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PM पद के लिए तेजस्वी का इशारा क्या राहुल गांधी की तरफ है?

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का ये फॉर्मूला कि जिस पार्टी की सबसे ज्यादा सीटें आएंगी उसका पीएम होगा. ये कांग्रेस को अपने पक्ष में नजर आ रहा है और कहीं न कहीं वह भी राहुल गांधी के लिए संकेत कर रहे हैं.

राहुल गांधी के साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव राहुल गांधी के साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

इंडिया टुडे के प्रोग्राम माइंड रॉक्स के मंच पर शनिवार को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पहुंचे.  महागठबंधन की ओर से 2019 में पीएम पद पर कौन होगा इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जिस भी पार्टी की सबसे ज्यादा सीटें आएंगी, उस पार्टी प्रधानमंत्री बनेगा.

तेजस्वी का ये फॉर्मूला जहां कांग्रेस को अपने पक्ष में नजर आ रहा है. वहीं, महागठबंधन में शामिल होने वाले छत्रपों को भी निराश नहीं कर रहा है.

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तेजस्वी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जिस पार्टी को ज्यादा सीटें मिलेंगी वही पीएम पद की दावेदारी पेश करेगी, अगर हमें ज्यादा सीटें मिलीं तो हमारी पार्टी पीएम पद के लिए दावा पेश करेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी यही बात कही है.

बता दें कि मई 2018 में राहुल गांधी ने कहा था कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिलता है, तो वह प्रधानमंत्री बनेंगे. ऐसा ही बयान एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने भी दिया था.

पवार ने कहा था कि पहले चुनाव होने दीजिए और बीजेपी को सत्ता से बाहर कीजिए. इसके बाद फिर हम सब साथ बैठेंगे और जिस पार्टी की सीट सबसे ज्यादा होंगी, वो पीएम पद के लिए दावा पेश कर सकता है.

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होने की कोशिश में जुटा है, लेकिन अभी तक गठबंधन का स्वरूप तय नहीं हो सका है. इतना ही नहीं, पीएम पद की उम्मीदवारी पर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है.

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यूपीए के सहयोगी दलों के द्वारा दिए जा रहे इस फॉर्मूले के लिहाज से देखा जाए को विपक्ष की ओर से सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं. महागठबंधन का हिस्सा बनने वाली पार्टी में सबसे ज्यादा सीटें फिलहाल कांग्रेस के पास हैं.

इतना ही नहीं, बाकी दलों की तुलना में भी कांग्रेस का आधार ज्यादा है. क्षेत्रीय दलों का आधार जहां अपने-अपने राज्यों तक सीमित हैं. बिहार की ही बात की जाए तो वहां लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. ऐसे में आरजेडी यहां अपना सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बाद भी सबसे बड़ी पार्टी बनने की स्थिति में नहीं पहुंच पाएगी. वहीं, ऐसे ही समीकरण तृणमूल कांग्रेस के सामने भी हैं.

यूपी में मायावती की बात की जाए तो गठबंधन की स्थिति में उनकी पार्टी कुल 80 में से आधी से ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाएगी. ऐसे में वो भी क्या पीएम पद की दावेदारी लायक सीटें जीत पाएंगी, इस पर भी सवाल है. जबकि दूसरी तरफ राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस कई राज्यों में मजबूत स्थिति में है. यहां तक कि 2014 में उसने सबसे खराब प्रदर्शन में भी 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जो 2018 आते-आते उपचुनाव में जीत मिलने से 48 तक पहुंच गई है.

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इस लिहाज से 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बाकी दलों की तुलना में ज्यादा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरेगी. कांग्रेस ने 200 प्लस सीटें जीतने का टारगेट फिक्स किया है. ऐसे में निश्चित रूप से कांग्रेस की सहयोगी दलों से ज्यादा सीटें आएंगी. इस फॉर्मूले के लिहाज से कांग्रेस की दावेदारी सबसे मजबूत होगी. यही वजह है कि तेजस्वी का फॉर्मूला कहीं न कहीं कांग्रेस राहुल गांधी की ओर संकेत कर रहा है.

बता दें कि महागठबंधन के क्षत्रप फिलहाल इस मूड में नजर आ रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बिना किसी चेहरे को आगे किए हुए मैदान में उतरा जाए और बीजेपी को मात दी जाए. इसके बाद पीएम पद को लेकर माथा-पच्ची की जाए.

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