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कनाडा के डिप्लोमैट्स को भारत का अल्टीमेटम, अगर देश नहीं छोड़ा तो हो सकता है ये एक्शन

कनाडा के साथ चल रहे राजनयिक संकट के बीच भारत ने कनाडाई सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है. भारत ने कनाडा को 41 डिप्लोमैट्स 10 अक्टूबर तक वापस बुलाने को कहा है. साथ ही ऐसा न करने पर राजनयिक छूट खत्म करने को कहा है. जानते हैं- ये राजनयिक छूट क्या होती है? और खत्म होने पर क्या असर होता है?

दिल्ली स्थित कनाडा का उच्चायोग. (फाइल फोटो) दिल्ली स्थित कनाडा का उच्चायोग. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 7:01 AM IST

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद जारी है. इस बीच भारत ने कनाडा को अपने डिप्लोमैट्स वापस बुलाने को कह दिया है. 

अंग्रेजी अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने कनाडा से अपने 41 डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने को कहा है. भारत में इस समय कनाडा के 62 डिप्लोमैट्स हैं.

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, बाकी देशों की तुलना में कनाडा के नई दिल्ली में कई दर्जन ज्यादा राजनयिक हैं.

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बताया जा रहा है कि भारत ने अपने डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने के लिए 10 अक्टूबर तक का समय दिया है. ये भी बताया जा रहा है कि अगर 10 तारीख के बाद डिप्लोमैट्स यहां रहते हैं तो सभी तरह की राजनयिक छूट खत्म हो जाएगी.

ये राजनयिक छूट क्या है?

जो लोग विदेश में रहकर अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें राजनयिक छूट यानी डिप्लोमैटिक इम्युनिटी दी जाती है. इससे ऐसे लोगों को विदेश में कानूनी सुरक्षा मिलती है.

राजनयिक छूट की ये परंपरा एक लाख साल से भी ज्यादा पुरानी मानी जाती है. ये उन दूतों को मिलती थी, अपने राजा का संदेश लेकर दूसरे राज्यों में जाते थे.

ब्रिटैनिका के मुताबिक, रोमन साम्राज्य में राजनयिक छूट के कानून को और विकसित किया गया. ये युद्ध के समय भी अपने दूतों को सुरक्षा देता था.

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आज के समय में विदेशों में तैनात राजनयिकों को जो छूट मिलती है, वो 1961 के विएना कन्वेंशन से मिलनी शुरू हुई है.

क्या है विएना कन्वेंशन?

विएना कन्वेंशन पर भारत समेत 187 देशों ने सहमति जताई है. इसमें कहा गया है कि सभी 'डिप्लोमैटिक एजेंट्स' जिसमें डिप्लोमैटिक स्टाफ, एडमिनिस्ट्रेटिव, टेक्निकल और सर्विस स्टाफ शामिल हैं. इन सभी को आपराधिक क्षेत्र से छूट मिली है. 

विएना कन्वेंशन विदेशों में तैनात डिप्लोमैट्स को सिविल मामलों में भी छूट देता है. बशर्ते मामला फंड और प्रॉपर्टी से जुड़ा न हो. ये राजनयिक छूट डिप्लोमैट और उसके परिवार को भी मिलती है. 

डिप्लोमैट्स को काम के आधार पर बांटा गया है. ये एम्बेसी, कॉन्सुलर और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन में होते हैं. हर एक देश की दूसरे देश में एम्बेसी होती है. भारत में सारे देशों की एम्बेसी या दूतावास नई दिल्ली में है.

किसी भी एम्बेसी का मुख्य अधिकारी एम्बेसेडर या राजदूत होता है, जो अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है. एम्बेसी में तैनात हर डिप्लोमैट और उसके परिवार को राजनयिक छूट मिलती है.

वहीं, कॉन्सुलेट कई सारे हो सकते हैं. विएना कन्वेंशन के तहत, कॉन्सुलेट में तैनात हर डिप्लोमैट को राजनयिक छूट मिली है. लेकिन गंभीर आपराधिक मामलों में डिप्लोमैट के परिवार के किसी सदस्य को छूट नहीं मिलती.

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क्या राजनयिक छूट खत्म हो सकती है?

विएना कन्वेंशन का अनुच्छेद 9 कहता है कि कोई भी देश किसी भी वक्त डिप्लोमैटिक स्टाफ के प्रमुख या किसी भी सदस्य को मिलने वाली छूट वापस ले सकता है. 

अगर किसी देश को लगता है कि डिप्लोमैटिक स्टाफ का प्रमुख या कोई सदस्य विशेषाधिकार का उल्लंघन कर रहा है या फिर राजनयिक छूट का फायदा उठा रहा है तो उसकी छूट खत्म की जा सकती है.

राजनयिक छूट खत्म होने का मतलब?

राजनयिक छूट विदेश में तैनात डिप्लोमैट को किसी भी मामले में गिरफ्तारी से छूट देती है. अगर किसी देश का डिप्लोमैट कोई अपराध भी करता है, तो भी उसे न तो गिरफ्तार किया जा सकता है और न ही हिरासत में लिया जा सकता है.

विएना कन्वेंशन का अनुच्छेद 29 कहता है कि डिप्लोमैटिक एजेंट को हिरासत में या गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. साथ ही डिप्लोमैट्स की सुरक्षा करना भी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है.

राजनयिक छूट के तहत, डिप्लोमैट्स को गिरफ्तारी या हिरासत से छूट क्रिमिनल के साथ-साथ सिविल मामलों में भी मिली है. 

इतना ही नहीं, विएना कन्वेंशन के अनुच्छेद 22 के तहत किसी भी डिप्लोमैटिक मिशन की संपत्ति की न तो कुर्की की जा सकती है और न ही उसकी तलाशी ली जा सकती है. मिशन के दस्तावेजों की जांच भी नहीं की जा सकती.

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इसका एक उदाहरण भी है. जुलाई 1990 में दिल्ली पुलिस को एक वीरान घर से 485 किलो हशीश मिली थी. ये घर युगांडा के एक राजनयिक के आवास के पास ही था. पुलिस के मुताबिक, राजनयिक इस हशीश को भारत से बाहर तस्करी करने की योजना बना रहा था. बताया जाता है कि पूछताछ के बाद युगांडा दूतावास ने हशीश और राजनयिक के बीच संबंध की बात को खारिज कर दिया था. बाद में इस मामले को खत्म कर दिया गया. 

कनाडा ने बात नहीं मानी तो क्या होगा?

राजनयिक छूट खत्म होने का मतलब होगा कि डिप्लोमैट्स भी फिर आम नागरिक बन जाएंगे. उन्हें सिविल और क्रिमिनल मामलों में हिरासत या गिरफ्तारी से छूट मिली है, वो भी हट जाएगी. 

भारत और कनाडा के बीच क्या है संकट?

पिछले महीने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था.

ट्रूडो के इस आरोप के बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संकट खड़ा हो गया, जो अब तक जारी है. ट्रूडो के इस बयान के बाद कनाडा ने अपने देश से भारत के सीनियर डिप्लोमैट को बाहर निकाल दिया था. इसके बाद भारत ने भी कनाडाई डिप्लोमैट को भी निकाल दिया था.

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इतना ही नहीं, भारत ने कनाडाई लोगों के लिए नए वीजा को भी निलंबित कर दिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया था कि भारत के अनुरोध के बाद दोनों ही देश अपने डिप्लोमैटिक स्टाफ की संख्या कम कर रहे हैं.

वहीं, ट्रूडो के इन आरोपों पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में जवाब दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर कनाडा कुछ सबूत देता है तो हम उस पर गौर करेंगे.

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