
आजतक G-20 समिट में केंद्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने 2014 में अमेठी चुनाव में राहुल की जीत का किस्सा सुनाया. स्मृति ने कहा, 2014 लोकसभा चुनाव में जब मैं अमेठी लड़ने गई तो मेरे पास प्रचार के लिए सिर्फ 30 दिन से भी कम समय था. ये आज सार्वजनिक कहने में मुझे कोई झिझक नहीं कि उस वक्त उन 30 दिनों में मेरे पास 60 प्रतिशत बूथों पर कोई कार्यकर्ता नहीं था टेबल लगाने के लिए. उस वक्त मुलायम सिंह यादव का एक इंटरव्यू हुआ था आजतक पर. मुलायम सिंह जी ने कहा कि मुझे सोनिया गांधी जी के माध्यम से फोन आया है और कहा गया कि राहुल गांधी की मदद कर दो. एक लाख वोट मैंने ट्रांसफर कर दिया.
स्मृति ने आगे कहा, जब मैं 2014 में हारी तो फर्क सिर्फ एक लाख 5 हजार वोटों का था. अगर वाकई में मुलायम सिंह यादव जी मदद नहीं करते तो सिर्फ 5 हजार वोटों का फर्क रह गया था. उसके बाद 2019 का चुनाव आया तो किसी सर्वे में यह नहीं कहा गया कि मैं चुनाव जीत रही हूं. 2019 में जब लड़ने गए और 55120 वोटों से जीते. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर वोटों को देखें तो पांच दशक से गांधी खानदान ने जितने वोट पाए- प्रत्येक चुनाव में. उससे ज्यादा वोट मैंने 2019 में हासिल किए. फर्क सिर्फ इतना है कि बीजेपी अकेली लड़ रही थी और गांधी खानदान, सपा-बसपा के समर्थन से चुनाव लड़ रहा था. क्योंकि मैं चाहती हूं कि लोग यह बात समझें.
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'2019 के बाद अमेठी में बीजेपी का जनाधार बढ़ा'
2019 में जीतने के बाद बीजेपी ने अमेठी में वो चुनाव भी जीते, जो कभी नहीं जीत पाए. अमेठी में जिला पंचायत का चुनाव पहली बार जीते. गौरीगंज और मुसाफिर खाना इलाके में बीजेपी कभी नहीं जीती, वहां हम जीते. बीजेपी के दो एमएलसी हैं. एमएलसी के चुनाव में पहली बार किसी सांसद ने वोट किया और वो मैं थी. कोऑपरेटिव का चुनाव हुआ. शायद ही किसी को पता हो कि मैं रायबरेली की दिशा कमेटी की चेयरमैन भी हूं. सोनिया जी को-चेयरमैन हैं. कोऑपरेटिव चुनाव में हम रायबरेली जीते. सुल्तानपुर-अमेठी जीते. 2022 के चुनाव में प्रियंका यूपी की प्रभारी थीं. दो हजार बूथों तक 10-10 तक कार्यकर्ता थे.
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'संसद कोई गली-नुक्कड़ नहीं...'
स्मृति ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला. संसद के भाषण में गुस्से में रहने के सवाल पर कहा, कैमरे हमारे ऊपर फोकस है. कैमरे के पीछे अगर कोई दुर्व्यहार करता है या ऐसे शब्दों का चयन करता है तो यह हमें स्वीकार नहीं है. अगर आप एक 72 साल के व्यक्ति की 100 साल की मां को गालियां देंगे और ये मानेंगे कि मैं कैमरे के सामने बैठी हूं, इसलिए मुझे मुस्कुराना पड़ेगा... तो यह संभव नहीं है. संसद संविधान की सबसे सम्मानित पीठ है. वहां महिलाओं को लेकर कानून बनता है. वो कोई गली-नुक्कड़ नहीं था और क्या गली-नुक्कड़ में भी कोई महिला के साथ ऐसा व्यवहार कर सकता है?
'देश में महिला के नेतृत्व में विकास हो सकता है...'
देश में पहले यह सोच ही नहीं थी कि महिला के नेतृत्व में विकास हो सकता है. देश में किसी महिला ने नेता से नहीं कहा कि हमारे लिए एक टॉयलेट बनवा दो. या एक रुपए का सैनेटिरी पैड बनवा दो. पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से डंके की चोट पर महिला संबंधित विषयों पर बात की. मैंने 9 सालों में शिक्षा, टैक्सटाइल में योगदान दिया. कोविडकाल की शुरुआत में हमें पता था कि सप्लाई चैन प्रभावित होगी. तब हिंदुस्तान के पास ना रोमैटेरियल था. ना कोई तकनीकि. मार्च 2020 में गाइडलाइन आई और लॉकडाउन लग गया. हमने पूरी मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस को लगाया. हमने काम करके दिखाया. यह इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि हमारे देश के प्रधानमंत्री को एक महिला के काम पर भरोसा था. हमने विषम परिस्थिति में काम करके दिखाया.
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'महिलाओं को सशक्तिकरण की दृष्टि से देखा जा रहा'
जी 20 समिट में भारत महिलाओं के योगदान को आगे लेकर आया है. आज हिंदुस्तान की महिला सिर्फ अबला नारी नहीं है, बल्कि वह इसरो की लीड सांइटिस्ट भी है और एक मां भी है. मुझे इस बात का गर्व है कि जी-20 ग्रुप को बोला कि अगर आप अपने देश को विकसित करना चाहते हैं तो महिलाओं को वैनिफिशल या मार्जिन के लिए नहीं, बल्कि सशक्तिकरण की दृष्टि से देखा जाए. हमने पहली बार जी-20 में महिला को केंद्र में रखा है.
इससे पहले स्मृति ने कहा, आज हम इतिहास के ऐसे मोड़ पर है, जहां से आगे का मार्ग तलाशना है. नवभारत के निर्माण के लिए वैश्विक स्तर पर उपलब्धियां पाने का समय है. मुश्किलों को पार करके आगे बढ़ा जा सकता है, ये बात हम परख चुके हैं. पीएम मोदी के नेतृत्व में कह सकते हैं कि यही समय है, सही समय है.
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