्ट्रद्रोह कानून पर बात करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि परिस्थिति के हिसाब से कानून बनाया जाता है. अब किसी देश में सेडिशन का कोई कानून नहीं है और फिर भारत को लेकर कहा जाएगा कि ऐसा कानून भारत में भी नहीं हो तो यह कहूंगा कि हर देश का अपना पैमाना, इतिहास और परिस्थिति होती है. भारत इतना बड़ा और प्राचीन है, उसकी किसी अन्य देश के साथ तुलना नहीं की जानी चाहिए. किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि राज्यसभा में मैंने कहा था कि सेडिशन के प्रोविजन और भी स्पेसिफिक होना चाहिए. वह सरकार का मानना था, इसलिए मैंने कहा. लेकिन आज जब मैं गृह मंत्रालय में नहीं हूं तो मैं यहां उस विषय में नहीं कह सकता हूं.
'कानून मंत्री के हिसाब से क्या हैं चुनौतियां?'
इस सवाल पर किरेन रिजिजू ने जवाब दिया कि सभी का नजरिया इस पर अलग-अलग है. मेरे नजरिए से जो चार करोड़ से ज्यादा पेंडिंग केसेस हैं, वे चुनौती हैं. मैंने पहले ही कहा है कि जस्टिस टू-द पीपल एंड जस्टिस डिलिविरी मैकेनिज्म, दोनों को ही सोचना चाहिए. आम आदमी और न्याय के बीच में फासला बहुत कम होना चाहिए. यदि भारत का कोई भी इंसान इंसाफ के लिए तड़पता है और रुपये-पैसे खर्च करके भी इंसाफ नहीं मिलता है तो फिर हमारे लिए चिंता की बात है. तेज गति से काम को आगे कैसे बढ़ाना है, यह सरकार की जिम्मेदारी है.'' उन्होंने आगे कहा कि लोवर ज्यूडिशियरी में 90 फीसदी से ज्यादा पेंडिंग केसेस हैं. हमने अभी नौ हजार करोड़ रुपये के लिए मंजूरी दी है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि समय पर इसका उपयोग क्वालिटी, क्वांटिटी ऑन टाइम कैसे हो. लोअर लेवल के कोर्ट में स्थिति ठीक नहीं है.