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आदिपुरुष: लंबी दाढ़ी थी, या क्लीन-शेव्ड था रावण? क्यों साफ चेहरे के लिए खून-खच्चर मचा देता था ये राजा

फिल्म Adipurush लगातार विवादों में है. खासकर रावण बने सैफ का दाढ़ी-मूंछ लुक किसी को पसंद नहीं आ रहा. अब इसे डिजिटली बदला जाएगा. टेक्नोलॉजी से मूवी में तो दाढ़ी गायब हो जाएगी, लेकिन प्राचीन वक्त में जब शेविंग किट नहीं थी, तो भी पुरुष क्लीन-शेव होने के लिए तिकड़म लगाते. यहां तक कि इस कोशिश में लहुलुहान तक हो जाते.

सैफ अली खान और रोम के शासक सीजर सैफ अली खान और रोम के शासक सीजर
मृदुलिका झा
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

रोम के पहले आधिकारिक शासक सीजर अगस्त साज-सज्जा के भारी शौकीन हुआ करते. वे रोज चेहरे से दाढ़ी-मूंछें हटवाते. तब रेजर तो था नहीं, न ही इस काम के लिए अलग से लोग हुआ करते. तो तय ये हुआ कि राजा को पोशाक पहनाने वालों पर ही उनके चेहरे की सफाई करें. ये लोग पहले राजा के चेहरे को गुलाबजल, या दूध-मलाई से मुलायम बनाते. इसके बाद समुद्र की सीपियों और प्यूमिस स्टोन से धीरे-धीरे रगड़ाई शुरू होती. 

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खरोंच आने पर भी मौत की सजा मिलती 
जरा भी खून आया कि सिर धड़ से अलग हो जाता. अमूमन शांति-पसंद इस राजा के दौर में यही अकेली बात थी, जो प्रजा को परेशान करती थी. कहा तो ये तक जाता है कि केवल इसी काम के लिए सैकड़ों लोगों को रखा गया. खून निकलने पर जैसे ही एक की गर्दन उड़ती, दूसरा काम शुरू कर देता था. 

किशोरावस्था आते ही चेहरे की सफाई शुरू हो जाती
खैर, मुलायम-साफ चेहरे का ये शौक राजा, और फिर सेना से होते हुए प्रजा तक भी पहुंच ही गया. तब रोम में शुरू हुई एडल्टहुड पार्टी. 14 बरस के होते-न होते रोमन पुरुष पर दबाव बनने लगता कि वो अपने चेहरे को साफ करवाए ताकि आगे चलकर दाढ़ी न आ सके. देश के तमाम बड़े शहरों में सैलून की तर्ज पर दुकान खुल गईं, जिन्हें टॉन्सोर कहा जाता. ये मेल-मुलाकात का भी अड्डा हुआ करतीं. जवान हो रहे लड़के को यहां लाया जाता और पूरी शिद्दत से उसके चेहरे की सफाई होती. फिर खून रोकने के लिए औषधियों और इत्र का लेप लगता. इसके बाद दावत हुआ करती थी, जो इस बात का एलान थी कि फलाने घर का बच्चा अब युवक हो चुका.  

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ग्रीस में मातम में ही लोग दाढ़ी हटवाते
इधर पास के ही एक देश ग्रीस में दाढ़ी रखना स्टेटस सिंबल था. दाढ़ी के एक बाल का टूटना भी वहां अपमान की तरह देखा जाता. ठीक वैसे ही जैसे आज से 5 दशक पहले हिंदुस्तान में दाढ़ी का बाल गिरवी रखकर लोग सोना-चांदी उधार लिया करते थे. दाढ़ी का बाल देना, यानी सबसे बड़ा वादा. प्राचीन ग्रीस में ये दाढ़ी तभी कटवाई जाती थी, जब घर में किसी की मौत हो जाए, या कोई बड़ा दुख आ पड़े. 

सैनिक के पास तलवार सजे, दाढ़ी नहीं
हां, सिंकदर के सत्ता में आने के बाद दाढ़ी को लेकर ये फितूर एकदम से चला गया. दरअसल दुनिया जीतने की ख्वाहिश रखने वाले सिकंदर ने सैनिकों को दाढ़ी हटाने का आदेश दे दिया. उसका कहना था कि दाढ़ीदार सैनिक दुश्मन की पकड़ में आसानी से आ सकता है. 

इंफेक्शन से होने लगी मौत
यहीं से सीपियों की जगह किसी ऐसी चीज की खोज होने लगी, जो आसानी से और कम वक्त में दाढ़ी-मूंछ हटा सके. तब बना नोवेसिला. ये लोहे का स्ट्रक्चर हुआ करता, जिसमें पकड़ने के लिए अंगुलियों के आकार के छेद होते. इससे शेविंग आसान हो गई, लेकिन बहुत से सैनिक इंफेक्शन से मरने लगे. हालांकि ये समझने में काफी वक्त लगा कि दाढ़ी की जगह पर मामूली सी खरोंच से भी लंबे-चौड़े आदमी की जान जा सकती है. इसी दौर में दुनिया के कई हिस्सों में बढ़िया रेजर बनाने की तैयारी हो रही थी. सोने के रेजर भी बनने लगे थे. 

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वो आइडिया, जिसने बदल दी दुनिया
आखिरकार 19वीं सदी के आखिर में अमेरिकी बिजनेसमैन किंग कैंप जिलेट सेफ्टी रेजर का आइडिया लेकर आए. साल 1903 में बाजार में शेविंग किट आने लगी. पहले साल 51 रेजर और 168 सेप्टी ब्लेड बिके, लेकिन दूसरे ही साल में इसके लाख का आंकड़ा पार कर लिया. इसके बाद से रेजर अमेरिका को पार करते हुए हर देश तक पहुंचने लगा. तब इसका स्लोगन था- द बेस्ट ए मैन कैन गेट! 

बेहद बड़ा है रेजर मार्केट
बाजार को देखने वाली कंपनी फ्यूचर मार्केट इनसाइट्स की मानें तो साल 2021 में पूरी दुनिया का रेजर मार्केट 3 हजार मिलियन डॉलर से भी ज्यादा का था. रेजर-ब्लेड की खोज वैसे तो दाढ़ी हटाने के लिए हुई थी, लेकिन औरतें भी इसका इस्तेमाल करने लगीं. वे हाथ-पैरों से बाल हटाने के लिए इसे काम में लाने लगीं. एक स्टडी की मानें तो महिलाएं इस काम में पुरुषों से ज्यादा वक्त खर्च करती हैं. एक महिला जिंदगी के लगभग 72 दिन इसी पर लगाती है, जबकि पुरुष औसतन 45 दिन.

महिलाएं लगती हैं ज्यादा समय और पैसे
अमेरिकी लेखिका रेबेका एम हर्जिंग की किताब प्लक्ड- हिस्ट्री ऑफ हेयर रिमूवल में खुलकर लिखा गया है कि महिलाएं इसपर कितना समय और कितना पैसा खर्च करती हैं. ये बात अलग है कि उनपर बे-बाल होने का दबाव पुरुषों से कहीं ज्यादा है. यहां तक कि होटल और एयरलाइंस इंडस्ट्री में वैक्स करने से मना करने पर लड़कियों की नौकरी तक जा सकती है. इसपर बात कभी और! 

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तो क्या रावण के दाढ़ी हुआ करती थी?
वाल्मीकि रामायण के उत्तर खंड 9.33 के अनुसार रावण का असल नाम दशग्रीव था क्योंकि उसके 10 सिर थे. आगे के चैप्टर्स में बताया गया है कि 10 हजार सालों तक तपस्या करने के दौरान उसने अपने 9 सिरों का बलिदान दे दिया. चैप्टर 16.37 में रावण के नख-शिख का वर्णन मिलेगा, जैसे वो गंगा में आराम कर रहे बलवान हाथी की तरह दिखता था. तपस्या के कारण चेहरा सोने की तरह दमकता और हाथ रक्त चंदन के लेप से लाल रहते थे. तो कुल मिलाकर रावण जो भी रहा हो, लेकिन फिल्म आदिषुरुष में दिख रहे चरित्र से मेल खाता बिल्कुल नहीं लगता.


 

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