
एक और डिफेंस डील जांच के घेरे में आ गई है. इस मामले में सीबीआई ने ब्रिटिश एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी रोल्स रॉयस के खिलाफ केस दर्ज किया है. साथ ही कंपनी के भारत में मौजूद सीनियर अधिकारियों पर भी केस दर्ज किया गया है.
ये मामला भारतीय वायुसेना और नौसेना को ट्रेनिंग के लिए दिए जाने वाले एडवांस्ड जेट ट्रेनर हॉक (AJT Hawk) की डील से जुड़ा है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस मामले में सीबीआई ने रोल्स रॉयस इंडिया के डायरेक्टर टिम जोन्स, आर्म्स डीलर सुधीर चौधरी और उनके बेटे भानु चौधरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-B (आपराधिक साजिश), धारा 420 (धोखाधड़ी) और प्रिवेन्शन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. ये केस छह साल तक चली शुरुआती जांच के आधार पर दर्ज किया है.
रोल्स रॉयस ने एक बयान जारी कर कहा कि वो भारतीय अधिकारियों की हर मुमकिन मदद करेंगे. कंपनी ने बताया कि 2017 में ब्रिटेन की एक अदालत ने भी इस डील में बिचौलियों की कथित संलिप्तता और कमीशन का जिक्र किया था.
क्या है आरोप?
- आरोप है कि 2003 से 2012 के बीच इन आरोपियों ने अज्ञात सरकारी अफसरों के साथ मिलकर साजिश रची.
- एयरक्राफ्ट खरीद को मंजूरी देने के लिए रोल्स रॉयस की ओर से भुगतान की गई भारी रिश्वत और कमीशन के बदले में इन अफसरों ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग किया.
- सीबीआई ने एफआईआर में लिखा है कि कंपनी ने बिचौलियों को भुगतान किया, भले ही समझौते के दस्तावेज इनपर रोक लगाते हैं.
डील क्या थी?
- सितंबर 2003 में कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी ने 66 हॉक 115 एजीटी की खरीद को मंजूरी दी. इसके तहत, 24 BAE हॉक 115Y एजीटी फ्लायवे कंडीशन में मिलने थे.
- इनके अलावा, 42 विमानों को भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को बनाना था. इसकी लागत 734.21 मिलियन पाउंड थी, जो 5,653.44 करोड़ रुपये के बराबर थे.
- 42 विमानों को बनाने के लिए HAL की ओर से 308.247 मिलियन पाउंड की अतिरिक्त लागत पर लाइसेंस पर बनाया जा रहा था, जो लगभग 1,944 करोड़ रुपये के बराबर है. इसके अलावा रोल्स रॉयस को 7.5 मिलियन पाउंड लाइसेंस फीस के तौर पर दिए गए थे. HAL ने अगस्त 2008 से मई 2012 के बीच 42 विमान भारतीय वायुसेना को सौंप दिए थे.
- जनवरी 2008 में HAL ने रक्षा मंत्रालय से 57 और हॉक विमान की लाइसेंस मैनुफैक्चरिंग को मंजूरी देने की मांग की. इनमें से 40 विमान वायुसेना और 17 विमान नौसेना के लिए थे. इसकी पूरी लागत 9,502 करोड़ रुपये आंकी की गई थी.
- इसके लिए HAL और रोल्स रॉयस के बीच 30 अगस्त 2010 को डील साइन हुई थी. HAL ने मार्च 2013 से जुलाई 2016 के बीच ये विमान सौंपे.
कैसे हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा?
- 2012 में रोल्स रॉयस के बिजनेस ऑपरेशन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वालीं खबरें मीडिया में आईं. इसके बाद लंदन के सीरियस फ्रॉड ऑफिस (SFO) ने इसकी जांच शुरू की.
- इसके बाद कंपनी ने एक स्टेटमेंट ऑफ फैक्ट तैयार किया, जिसमें इंडोनेशिया, मलेशिया और भारत समेत कई देशों के साथ हुए लेनदेन में की गई करप्ट पेमेंट का खुलासा किया.
- स्टेटमेंट ऑफ फैक्ट में खुलासा हुआ कि 9 जनवरी 2006 को आयकर विभाग ने सर्वे के दौरान बिचौलियों की लिस्ट जब्त की थी, जिन्हें डील की मंजूरी के लिए भुगतान किया गया था. ये भी सामने आया था कि कंपनी ने बिचौलियों की लिस्ट हासिल करने के लिए और 1.85 मिलियन पाउंड खर्च किए गए थे.
- इस मामले में आयकर विभाग ने रोल्स रॉयस इंडिया के तत्कालीन डायरेक्टर टिम जोन्स का बयान भी दर्ज किया था. ये भी आरोप लगा कि रोल्स रॉयस ने आयकर विभाग के अधिकारियों को रिश्वत देने की कोशिश की, ताकि जांच को रोका जा सके.
- ब्रिटेन की क्राउन कोर्ट के फैसले के मुताबिक, रोल्स रॉयस ने लाइसेंस फीस को 4.5 मिलियन पाउंड से 7.5 मिलियन पाउंड बढ़ाने के लिए भी बिचौलियों को भुगतान किया था.
सीबीआई ने क्या आरोप लगाए?
- सीबीआई ने आरोप लगाया है कि MIG विमान की खरीद के लिए रूस के साथ डिफेंस डील के लिए सुधीर चौधरी से जुड़ी कंपनी पोर्ट्समाउथ के नाम पर रूसी हथियार कंपनियों ने स्विस अकाउंट में 100 मिलियन पाउंड की रकम जमा कराई थी.
- सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, इस रकम में सुधीर चौधरी के परिवार की तीन कंपनियों- बेलिनिया सर्विसेस को 39.2 मिलियन पाउंड, कॉटेज कंसल्टेंट को 32.8 मिलियन पाउंड और कार्टर कंसल्टेंट को 23 मिलियन पाउंड मिले थे. ये लेनदेन अक्टूबर 2007 से अक्टूबर 2008 के बीच हुआ था.
- आरोप है कि सुधीर चौधरी और उनके बेटे भानु चौधरी ने रोल्स रॉयस को हॉक विमान की खरीद का कॉन्ट्रैक्ट दिलवाने के लिए बिचौलिये के तौर पर काम किया. इसके लिए उन्होंने सरकारी अफसरों पर अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल किया था.