
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने हिंदूफोबिया पर एक प्रेस कॉफ्रेंस करते हुए कहा कि भारतीय मूल के बच्चों और लोगों के खिलाफ नफरत बढ़ रही है. हिंदू मंदिरों को नष्ट किया जा रहा है. यहां तक कि भारतीय दूतावासों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. ये प्रमाण है कि हिंदूफोबिया रियल है. सांसद की बात में वजन है. बीते कुछ समय से लगातार मंदिरों और भारतीयों पर हमलों की खबरें आ रही हैं. लेकिन सबको अपनाने वाले अमेरिका को हिंदुओं से क्या समस्या हो गई?
क्या है फोबिया का मतलब
ये एक तरह का डर है, जो अक्सर अतार्किक यानी बिना किसी वजह के होता है. मसलन कई लोगों को ऊंचाई पर डर लगता है, या फिर अंधेरे से डर लगे. धर्म या किसी खास विचारधारा को मानने वालों से भी किसी को डर लग सकता है. जैसे दूसरे विश्व युद्ध के समय हिटलर ने यहूदियों के खिलाफ इस तरह का डर दिखाया. ये डर नफरत में बदल गया और करोड़ों यहूदियों के नरसंहार की वजह बना. इसे एंटी-सेमिटिज्म कहते हैं, जो खास यहूदियों से नफरत को बताती है.
आगे चलकर इस्लामोफोबिया टर्म सुनाई दिया. ये सितंबर 2001 में अमेरिका पर हमले के बाद की बात है, जब पता लग चुका था कि हमले में चरमपंथी इस्लामिक ताकतें शामिल हैं. इसके बाद अलग-अलग देशों में मुस्लिमों से डरने या उनपर हमले की बात कही जाने लगी. अब हिंदूफोबिया दिखाई दे रहा है.
क्या कहते हैं इंटरनेशनल थिंक टैंक
अमेरिकी थिंक टैंक- कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस का सर्वे दावा करता है कि अमेरिका में रहने वाले 18 प्रतिशत भारतीयों ने हिंदूफोबिया झेला. बता दें कि वहां पर रहने वाले कुल एशियाई अप्रवासियों में भारतीय दूसरे नंबर पर हैं. साल सर्वे 2020 के सितंबर महीने में हुआ था, जिस दौरान ये नतीजे मिले. इससे अनुमान लगा सकते हैं कि अधिक समय के लिए हुए सर्वे या अध्ययन के रिजल्ट कितने चिंताजनक हो सकते हैं.
हर हजार में 10 लोग झेल रहे गुस्सा
खुद फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन ने माना कि एंटी-हिंदू हेट क्राइम बढ़े हैं. खासकर जिन इलाकों में हिंदू आबादी कम हैं, वहां उन्हें रेसिस्ट कमेंट या मारपीट का सामना करना पड़ता है. FBI के अनुसार एंटी-हिंदू हेट क्राइम की घटनाओं में बढ़त हुई. हालांकि अब भी ये हर 1005 में से 10 केस हैं. लेकिन इसमें वो संख्याएं शामिल नहीं, जो एंटी-एशियन और एंटी-वाइट के खिलाफ हैं. इन दोनों ही श्रेणियों में भारतीय हिंदू भी आते हैं.
वाइट-सुप्रीमिस्ट और चरमपंथी समूह भी कर रहे हिंसा
पिछले साल अमेरिकी रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन नेटवर्क कंटेजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दावा किया कि बीते समय में तेजी से एंटी-हिंदू नैरेटिव तैयार हुआ और हिंदुओं पर हमले में थोड़ी-बहुत नहीं, लगभग हजार गुना तेजी आई. खासकर अमेरिका में. इंस्टीट्यूट ने ये भी माना कि इन घटनाओं में किसी एक नस्ल या तबके का हाथ नहीं, बल्कि ये मिल-जुलकर किया जा रहा हेट-क्राइम है. इसे मुस्लिम और खुद को सबसे बेहतर मानने वाले श्वेत नस्ल के लोग, दोनों ही कर रहे हैं.
हिंदूफोबिया को समझने के लिए एक उदाहरण पढ़ते चलें. साल 2022 में न्यूयॉर्क के साउथ रिचमंड हिल्स में लगी महात्मा गांधी की मूर्ति को न केवल तोड़ाफोड़ा गया, बल्कि स्प्रे पेंट से उसपर अश्लील भाषा भी लिख दी गई. हिंदुओं के कपड़ों या धार्मिक सोच पर कमेंट हो रहे हैं. यहां तक कि उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कहा जा रहा है.
क्या हो सकती है वजह?
रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इसकी कई वजहें दीं. श्वेत लोगों के मन में हिंदुओं के लिए गुस्सा भर रहा है तो इसकी वजह है भारतीय मूल के हिंदुओं का लगातार आगे बढ़ना. सिलिकॉन वैली में हिंदू समुदाय काफी ऊंचे पदों पर है. वैली के 15 फीसदी स्टार्टअप के मालिक भारतीय, उसमें भी हिंदू हैं. यहां तक कि अमेरिकी राजनीति और मेडिकल जैसी फील्ड में भी ये लोग दबदबा बना चुके हैं. ऐसे में खुद को सुप्रीम मानती श्वेत नस्ल पर प्रेशर बन चुका है कि वो खुद को आगे लाएं. इसी गुस्से और चिड़चिड़ाहट में हेट-क्राइम की शुरुआत हो गई.
चेहरा-मोहरा भी बना कारण
हिंदुओं पर हमले की एक वजह ये भी है कि उनका चेहरा-मोहरा एशियाई मुस्लिमों से मिलता है. 9/11 हमले के बाद से अमेरिका में मुस्लिमों पर गुस्सा बढ़ता गया. वे मानने लगे कि कहीं न कहीं इसके जिम्मेदार इसी मजहब के लोग हैं. ऐसे में वे हर उस चेहरे को शक और नफरत से देखने लगे, जो एशियाई मूल का हो. भारतीय मूल के लोग भी इसी धोखे में हेट क्राइम का शिकार होने लगे.
अमेरिका में बसे भारतीयों के हकों की वकालत करने वाली संस्था हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की वेबसाइट पर शोधों के हवाले से लिखा है कि हिंदुओं पर हिंसा 11 सितंबर 2001 को हुए अमेरिकी हमले के बाद बढ़ी. उनका चेहरा-मोहरा पाकिस्तान या अफगानिस्तान के मुस्लिमों से मेल खाता है. इसी वजह से उनसे नफरत का ग्राफ एकदम से ऊपर गया. हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की वेबसाइट पर पूरा डेटा है कि कब, किसे मारा गया.
कौन-कौन से समुदाय निशाने पर
अलग-अलग रिसर्च संस्थान हेट-क्राइम को लेकर अलग दावा करते हैं.
प्यू रिसर्च सेंटर ने साल 2018 में माना कि दुनिया में सबसे ज्यादा नस्ली हिंसा यहूदी, मुस्लिम और क्रिश्चियन झेल रहे हैं.
उस साल कैथोलिक धर्म को मानने वालों ने 145 देशों में अपने साथ भेदभाव की शिकायत की.
88 देशों में यहूदियों ने भेदभाव की बात कही जबकि मुस्लिमों ने माना कि उन्हें 139 देशों में भेदभाव या नस्ली टिप्पणी झेलनी पड़ी.
हाल के सालों में बुद्धिस्ट कम्युनिटी ने भी अपने साथ हेट-क्राइम की शिकायत की.