
Agenda Aaj Tak 2023: एजेंडा आजतक 2023 कार्यक्रम के सेशन भारतीयता का पाठ में मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से जब पूछा गया कि क्या इतिहास की किताबों में से मुगलों के चैप्टर हटाएं जाएंगे तो इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है. अब तक कक्षा दूसरी तक की पाठ्यपुस्तक छप चुकी है, जिसे जादुई पिटारा नाम दिया गया है. वहीं क्लास 3 से 12वी तक की किताबों पर अभी काम चल रहा है इसलिए ये कहना उचित नहीं है कि हम इतिहास से छेड़छाड़ कर रहे हैं.
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तिलक जी ने बताया था कि हमारे वेद भारत के सबसे पुराने ग्रंथ हैं, जो करीब 8000 साल पुराने हैं. उन्हीं वेदों की एक उपज गीता है. हमारे देश का इतिहास 1000 साल नहीं बल्कि उससे भी ज्यादा पुराना है. हमारा इतिहास सिर्फ मुगलों से ही नहीं जुड़ा बल्कि उसमें कई ऐसे तथ्य हैं, जिनके बारे में हम नहीं जानते. इसलिए ये जरूरी है कि हम अपने बच्चों को उसके बारे में भी पढ़ाएं.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि हाल ही में तेलांगना में एक ट्राइबल यूनिवर्सिटी का नाम सम्मक्का सरक्का यूनिवर्सिटी रखा गया है. दरअसल सम्मक्का सरक्का आदिवासियों का मेला है और इस बारे में लोग जानें इसलिए हमने यूनिवर्सिटी को ये नाम दिया है. ऐसा करने के पीछे हमारी मंशा किसी को छोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने की है.
वहीं धर्मेंद्र प्रधान ने बाजीराउत नाम के क्रांतिकारी के बारे में बताते हुए कहा कि वो ओडिशा में रहने वाला 14 साल का लड़का था, जिसनें अंग्रेजों को नदी पार नहीं करवाई थी और बदले में अंग्रेजों ने उसे गोली मार दी थी. ऐसे गौरवशाली व्यक्ति का हमारे इतिहास में जिक्र ही नहीं है और हम यही चाहते हैं कि लोग ऐसे लोगों के बारे में जानें.
केंद्रीय मंत्री का कहना है कि हमारा इतिहास आज भी मैकाले पद्धति के षडयंत्र में फंसा हुआ है, जिसे हमें बदलना होगा. उन्होंने बताया कि ईरान में भी भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की किताबों का अनुवाद करके पढ़ा जा रहा है. हमारे देश में कुछ लोग 21वीं सदी में भी मैकाले पद्धति से जी रहे हैं. लेकिन हमारा भारत एक प्रजातांत्रिक देश है इसलिए हमें पूरा अधिकार है कि हम अपनी शिक्षा नीति में जरूरी बदलाव करें.