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84 साल के जज, महिला बिशप... ट्रंप के दो बड़े फैसलों को चैलेंज करने वाले 2 लोग कौन हैं?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके दो महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर जबर्दस्त चुनौती मिली है. 84 साल के जज ने जन्मजात नागरिकता पर ट्रंप के फैसले पर तात्कालिक रोक लगा दी है, वहीं बिशप एडगर बुड्डे ने थर्ड जेंडर पर उनके रवैये को लेकर ट्रंप को आईना दिखाया है और ऐसे सभी लोगों पर 'दया दिखाने' को कहा है. इन दोनों विरोध के स्वरों से ट्रंप तमतमाए हुए हैं.

राष्ट्रपति ट्रंप को 2 बड़े फैसलों पर चुनौती (फोटो डिजाइन-आजतक) राष्ट्रपति ट्रंप को 2 बड़े फैसलों पर चुनौती (फोटो डिजाइन-आजतक)
पन्ना लाल
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण के 4 ही दिन हुए हैं लेकिन दो बड़े मुद्दों पर दो बड़े हस्तियों ने ट्रंप के फैसले को चैलेंज किया है. ये दो हस्तियां हैं अमेरिका की बिशप . मैरिएन एडगर बुडे (Mariann Edgar  Budde) और फेडरल जज जॉन सी कफनर (John C. Coughenour). इन दोनों का विरोध इसलिए अहम है क्योंकि इन्होंने नीतिगत मामलों पर राष्ट्रपति ट्रंप का विरोध किया है. 

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जज जॉन सी कफनर ने ट्रंप की महात्वाकांक्षी जन्मजात नागरिकता (Birthright citizenship) को खत्म करने योजना पर पलीता लगा दिया है. इससे अमेरिका में रह रहे भारत समेत हजारों प्रवासियों को राहत मिली है. 

ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन एक कार्यकारी आदेश के जरिए स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया था. राष्ट्रपति के इस फैसले का विरोध करते हुए डेमोक्रेटिक लीडरशिप वाले 4 राज्य वॉशिंगटन, एरिजोना, इलिनॉयस और ओरेगन अदालत चले गये थे. 

जन्मजात नागरिकता पर ट्रंप को रुकना पड़ा है 

इस पर सिएटल स्थित डिस्ट्रिक्ट जज जॉन कफनर ने ये फैसला सुनाया है. जज कफनर ने कहा कि मैं 4 दशक से पीठ पर हूं. मुझे ऐसा कोई दूसरा मामला याद नहीं आता, जिसमें पेश किया गया सवाल इस मामले जितना स्पष्ट हो. यह एक स्पष्ट रूप से असंवैधानिक आदेश है. जज कफनर ने कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग के वकील ब्रेट शुमेट को भी खरी खरी सुनाई और पूछा कि क्या वह व्यक्तिगत रूप से मानते हैं कि यह आदेश संवैधानिक है? 

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कौन हैं जज जॉन सी कफनर 

ट्रंप के फैसले पर रोक लगाकर  1941 में पैदा हुए 84 साल के जज कफनर ने अमेरिकी ज्यूडिशियल सिस्टम में हलचल पैदा कर दी है. अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक जज जॉन सी कफनर को 1981 में फेडरल बेंच के लिए नॉमिनेट किया था. इससे पहले वे वाशिंगटन विश्वविद्यालय में विधि संकाय से जुड़े थे.   उनका पालन-पोषण मिडवेस्ट में हुआ और उन्होंने 1966 में आयोवा विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की.  

जज कफनर ने 1998 से 2004 तक चीफ डिस्ट्रिक्ट जज के रूप में काम किया. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मुकदमों की अध्यक्षता की और अपने फैसलों से सुर्खियों में रहे. 

उनके चर्चित मामलों में मोंटाना फ्रीमेन से जुड़ा एक बैंक धोखाधड़ी का मुकदमा शामिल है, जो एक सरकार विरोधी समूह था. इसका 1996 में एफबीआई के साथ तीन महीने तक टकराव हुआ था. 

इसके अलावा उन्होंने वाशिंगटन में 72 टन गांजा की तस्करी करने के आरोप ब्रिटिश नागरिक माइकल फॉरवेल को भी 1996 में 15 साल की सजा सुनाई थी. 

एक और मामला अहमद रेसम का केस है. जिसे "मिलेनियम बॉम्बर" कहा जाता है, जिसे 1 जनवरी, 2000 को लॉस एंजिल्स अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को उड़ाने की कोशिश करने का दोषी ठहराया गया था. इस मामले की सुनवाई जज कफनर ने की थी. 

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2006 में जज कफनर ने वरिष्ठ पद ग्रहण किया, हालांकि वे अभी भी उसी सक्रियता के साथ मामलों की सुनवाई कर रहे हैं. 

न्यायालय में अपने काम के अलावा जज कफनर ने चालीस से अधिक वर्षों तक वाशिंगटन स्कूल ऑफ लॉ विश्वविद्यालय में ट्रायल एडवोकेसी पढ़ाया. 

वह न्यायाधीशों और वकीलों के साथ न्यायिक सुधार गतिविधियों में भाग लेने के लिए नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय यात्राएं करते हैं, तथा इसी संबंध में सिएटल में प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी करते हैं. 

ट्रंप ने कहा है कि उनकी सरकार निश्चित रूप से इस फैसले को चुनौती देगी.

महिला बिशप ने ट्रंप को खुले आम सुनाया

ट्रंप जब शपथग्रहण कर रहे थे तो एक महिला बिशप ने अपने संबोधन से दुनिया का ध्यान खींचा. दुनिया भर को मानवाधिकार का ज्ञान देने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने सत्ता में आते ही जिस हनक के साथ थर्ड जेंडर और प्रवासियों के अधिकारों पर कुठाराघात किया. उससे दुनिया सन्न थी. ट्रंप को आईना दिखाने वाला कोई नहीं था. 

ऐसी परिस्थिति में ट्रंप को चैलेंज करने आई एक दुबली-पतली मुदुभाषी महिला बिशप मैरिएन एडगर बुड्डे. ट्रंप अपनी टीम के साथ बैठे थे. मंच पर भाषण दे रही थीं 65 वर्ष की बिशप मैरिएन एडगर बुड्डे. 

मैरिएन एडगर बुड्डे ने बेहद शालीनता के साथ ट्रंप को याद दिलाया कि वे एक बेहद ताकतवर राष्ट्राध्यक्ष हैं और उनके आदेश से लाखों जिंदगियां प्रभावित होती हैं.  

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वाशिंगटन के चर्च में अपने उपदेश के दौरान बिशप बुड्डे ने ट्रंप से कहा कि वे सभी राजनीतिक बैकग्राउंड के “समलैंगिक, लेस्बियन और ट्रांसजेंडर" के प्रति दया दिखाएं. उन्होंने कहा कि ट्रंप के आदेश के बाद वे अपने जीवन के लिए डरते हैं. 

बिशप बुड्डे ने कहा, "मैं राष्ट्रपति से एक अंतिम निवेदन करना चाहती हूं. लाखों लोगों ने आप पर भरोसा किया है. हमारे ईश्वर के नाम पर, मैं आपसे हमारे देश के उन लोगों पर दया करने के लिए कहती हूं जो अब डरे हुए हैं. वो डेमोक्रेटिक, रिपब्लिकन और स्वतंत्र परिवारों के समलैंगिक, लेस्बियन और ट्रांसजेंडर बच्चे हैं, जिनमें से कुछ को अपने जीवन के लिए डर है."

गौरतलब है कि ट्रंप ने सत्ता संभालते ही अपने देश में सिर्फ दो जेंडर मेल और फीमेल पॉलिसी की वकालत की है. इसके साथ ही अमेरिका में थर्ड जेंडर और एलजीबीटीक्यू+ के सारे अधिकार खत्म कर दिये हैं. उनके इस आदेश से अमेरिका में इस समुदाय के लोग सहमें हैं और उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है. 

लोकप्रियता के रथ पर सवार ट्रंप को उनके फैसले के लिए जब किसी ने नहीं टोका तो ये काम किया मैरिएन एडगर बुड्डे ने. उन्होंने ट्रंप पर अवैध रूप से आए प्रवासियों पर भी दया दिखाने की अपील की है. ट्रंप ने अमेरिकी बॉर्डर को अभेद्य बनाने और यूएस में गलत तरीके से घुसे लाखों लोगों को बाहर करने का ऐलान किया और इस बाबत कार्यकारी आदेश भी जारी कर दिया है.  

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ट्रंप के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए बिशप मैरिएन एडगर बुड्डे ने कहा, "अधिकांश प्रवासी, अपराधी नहीं हैं. वो अच्छे पड़ोसी हैं और हमारे चर्चों, मस्जिदों, सभास्थलों, गुरुद्वारों और मंदिरों के प्रति वफादार रहे हैं. हमारा ईश्वर हमें सिखाता है कि हमें अजनबियों के प्रति दयालु होना चाहिए, क्योंकि हम भी कभी इस देश में अजनबी थे."

कौन हैं ट्रंप से पंगे लेने वाली बिशप मैरिएन एडगर बुड्डे 

बिशप मैरिएन एडगर बुड्डे डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया और मैरीलैंड राज्य की चार काउंटियों में 86 एपिस्कोपल कांग्रेशंस (चर्च सभाओं) की आध्यात्मिक नेत्री हैं. बता दें कि एपिस्कोपल चर्च को उदार इसाइयों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है.

वह इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं. बुड्डे इसके अलावा वॉशिंगटन नेशनल कैथेड्रल में भी काम करती हैं.  नवंबर 2011 में उनको इस चर्च के 9वें बिशप के रूप में चुना गया था. इससे पहले, उन्होंने 18 सालों तक मिनियापोलिस के सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च में काम किया था.

एडगर स्वयं को 'मुखर उदारवादी' बताती हैं. वह समलैंगिक विवाह की समर्थन में हैं और इस समुदाय के अधिकारों की पैरोकार हैं. 
 
चर्च की वेबसाइट पर बिशप बडी को नस्लीय समानता, बंदूक हिंसा की रोकथाम, आप्रवासन सुधार और एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों का समर्थक बताया गया है. 

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बिशप बुड्डे इससे पहले भी ट्रंप के साथ नीतिगत मुद्दों पर टकरा चुकी हैं. बात 2020 की है. जॉर्ज फ़्लॉयड की हत्या के बाद अमेरिका में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. तब ट्रंप ने वॉशिंगटन डीसी के सेंट जॉन एपिस्कोपल चर्च के बाहर बाइबल के साथ अपनी तस्वीर खिंचवाई थी. इस दौरान बिशप एडगर ने उनकी कड़ी आलोचना की थी.

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "जो कुछ भी उन्होंने कहा और किया है, वह हिंसा को भड़काने के लिए है.उन्होंने हमें बांटने की हर संभव कोशिश की है."

बता दें कि एडगर के इस बयान से भी राष्ट्रपति ट्रंप खुश नहीं है और उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिशप को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कहा है. ट्रंप ने उन्हें 'कट्टर वामपंथी ट्रंप विरोधी' बताया है.
 

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