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14 राज्यों में 23 डिप्टी सीएम... संविधान में नहीं है पद, फिर भी नेता कैसे बन जाते हैं सरकार में नंबर-2

देशभर के 14 राज्यो में 23 डिप्टी सीएम हैं. हाल के समय में जितने भी राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, सब जगह डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. ओडिशा में दो और आंध्र में एक डिप्टी सीएम है. जबकि, डिप्टी सीएम के पद का जिक्र संविधान में कहीं नहीं है. ऐसे में जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी सीएम के पद को असंवैधानिक क्यों नहीं माना था?

पवन कल्याण आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम होंगे. (फोटो-PTI) पवन कल्याण आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम होंगे. (फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2024,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के बाद अब ओडिशा में भी बीजेपी ने सरकार बनाने का फॉर्मूला रिपीट किया है. तीन राज्यों के बाद ओडिशा में भी अब मुख्यमंत्री के साथ-साथ दो डिप्टी सीएम रहेंगे. ओडिशा में मोहन माझी मुख्यमंत्री होंगे. जबकि, केवी सिंह देव और प्रवती परिदा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.

इससे पहले पिछले साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनने पर भी बीजेपी ने दो-दो डिप्टी सीएम बनाए थे. बिहार में नीतीश कुमार के साथ आने के बाद जब एनडीए की सरकार बनी तो इसमें भी दो डिप्टी सीएम बीजेपी से बने थे. महाराष्ट्र में भी ऐसा ही है और वहां भी दो-दो डिप्टी सीएम हैं.

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आंध्र प्रदेश में भी चंद्रबाबू नायडू की सरकार में जनसेना पार्टी के चीफ पवन कल्याण डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. पिछली जगन मोहन रेड्डी की सरकार में आंध्र में पांच डिप्टी सीएम थे.

किन-किन राज्यों में डिप्टी सीएम?

इस समय देश के 14 राज्यों में 23 डिप्टी सीएम हैं. पांच राज्यों- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में एक-एक डिप्टी सीएम हैं.

बाकी बचे 9 राज्यों- बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दो-दो डिप्टी सीएम हैं. 15 डिप्टी सीएम बीजेपी, 3 कांग्रेस और 5 अन्य पार्टियों से हैं.

क्या डिप्टी सीएम का पद होता है?

संविधान का अनुच्छेद 163 और 164 में मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल से जुड़े प्रावधान हैं. अनुच्छेद 163(1) कहता है कि राज्यपाल को सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिमंडल होगा. 

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इसमें प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेंगे और मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्रिमंडल की नियुक्ति भी राज्यपाल करेंगे. हालांकि, इन दोनों अनुच्छेदों में डिप्टी सीएम पद का जिक्र नहीं है.

डिप्टी सीएम के पद को राज्य में कैबिनेट मंत्री के बराबर समझा जाता है. डिप्टी सीएम को भी वही सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं जो एक कैबिनेट मंत्री को मिलती है.

तो क्या डिप्टी सीएम असंवैधानिक पद है?

इसी साल 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर फैसला सुनाया था. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा था कि डिप्टी सीएम का पद असंवैधानिक नहीं है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी सीएम की नियुक्तियों को असंवैधानिक बताते हुए एक याचिका दायर की गई थी. ये याचिका पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी नाम की संस्था ने दायर की थी और उसने सुप्रीम कोर्ट से डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी.

याचिका में दावा किया गया था कि संविधान में डिप्टी सीएम जैसा कोई पद नहीं है. ये संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है. 

इस याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि डिप्टी सीएम का पद एक ओहदा है और इससे किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं होता. उन्होंने कहा था कि डिप्टी सीएम बनने से कोई खास सुविधा या ज्यादा सैलरी नहीं मिलती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि एक उप-मुख्यमंत्री राज्य सरकार में सबसे पहला और सबसे अहम मंत्री होता है. डिप्टी सीएम का ओहदा संविधान का उल्लंघन नहीं है.

कैसे आया डिप्टी सीएम का पद?

ज्यादातर गठबंधन सरकारों में डिप्टी सीएम का पद होता था. भारत का पहला डिप्टी सीएम अनुग्रह नारायण सिन्हा को माना जाता है. अनुग्रह नारायण सिन्हा आजादी के बाद से जुलाई 1957 तक बिहार के डिप्टी सीएम रहे थे. उनके बाद 1967 में कर्पूरी ठाकुर बिहार के दूसरे डिप्टी सीएम थे.

1967 के बाद जब कांग्रेस थोड़ी कमजोर होनी शुरू हुई, तो उसके बाद कई राज्यों में डिप्टी सीएम बनाए गए. उत्तर प्रदेश में 1967 में जब चौधरी चरण सिंह की अगुवाई में संयुक्त विधायक दल की सरकार बनी तो उसमें जनसंघ के राम प्रकाश गुप्ता डिप्टी सीएम बने.

मध्य प्रदेश में जनसंघ के नेता वीरेंद्र कुमार सकलेचा पहले डिप्टी सीएम थे. वो 1967 में गोविंद नारायण सिंह की सरकार में डिप्टी सीएम बने थे. वहीं, हरियाणा के पहले डिप्टी सीएम चौधरी चंद राम थे. 

इतने नेता बन चुके हैं डिप्टी पीएम

डिप्टी सीएम की तरह ही भारत में कई नेता डिप्टी पीएम भी रह चुके हैं. आजादी के बाद बनी पहली अंतरिम सरकार में सरदार वल्लभ भाई पटेल डिप्टी पीएम थे. उस सरकार में जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. उनके बाद मोरारजी देसाई, चरण सिंह, देवी लाल और लालकृष्ण आडवाणी भी डिप्टी पीएम बने. 

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1989 में वीपी सिंह की सरकार में देवी लाल जब डिप्टी पीएम बने तो इसे सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि उन्होंने संविधान के अनुरूप शपथ नहीं ली थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने देवी लाल की नियुक्ति को बरकरार रखा और ये भी फैसला दिया कि वो भी मंत्रिमंडल के बाकी सदस्यों की तरह ही एक मंत्री हैं.

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