
1860 में बनी इंडियन पीनल कोड (IPC) अब खत्म होने जा रही है. इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) लेगी. भारतीय न्याय संहिता को एक जुलाई से लागू किया जाएगा. IPC की जगह BNS को क्यों लाया गया? इस पर सरकार का कहना है कि बदलते वक्त के साथ सुधार होना चाहिए. सिस्टम में समस्याएं थीं, इसलिए बदलाव किया जा रहा है.
आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि भारतीय न्याय संहिता में 356 धाराएं होंगी. कई सारी धाराओं को हटाया गया है, कइयों में बदलाव किया गया है और कई धाराएं नई जोड़ी गई हैं.
भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के बाद क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बड़ा बदलाव हो जाएगा. कुछ अपराध जोड़े गए हैं तो कुछ खत्म कर दिए गए हैं. जैसे- पहली बार सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस को जोड़ा गया है.
अब लोगों की सेवा करने की भी मिलेगी सजा
आईपीसी की धारा 53 में पांच तरह की सजाएं बताई गई हैं. इनमें सजा-ए-मौत, उम्रकैद, कठोर या सामान्य कारावास, संपत्ति की जब्ती और जुर्माना.
भारतीय न्याय संहिता में एक नई सजा 'कम्युनिटी सर्विस' भी जोड़ी गई है. बीएनएस की धारा 4(f) में 'कम्युनिटी सर्विस' की सजा जोड़ी गई है. इसे इसलिए जोड़ा गया है ताकि जेलों में कैदियों की संख्या कम की जा सके, इसलिए कम्युनिटी सर्विस की सजा को कानूनी दर्जा दिया गया है.
ये सजा छोटे-मोटे अपराधों में दोषी पाए जाने पर दी जाएगी. मसलन, आत्महत्या की कोशिश करना, सरकारी सेवक के काम में बाधा डालना, छोटी-मोटी चोरी, शराब पीकर हुड़दंग मचाना और मानहानि जैसे अपराधों में लोगों की सेवा करने की सजा मिल सकती है.
बीएनएस की धारा 23 में कम्युनिटी सर्विस की सजा को परिभाषित किया गया है. इसमें लिखा है कि कोर्ट किसी दोषी को कम्युनिटी सर्विस की सजा भुगतने का आदेश दे सकती है, जिससे लोगों को फायदा है. इस सजा में दोषी को कोई मेहनताना नहीं मिलेगा. कम्युनिटी सर्विस में किसी एनजीओ के लिए काम करना, किसी सामुदायिक संस्था के साथ काम करना, साफ-सफाई करना, पब्लिक प्लेस से कचरा उठाना या फिर कुछ ऐसा काम करना जिससे जनता की भलाई हो सके, शामिल होगा.
किन अपराधों में मिलेगी कम्युनिटी सर्विस की सजा?
- धारा 202: कोई भी सरकारी सेवक किसी तरह के कारोबार में शामिल नहीं हो सकता. अगर वो ऐसा करते हुए दोषी पाया जाता है तो उसे 1 साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा या फिर कम्युनिटी सर्विस करने की सजा मिल सकती है.
- धारा 209: कोर्ट के समन पर अगर कोई आरोपी या वयक्ति पेश नहीं होता है तो अदालत उसे तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा या कम्युनिटी सर्विस की सजा सुना सकती है.
- धारा 226: अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी सेवक की काम में बाधा डालने के मकसद से आत्महत्या की कोशिश करता है तो एक साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों या फिर कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है.
- धारा 303: पांच हजार रुपये से कम कीमत की संपत्ति की चोरी करने पर अगर किसी को पहली बार दोषी ठहराया जाता है तो संपत्ति लौटाने पर उसे कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है.
- धारा 355: अगर कोई व्यक्ति नशे की हालत में सार्वजनिक स्थान पर हुड़दंग मचाता है तो ऐसा करने पर उसे 24 घंटे की जेल या एक हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों या फिर कम्युनिटी सर्विस की सजा मिल सकती है.
- धारा 356: अगर कोई व्यक्ति बोलकर, लिखकर, इशारे से या किसी भी तरीके से दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा और सम्मान को ठेस पहुंचाता है तो मानहानि के कुछ मामलों में दोषी को 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों या कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जा सकती है.
कितने समय की होगी ये सजा?
भारतीय न्याय संहिता के मुताबिक, अगर किसी अपराध में जुर्माना या कम्युनिटी सर्विस की सजा का प्रावधान है तो जुर्माना न देने पर कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जाएगी. अगर जुर्माने की रकम 5 हजार है तो 2 महीने सेवा करनी होगी. 10 हजार का जुर्माना होने पर 4 महीने कम्युनिटी सर्विस करना होगा. कुछ मामलों में एक साल तक कम्युनिटी सर्विस करने की सजा भी हो सकती है.