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भारी पड़ सकता है ट्विटर पर अपमानजनक बातों को रीट्वीट करना, जानिए, कितनी हो सकती है सजा?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में माना कि यू-ट्यूबर ध्रुव राठी के एक वीडियो को रीट्वीट करना उनकी गलती थी. वीडियो को लेकर केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा चल रहा है. इस बीच ये सवाल भी आता है कि कोई विवादास्पद कंटेंट रीट्वीट करना कितना भारी पड़ सकता है. साथ ही, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन हमें कितनी छूट देता, और कहां रोकता है.

अपमानजनक सामग्री को पोस्ट या रीट्वीट करना भारी पड़ सकता है. (Photo- Unsplash) अपमानजनक सामग्री को पोस्ट या रीट्वीट करना भारी पड़ सकता है. (Photo- Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST

कुछ समय पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने माना कि अगर कोई अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट को रीट्वीट करता है तो इसे मानहानि की तरह ही देखा जाएगा. ये मामला सीएम अरविंद केजरीवाल से जुड़ा हुआ था, जिसमें उन्होंने यूट्यूबर ध्रुव राठी का मई 2018 में आया एक वीडियो शेयर कर दिया था. इसपर मानहानि का केस चला. इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लोअर कोर्ट से कहा कि वो केजरीवाल के खिलाफ कोई कड़ा कदम न ले. फिलहाल मामले की अगली सुनवाई अगले सोमवार तक के लिए टल चुकी है. 

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क्या था पूरा मामला

शिकायतकर्ता विकास सांकृत्यायन ने कहा कि 6 मई 2018 को यूट्यूबर ध्रुव राठी के चैनल पर भाजपा आईटी सेल पार्ट 2 नाम से वीडियो जारी हुआ. इसमें कई अपमानजनक बातें कही गई थीं, जो उनसे भी जुड़ी हुई थीं. विकास ने इसे अपनी मानहानि बताते हुए केस कर दिया. यही मामला अभी चल रहा है. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता से यह भी पूछा कि अगर केजरीवाल अपनी गलती मान रहे हैं तो क्या वे शिकायत वापस ले सकेंगे. 

कानून किसे मानता है मानहानि 

भारतीय कानून में मानहानि सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह की हो सकती है. सिविल डिफेमेशन में लिखित या बोलकर माफी मांगने से भी काम बन जाता है. अगर सजा हो तो इसमें दोषी को मुआवजा देना होता है. ये कम या ज्यादा हो सकता है जो इसपर तय करता है कि जिसका नुकसान हुआ, वो सोसायटी में कितना बड़ा नाम था. जितना बड़ा नाम होगा, उसका नुकसान भी उतना ज्यादा माना जाएगा, और यही देखते हुए भरपाई भी होगी. अगर व्यक्ति की सामाजिक छवि के साथ नौकरी या व्यापार में भी नुकसान हो तो उसे भी देखा जाएगा. 

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अरविंद केजरीवाल ने कथित मानहानि करने वाली वीडियो रीपोस्ट कर दी.

फौजदारी केस भी बनता है

क्रिमिनल केस में देखा जाता है कि कोई भी अगर शब्दों, तस्वीरों या संकेतों के जरिए किसी की इमेज को जान-बूझकर खराब करने की कोशिश करे, और ये कोशिश सार्वजनिक तौर पर हो, तो दोषी को दो साल की जेल और जुर्माना भी हो सकता है. 

आईपीसी के सेक्शन 499 और 500 कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के पास राइट टू रेप्युटेशन भी है. ये आर्टिकल 21 के तहत आता है, जिसमें व्यक्ति को अपनी साख और नाम को सुरक्षित रखने का अधिकार है. यहीं पर राइट टू एक्सप्रेशन का दायरा सीमित हो जाता है.

क्या है अभिव्यक्ति की आजादी में

संविधान का आर्टिकल 19(1) लोगों को बोलने या खुद को किसी भी तरह व्यक्त करने की आजादी देता है. वहीं इसका दूसरा हिस्सा भी है. आर्टिकल 19(2) देश को ये अधिकार देता है कि वो इस हक पर 'वाजिब पाबंदियां' लगा सके, खासकर तब जबकि देश की सुरक्षा को खतरा हो, या फिर दूसरे देशों से उसके रिश्तों पर असर पड़ता हो. इसी के साथ किसी को अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने का अधिकार भी है. अगर कोई जानबूझकर ऐसे मैसेज फैलाए, जिससे किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान हो, तो ये अपराध है. देश के मामले में ये अपराध बहुत बड़ा हो जाता है. तब और कई धाराएं भी लग सकती हैं. 

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सोशल मीडिया पर अपमानजनक बातें कहने का असर भी ज्यादा होता है. 

ऑनलाइन तरीकों से भी मानहानि

इंटरनेट का इस्तेमाल शुरू होने के साथ कुछ और धाराएं जुड़ गईं. आईटी एक्ट 2000 का सेक्शन 66A कहता है कि कंप्यूटर या किसी कम्युनिकेशन डिवाइस से अपमान करने वाला मैसेज भेजना भी अपराध है. अगर किसी बड़े पद पर बैठा शख्स कुछ रीट्वीट करता है तो चूंकि उसकी पहुंच काफी ज्यादा लोगों तक रहती है, ऐसे में नुकसान भी ज्यादा होता है. यानी ऑनलाइन केस में मानहानि कई गुना बढ़ जाती है. 

इन देशों में क्रिमिनल डिफेमेशन का केस नहीं

भारत में जहां मानहानि पर जेल की सजा हो सकती है, वहीं कई देश ऐसे हैं, जहां केवल दीवानी यानी सिविल मामले ही हो सकते हैं. यहां मानहानि पर सजा का प्रावधान नहीं. ये देश हैं, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया. ऐसी झूठी बातों पर सजा तभी हो सकती है, जब वोटरों पर असर डालने के लिए बोली जाएं, या फिर अगर ऐसी बात से किसी को गहरा सदमा लगे. दूसरी तरफ भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश है, जहां ऑनलाइन डिफेमेशन के कुछ रूपों पर 7 से 14 साल तक सजा भी हो सकती है, साथ ही 1 करोड़ टका का जुर्माना भी. मानहानि में ये सबसे सख्त सजा मानी जा रही है. 

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