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10 हजार आतंकी... बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला कर रहे जमात-उल-मुजाहिदीन के बारे में जानिए सबकुछ

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं. इस बीच जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश नाम का संगठन एक बार फिर चर्चा में है. खुफिया रिपोर्ट से पता चला है कि इस संगठन से जुड़े आतंकी हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं.

बांग्लादेश में JMB हिंदुओं को निशाना बना रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर) बांग्लादेश में JMB हिंदुओं को निशाना बना रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से वहां रह रहे अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गए हैं. 25 नवंबर को हिंदू धर्म गुरु चिन्मय कृष्णा दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद से एक बार फिर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है. चिन्मय दास की रिहाई की मांग कर रहे हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं.

चिन्मय दास को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था. चटगांव की कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. चिन्मय दास पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है. उनकी जमानत याचिका पर 3 दिसंबर को सुनवाई होनी है.

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं की सबसे बड़ी आवाज में से एक चिन्मय दास इस्कॉन से भी जुड़े रहे. चिन्मय दास की गिरफ्तारी और हिंदुओं पर हमलों को लेकर भारत सरकार ने भी चिंता जताई है.

लेकिन इन सबके बीच अब एक और नया खतरा बढ़ रहा है. इंटेलिजेंस रिपोर्ट में सामने आया है कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) नाम के आतंकी संगठन से जुड़े कट्टरपंथी हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं.

चिंता बढ़ाती खुफिया रिपोर्ट

खुफिया रिपोर्ट में सामने आया है कि चिन्मय दास की रिहाई की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हिंदुओं को JMB के आतंकी चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं.

शेख हसीना की सरकार जाने के बाद हालात और खराब हो गए हैं. बांग्लादेश की जेलों में बंद हिंदू भी सुरक्षित नहीं हैं. खुफिया रिपोर्ट से पता चलता है कि जेल के अंदर और बाहर हिंदुओं को JMB के आतंकी निशाना बना रहे हैं.

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हसीना सरकार गिरने के बाद जेलों में बंद 700 से ज्यादा कैदी भाग गए थे. इनमें से ज्यादातर JMB के आतंकी थे. अब ये आतंकी बाहर आकर सड़कों पर हिंदुओं पर हमले कर रहे हैं. जेल में भी सैकड़ों-हजारों आतंकी हैं, जो हिंदू कैदियों को निशाना बना सकते हैं.

क्या है ये JMB?

बांग्लादेश के इस आतंकी संगठन पर भारत ने 2019 में बैन लगा दिया था. भारत के अलावा बांग्लादेश, मलेशिया, यूके और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भी इसे आतंकी संगठन की लिस्ट में डाल रखा है. 

साल 1998 में अब्दुल रहमान नाम के आतंकी ने इस संगठन को शुरू किया था. इस संगठन के बारे में 2001 में तब पता चला जब बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में इससे जुड़े बम और दस्तावेज बरामद हुए थे. इस दौरान आठ आतंकियों को भी गिरफ्तार किया गया था. फरवरी 2003 में सामने आया था कि इस आतंकी संगठन ने दिनाजपुर के छोटो गुरगोला इलाके में 7 बम धमाकों को अंजाम दिया था.

बांग्लादेश की सरकार ने फरवरी 2005 में JMB पर प्रतिबंध लगा दिया था. अगले ही साल इस संगठन ने बांग्लादेश में 300 से ज्यादा जगहों पर 500 बम धमाके किए थे. 

इसका मकसद क्या है?

बाकी आतंकी संगठनों की तरह ही JMB का मकसद भी इस्लामिक शासन स्थापित करना है. ये संगठन लोकतंत्र का विरोध करता है. इसका मकसद बांग्लादेश को शरिया कानून के जरिए चलाना है. 

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अगस्त 2005 में बांग्लादेश में कई जगह बम विस्फोट हुए थे. इन हमलों की जिम्मेदारी लेते हुए JMB ने खुद को 'अल्लाह का सिपाही' बताया था. JMB ने कहा था, 'हम अल्लाह के सिपाही हैं. हमने मोर्चा संभाल लिया है. अल्लाह के कानून को लागू करने के लिए हमने उसी तरह हथियार उठा लिए हैं, जिस तरह पैगंबर, सहाबी और मुजाहिदीन सदियों से करते आए हैं. अब बांग्लादेश में इस्लामी कानून लागू करने का समय आ गया है. इंसानों के बनाए कानून का कोई भविष्य नहीं है.'

ये संगठन इस्लाम और शरिया को बढ़ावा देता है. महिलाओं के घर से बाहर निकलने का विरोध करता है. सिनेमा हॉल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की खिलाफत भी करता है. JMB का कहना है कि उसका मकसद मुसलमानों को इस्लाम विरोधी ताकतों से मुक्त कराना है.

कितना बड़ा है नेटवर्क?

जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश का नेटवर्क पूरे बांग्लादेश में फैला है. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) के मुताबिक, JMB के पास 10 हजार लड़ाके हैं. इनके अलावा एक लाख से ज्यादा कट्टरपंथी इससे जुड़े हुए हैं. रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि इस संगठन ने लगभग 10 लाख से ज्यादा लड़ाकों को ट्रेन्ड कर रखा है.

इस आतंकी संगठन के कैडर सभी तरह के लोग हैं. यूनिवर्सिटीज और मदरसों में पढ़ाने वाले टीचर्स से लेकर आम लोग तक इससे जुड़े हैं. 

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इस संगठन में अलग-अलग काम संभालने के लिए कई सारी विंग हैं. आर्म्ड ट्रेनिंग के लिए भी एक अलग से विंग है. इसकी इंटेलिजेंस विंग से जुड़े आतंकी अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां और एनजीओ में भी जुड़े हैं.

पैसा कहां से आता है?

SATP के मुताबिक, JMB को कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, पाकिस्तान, सऊदी अरब और लीबिया के कुछ लोगों से फंडिंग मिलती है. कई अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ से भी पैसा मिलता है. 

2015 में दो अलग-अलग मामलों में सामने आया था कि पाकिस्तान के अधिकारी JMB को फंडिंग देने में सीधे तौर पर शामिल थे. वीजा अधिकारी मजहर खान को अप्रैल 2015 में JMB के नेताओं के साथ बैठक करते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था. मजहर खान ने माना था कि वो पश्चिम बंगाल और असम में बड़ी संख्या में नकली भारतीय नोट भेजने में शामिल रहा था.

इसी तरह, पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात फरीना अरशद को बांग्लादेश सरकार ने निष्कासित कर दिया था. JMB के एक नेता ने बताया था कि फरीना ने उसे 30 हजार टका दिए थे. 

इसके अलावा, कुछ रिपोर्ट्स से ये भी पता चला है कि JMB ने बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिम में कई झींगा फार्मों और कोल्ड स्टोरेज में निवेश कर रखा है. संगठन पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी हैं. इतना ही नहीं, संगठन से जुड़े आतंकी टोल भी इकट्ठा करते हैं.

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पाकिस्तान, म्यांमार, थाईलैंड और चीन के आतंकी संगठनों से JMB को हथियार मिलते हैं. उसके पास ये हथियार जमीन और समंदर के रास्ते आते हैं.

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