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45 मिनट में 10 करोड़ की फंडिंग, 5 साल में बनाए 750 करोड़... पवन चांदना ने बताई स्काईरूट की पूरी कहानी

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में इंडिया टुडे के माइंडरॉक्स यूथ समिट में स्काईरूट एयरस्पेस के फाउंडर पवन कुमार चांदना ने शिरकत की. कार्यक्रम में उन्होंने अपने संघर्ष, इसरो के अनुभव और स्काईरूट की शुरुआत पर बात की. पवन ने फंडिंग और थ्री-डी प्रिंटर से रॉकेट इंजन बनाने के उनके प्लान के बारे में भी बताया.

पवन चांदना, स्काईरूट के फाउंडर पवन चांदना, स्काईरूट के फाउंडर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में इंडिया टुडे के माइंडरॉक्स यूथ समिट का आगाज हो चुका है. आज के कार्यक्रम में शिरकत करने वाले खास मेहमानों में स्काईरूट एयरस्पेस के फाउंडर पवन कुमार चांदना भी पहुंचे. वह देश के पहले ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने प्राइवेट रॉकेट लॉन्च किया है.

इंडिया टुडे के कार्यक्रम 'डेयर टू ड्रीम' में उन्होंने तमाम पहलुओं पर बात की, और ये भी बताया कि वह पढ़ने में और खासतौर पर मैथ्स में कमजोर थे लेकिन कैसे उन्होंने सुधार किया, आईआईटी खड़गपुर पहुंचे और आज रॉकेट बनाने के अपने सपने को साकार किया.

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इसरो में किया काम, फिर दोस्त संग बनाया स्काईरूट

पवन ने ISRO में भी काम किया है और फिर अपने दोस्त के साथ मिलकर स्काईरूट की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि उनकी ऐसी कोई प्लानिंग नहीं थी कि वह एक रॉकेट लॉन्चर कंपनी बनाएंगे, हां लेकिन स्पेस-रॉकेट वगैरह में दिलचस्पी थी. पवन जीएसएलवी प्रोजेक्ट का भी हिस्सा रहे हैं, जो कि इसरो का तीसरा सबसे बड़ा रॉकेट लॉन्चर है.

पवन चांदना ने फंडिंग मिलने की कहानी भी इंडिया टुडे से शेयर की और बताया कि कैसे उन्हें पहली फंडिंग मिली थी. उन्होंने बताया कि वह रोज लंबा ट्रैवल करके बेंगलुरु आते थे.

45 मिनट की मिटिंग में मिली 10 करोड़ की फंडिंग

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पवन ने बताया कि 45 मिनट की मीटिंग में उन्हें दस करोड़ रुपये का चेक मिल गय था. पवन ने बताया कि वह इसके लिए काफी खुश थे कि इन्वेस्टर उनके इनोवेशन में इन्वेस्टमेंट के लिए राजी हो गए. उन्होंने बताया कि पांच साल में उनकी कंपनी ने 750 करोड़ रुपये रेज किए हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी का फ्यूचर प्लान ये है कि आगे फ्लाइट लेकर स्पेस में भेजने जैसे उनकी कंपनी के विजन हैं.

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स्काईरूट के फाउंडर ने बताया कि उनकी कंपनी रॉकेट के इंजन बनाने के लिए थ्री-डी प्रिंटर का इस्तेमाल करने जा रही है. मसलन, इससे रॉकेट इंजन की जल्द मैन्यूफैक्चरिंग सुनिश्चित की जा सकेगी. जहां इंजन के डिजाइन में महीनों लगते हैं, उसे महज कुछ दिनों में पूरा किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि वह अगले कुछ महीने में एक और रॉकेट 'विक्रम-1' लॉन्च करने वाले हैं.

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