Advertisement

जिस गाजा पर हमास को पालने-पोसने का था आरोप, वो क्यों हुआ खिलाफ, क्या विकल्प हैं अगर हमास सत्ता से हट जाए?

हमास और इजरायल में जंग की वजह से डेढ़ सालों के भीतर गाजा पट्टी लगभग तबाह हो चुकी. तेल अवीव लगातार कहता रहा कि आतंकी समूह हमास को खुद स्थानीय लोग शरण दे रहे हैं. आरोप किसी हद तक सही भी था. अब इसी इलाके में हमास-आउट के नारे लग रहे हैं. लेकिन हमास के जाने से पैदा पॉलिटिकल वैक्यूम और मुश्किलें ला सकता है.

गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो चुके. (Photo- AFP) गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो चुके. (Photo- AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 12:11 PM IST

पिछले 17 महीनों में गाजा पट्टी का बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो चुका. इमारतें खंडहर हो गईं, वहीं हजारों लोग मारे जा चुके. इस पूरे पीरियड में हमास गाजा से ही आतंकी ऑपरेशन चलाता रहा. बंधक और उनकी लाशें अब तक यहीं छिपाई हुई हैं. यहां तक कि वो कथित तौर पर आम लोगों की मदद से ही खाना-पीना करता रहा. अब इसी गाजा में पहली बार एंटी-हमास प्रोटेस्ट हो रहे हैं. तो क्या हमास ने खुद को फिलिस्तीनियों पर जबरन थोप रखा था?

Advertisement

गाजा के लोगों से ही बना हमास 

हमास को ज्यादातर देश आतंकी संगठन मान चुके, वहीं गाजा पट्टी में रहते फिलिस्तीनियों से उनकी संवेदना है. लेकिन हमास कोई बाहरियों से बना गुट नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों ने ही इसे खड़ा किया. अस्सी के दशक में जब फिलिस्तीन के नाम पर विद्रोह हुआ तब हमास की नींव रखी गई. इसे शेख अहमद यासिन और मोहम्मद ताहा जैसे लोगों ने बनाया, जो गाजा पट्टी से ही थे.

एक धार्मिक और समाजसेवी संगठन से जल्द ही यह सशस्त्र समूह बन गया. वे पूरे फिलिस्तीन (साल 1948 से पहले वाला हिस्सा भी) को आजाद कराकर इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं. साथ ही वे इजरायल को परेशान भी रखना चाहते हैं. इसके लिए हमास का मिलिट्री विंग लगातार तेल अवीव की सीमा पर छुटपुट हमले करता रहा. 

Advertisement

वैसे हमास लोकल लोगों से ही बना गुट है लेकिन इसे फॉरेन फंडिंग और सैन्य मदद भी मिलती रही. ईरान हमास का सबसे बड़ा मददगार है. वहां से इसे पैसे, हथियार और ट्रेनिंग भी मिलती रही. सीरिया और लेबनान के मिलिटेंट गुट हिजबुल्लाह से इसे सैन्य ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक्स मिलते हैं. वहीं तुर्की और कतर उसे आर्थिक के अलावा राजनीतिक सपोर्ट भी देते हैं. यानी हमास के लोग वैसे तो गाजा के हैं लेकिन उन्हें बाहरी ताकतों से ज्यादा मदद मिलने लगी. 

फिर क्यों आने लगी दूरियां

वक्त के साथ उसकी आक्रामकता स्थानीय लोगों पर असर डालने लगी और दोनों में दूरी आने लगी. इस युद्ध को हमास ने जानबूझकर शुरू किया था. अक्टूबर 2023 में उसने न केवल आम लोगों की जान ली, बल्कि सैकड़ों नागरिकों को बंधक भी बना लिया. इसके बाद से इजरायल हमास पर हमलावर है, और परेशान गाजा के लोग हैं. 

हालांकि जंग के दौरान आरोप लगता रहा कि पट्टी में बसे लोग खुद हमास के लड़ाकों को छिपा रहे हैं. इस बात के कई पहलू हैं. गाजा के लोग तीन अलग हालात में रहते हैं. कुछ लोग वाकई हमास के समर्थक हैं और उन्हें छिपाने में मदद करते हैं. कुछ मजबूरी में हमास को शरण देते हैं, क्योंकि मना करने का मतलब सजा या शक पैदा होना हो सकता है. कुछ लोग पूरी तरह हमास से अलग रहना चाहते हैं, लेकिन युद्ध के हालात में फंस जाते हैं और हमास की बात मानते हैं क्योंकि वही एक तरह से उनकी सरकार है. 

Advertisement

क्या हमास चुनी हुई सरकार है

ये फिफ्टी-फिफ्टी सिचुएशन है. दरअसल जनवरी 2006 में गाजा और वेस्ट बैंक दोनों में मिलाकर पार्लियामेंटरी इलेक्शन हुआ. इसमें दो बड़ी पार्टियां थीं, फतह और हमास. पहली बार बड़े चुनाव में उतरे हमास ने बहुमत पाया. लेकिन फिर कहानी बदल गई. तब राष्ट्रपति महमूद अब्बास थे, जो फतह पार्टी से थे. नतीजा ये हुआ कि संसद में मेजोरिटी दल यानी हमास और राष्ट्रपति के बीच टकराव होने लगा. हमास ज्यादा आक्रामक था और इजरायल पर हमले की बात करता था, जबकि फतह शांति वार्ता का समर्थक था.

इस बीच अमेरिका, यूरोप और इजराइल ने हमास सरकार को मान्यता नहीं दी. मेजोरिटी होकर भी वो परेशान रहने लगा. राष्ट्रपति के पास सारी ताकत आ गई. आखिरकार सालभर के भीतर हमास ने गाजा पट्टी पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया और अब्बास सरकार को वहां से हटकर वेस्ट बैंक तक रह गई. इसके बाद से आज तक गाजा में कोई संसदीय चुनाव नहीं हुआ. 

हमास लगभग 17 सालों से गाजा में जमा हुआ है. हाल में इजरायल समेत अमेरिका ने इसे हटाने की बात की. लेकिन हमास चला गया तो खंडहर हो चुके इस इलाके का भविष्य क्या हो सकता है? इसमें सबसे पहली बात तो ये है कि हमास का खत्म होना इजरायल या यूएस के चाहने भर से नहीं होगा. इसमें स्थानीय विद्रोह के साथ जरूरी है कि बाहरी देश भी उसे सपोर्ट करना पूरी तरह बंद कर दें. 

Advertisement

हमास के हटने के बाद गाजा में तीन विकल्प हो सकते हैं 

- फतह और फिलिस्तीनी अथॉरिटी को कंट्रोल मिल सकता है. लेकिन दिक्कत यह है कि गाजा में उसकी लोकप्रियता बहुत कम है. खुद स्थानीय लोग इसपर इजरायल को लेकर जरूरत से ज्यादा नर्म होने का आरोप लगाते रहे. 

- एकदम से हमास के हटने पर गाजा में राजनीतिक अस्थिरता बहुत ज्यादा बढ़ सकती है. ऐसे में कुछ वक्त के लिए वहां यूएन की अंतरराष्ट्रीय शांति सेना पहुंच सकती है. 

- तीसरी विकल्प बेहद खतरनाक हो सकता है. अगर हमास के हटने के बाद भी गाजा में कोई मजबूत सरकार न बने, तो वहां इस्लामिक स्टेट (ISIS) जैसे चरमपंथी समूह आ सकते हैं, जो सीरिया से खदेड़े जा चुके. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement