
कोरोना की वजह से बड़े-बड़े संपन्न देश भी परेशान हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद इस महामारी पर काबू नहीं पाया जा सका है. अमेरिका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन जैसे देशों में मौत के बढ़ते आंकड़ों को देख हर कोई सकते में है. लेकिन इन सबके बीच भारत के लिए राहत की खबर है कि वहां की तुलना में भारत में कोरोना की रफ्तार अभी कम है.
आजतक के खास कार्यक्रम 'ई-एजेंडा आजतक' में कोरोना वायरस को लेकर भारतीय मूल के विदेशी डॉक्टरों से बात की गई है. जिसमें कई तथ्य उभरकर आए. लेकिन सभी डॉक्टरों ने अबतक भारत के उठाए कदम की सराहना की. इसी कड़ी में सेंट माइकल अस्पताल शंघाई के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संजीव चौबे से भी बात हुई. उन्होंने कहा कि भारत के साथ कुछ फैक्टर है, जिस वजह से कोरोना कुछ इलाकों में तेजी से नहीं फैल रहा है.
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लॉकडाउन भारत के लिए जरूरी
डॉ. संजीव चौबे का कहना है कि कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है. इसलिए लॉकडाउन बेहद जरूरी कदम था और भारत ने एक तरह से सही वक्त पर सही फैसला लिया. क्योंकि चीन और भारत में बड़ी आबादी है और बिना लॉकडाउन इस पर लगाम संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि हाटस्पॉट इलाकों में लॉकडाउन के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिए.
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इन राज्यों में कोरोना काबू में
इसके अलावा डॉ. संजीव चौबे ने बताया कि भारत के कुछ राज्यों में कोरोना का असर बेहद कम हैं. उन्होंने बिहार, ओडिशा और झारखंड का जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'जिन इलाकों में मलेरिया के मामले ज्यादा सामने आते हैं, वहां कोरोना का असर कम हो रहा है.' डॉ. संजीव चौबे की मानें तो इस बात का गवाह आंकड़े हैं, जो कोई भी देख सकता है. इन राज्यों में मलेरिया का ज्यादा प्रसार रहता है. यही नहीं, दुनिया के उन देशों में कोरोना का फैलाव कम रहा है, जहां मलेरिया आम बीमारी है.
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इसके अलावा उन्होंने बताया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का चीन में प्रयोग किया जा रहा है. लेकिन जो मरीज वेंटिलेटर पर होता है. उस पर कम असर होता है. इसलिए अभी कोरोना का कोई सटीक इलाज का दावा नहीं किया जा सकता.