
Red Fort Attack 2000: दिसंबर 2000 में लाल किले में हुए आतंकी हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक को फांसी पर लटकाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने उसकी रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी है.
चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने उसकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस और कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड को नहीं भी माना जाए, तो भी उसकी सजा को बरकरार रखने के काफी सबूत हैं.
मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक पाकिस्तानी नागरिक है, जो लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी है. ट्रायल कोर्ट ने अक्टूबर 2005 में उसे फांसी की सजा सुनाई थी. उसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा है. हालांकि, अभी उसकी फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं हुई है.
क्या हुआ था लाल किले में?
- 22 दिसंबर 2000 को लश्कर-ए-तैयबा के 6 आतंकी लाल किले में घुस आए थे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी. लाल किले पर हुए इस अटैक में सेना के दो जवान समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी.
- इस आतंकी हमले में राइफलमैन उमा शंकर तो मौके पर ही शहीद हो गए थे. जबकि, नायक अशोक कुमार ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था. अब्दुल्ला ठाकुर नाम के शख्स की भी इस हमले में मौत हो गई थी.
इस मामले में कब-कब क्या हुआ?
- 26 दिसंबर 2000: हमले के चार दिन बाद पाकिस्तानी नागरिक अशफाक और उसकी पत्नी रहमाना युसुफ को दिल्ली के जामिया नगर इलाके से गिरफ्तार किया गया था.
- 20 फरवरी 2001: दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की. इसमें अशफाक के अलावा 21 और लोगों को आरोपी बनाया गया था.
- 11 सितंबर 2001: 8 आरोपियों को भगोड़ा घोषित कर दिया गया, जबकि तीन आरोपी एनकाउंटर में मारे जा चुके थे. 22 में से 11 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चला.
- 24 अक्टूबर 2005: ट्रायल कोर्ट ने अशफाक समेत 7 आरोपियों को दोषी ठहराया. अशफाक को फांसी की सजा सुनाई गई, जबकि उसकी पत्नी को 7 साल की सजा मिली. दो दोषी- नाजिर अहमद कासिद और फारूक अहमद कासिद को उम्रकैद की सजा हुई. बाकी तीन दोषियों- बाबर मोहसिन, सदाकत अली और मतलूब आलम को 7 साल की जेल की सजा सुनाई गई.
- 10 जुलाई 2006: ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने मंजूर की.
- 13 सितंबर 2007: दिल्ली हाई कोर्ट ने अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा. बाकी के 6 दोषियों को बरी कर दिया.
- 10 अगस्त 2011: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. 28 अगस्त 2011 को अशफाक की रिव्यू पिटीशन भी खारिज कर दी गई. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये भारत माता पर हुआ हमला है. वो एक विदेशी नागरिक है, जो गलत तरीके से भारत में घुसा था और भारतीय सैनिकों पर बिना कारण ही हमला करके हत्याएं कीं. इसलिए सजा-ए-मौत ही एकमात्र सजा है.
- 28 अप्रैल 2014: सुप्रीम कोर्ट ने अशफाक की फांसी की सजा पर रोक लगा दी.
- 2 सितंबर 2014: सुप्रीम कोर्ट ने अशफाक की रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी.
- 19 जनवरी 2016: अशफाक की फांसी की सजा के खिलाफ दायर रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हुआ.
- 3 नवंबर 2022: चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी और उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा.
क्या अब अशफाक की फांसी तय है?
- अभी भी अशफाक के सामने दो रास्ते हैं. सुप्रीम कोर्ट से रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद वो क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर सकता है.
- अगर वो ऐसा करता है और क्यूरेटिव पिटीशन भी खारिज हो जाती है, तो उसके पास राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करने का अधिकार भी है.
चौथा आतंकी होगा, जिसे फांसी होगी
- अगर अशफाक को फांसी हो जाती है, तो वो चौथा आतंकी होगा जिसे सजा-ए-मौत मिलेगी. अशफाक से पहले मुंबई हमले को अंजाम देने वाले अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई थी.
- कसाब के बाद 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को फांसी हुई थी. अफजल गुरु दिसंबर 2001 में हुए संसद हमले का मास्टरमाइंड था. इसके बाद 30 जुलाई 2015 को याकूब मेमन को फांसी पर लटकाया गया था. याकूब मेमन 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड था.