Advertisement

असदुद्दीन ओवैसी ने छोटे भाई को कहा 'सालार का बेटा', क्यों ओवैसी बंधुओं के पिता को मिली थी ये दमदार उपाधि?

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा नेता नवनीत राणा के बयान पर पलटवार करते हुए करते हुए अपने छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी की तारीफ की. साथ में यह भी जोड़ दिया कि अकबरुद्दीन कहीं से कम नहीं, वो सालार का बेटा है. ओवैसी भाइयों के पिता को ये खिताब मिला हुआ था. हैदराबाद में उन्हें सालार-ए-मिल्लत कहा जाता, यानी लोगों का कमांडर, या जननेता.

सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी को सालार-ए-मिल्लत कहा गया. (Photo- India Today) सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी को सालार-ए-मिल्लत कहा गया. (Photo- India Today)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2024,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

चुनाव का चौथा चरण करीब आने के साथ ही राजनैतिक दल एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजियां कर रहे हैं. इसी बीच भाजपा नेता नवनीत राणा और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बीच भी जबानी जंग छिड़ गई. ओवैसी ने अपने छोटे भाई के तीखे तेवरों की बात करते हुए कहा कि मैंने उसे समझाकर रोक रखा है, वरना सालार का बेटा है वो. बहुत मुश्किल से समझाकर बैठाना पड़ता है. ओवैसी और राणा के बीच विवाद के अलावा समझिए, कौन थे हैदराबाद के सालार. 

Advertisement

क्या कहा था नवनीत राणा ने

हैदराबाद से भाजपा प्रत्याशी माधवी लता के सपोर्ट में आई नवनीत राणा ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ-साथ उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन को भी घेर लिया था. उन्होंने नाम लिए बगैर कहा था कि छोटा भाई बोलता है - छोटा भाई बोलता है कि  15 मिनट के लिए पुलिस को हटा दो फिर हम दिखाते हैं, हम क्या करते हैं. मैं उनको कहना चाहती हूं कि छोटे भाईसाहब आपको तो 15 मिनट लगेंगे, लेकिन हमें सिर्फ 15 सेंकड लगेंगे. 15 सेकंड के लिए पुलिस को हटाया तो छोटे-बड़े को यह पता भी नहीं चल पाएगा कि वे कहां से आए और कहां गए. इसका वीडियो अपने एक्स हैंडल से शेयर करते हुए राणा ने दोनों ओवैसी भाइयों को टैग भी किया था. 

इसी का जवाब देते हुए ओवैसी ने सालार का बेटा टर्म इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा- मैंने छोटे को बहुत समझाकर रोक रखा है, छोड़ दूं क्या? तुमको मालूम ही क्या है कि छोटा क्या है. मेरा छोटा भाई तोप है, वो सालार का बेटा है. बहुत मुश्किल से समझाकर बैठाना पड़ता है. मैंने रोक रखा है. 

Advertisement
सलाहुद्दीन ओवैसी अक्सर धार्मिक भेदभाव के आरोप राज्य पर लगाते रहे.

ओवैसी के पिता क्यों कहलाए थे सालार

ओवैसी बंधुओं के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी के पास ये उपाधि थी- सालार-ए-मिल्लत. तीस के दशक में हैदराबाद के बेहद प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे सलाहुद्दीन के पिता अब्दुल वहीद ओवैसी थे, जो तब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष थे. पिता के गुजरने के बाद सलाहुद्दीन ओवैसी ने मजलिस की कमान संभाली. बहुत कम समय में ही वे हैदराबाद की बड़ी आबादी में लोकप्रिय हो गए. लोगों के बीच उनका रुतबा ऐसा था कि उन्हें सालार-ए-मिल्लत कहा जाने लगा. खासकर मुस्लिम आबादी के लिए वे काफी काम करते. तब ओवैसी को हैदराबाद की राजनीति में सबसे मजबूत व्यक्ति माना जाने लगा. 

ओवैसी के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए कि वे 4 दशक के अपने राजनैतिक करियर में लगातार छह बार हैदराबाद से सांसद रहे. उन्हें ऐसा व्यक्ति माना जाता था जो आंध्र प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक को किसी भी पार्टी को समर्थन देने के लिए झुका सकता था. 

मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाते रहे सरकार पर

आम बोलचाल में उन्हें सालार ही पुकारा जाता था. हालांकि कई बार उनपर भी एक समुदाय के हित की सोचने का आरोप लगा. वे लगातार कहते थे कि राज्य ने मुस्लिमों को उनकी किस्मत पर छोड़ दिया है. उन्होंने पुराने हैदराबाद में मुस्लिम लोगों के लिए काम किया.

Advertisement
अकबरुद्दीन ओवैसी तेलंगाना से विधायक हैं. 

रजाकारों की पार्टी का नाम बदलकर अपनी पार्टी बना डाली!

एक बड़ा आरोप यह भी था कि ओवैसी परिवार ने एक समय पर बहुसंख्यकों पर जुल्म ढा चुके संगठन का नाम बदलकर उसे आगे बढ़ाया. यहां बता दें कि सलाहुद्दीन ओवैसी के पिता अब्दुल वहीद ओवैसी ने कुख्यात रजाकारों की पार्टी मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन की बागडोर संभालते हुए उसे नया नाम दिया था- ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM). साथ ही इसे धार्मिक संगठन से बदलकर राजनैतिक पार्टी बना दिया. पचास के दशक से ही उनका परिवार इस पार्टी का मुखिया है. 

कौन हैं छोटे भाई अकबरुद्दीन

जाते हुए एक नजर असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन पर भी डालते चलें. पिता सलाहुद्दीन से छोटे बेटे के रिश्ते उतने अच्छे नहीं थे. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट कहती है कि अकबरुद्दीन ने पिता की इच्छा के खिलाफ मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी, साथ ही एक ईसाई युवती से शादी कर ली. बाद में सलाहुद्दीन की सेहत खराब होने पर बेटा वापस लौटा और दोनों के बीच सुलह हो गई. अकबरुद्दीन की पत्नी से इस्लाम कुबूल करवाया गया और खुद अकबरुद्दीन राजनीति में आ गए. 

अकबरुद्दीन अक्सर विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे, खासकर धर्म से जुड़ी बयानबाजी के लिए. जैसे इस्लाम के खिलाफ बोलने वाली लेखिका तस्लीमा नसरीन के भारत आने का छोटे भाई ने भारी विरोध किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी वे भड़काऊ बयान दे चुके, लेकिन तब मोदी गुजरात के सीएम थे. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement