
दिल्ली में केंद्र और राज्य सरकार के बीच शक्तियों के बंटवारे का मुद्दा हमेशा टकराव भरा रहा है. ये टकराव सड़क से लेकर संसद और अदालत तक होता है.
ये टकराव दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र में बीजेपी सरकार आने के बाद और बढ़ता ही चला गया.
अब एक बार फिर टकराव का ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे के जाने की वजह केंद्र सरकार का एक अध्यादेश है, जिसे वो मई में लेकर आई थी. ये अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलटने के लिए लाया गया था, जिसमें अदालत ने साफ कर दिया था कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही नियंत्रण है. और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार भी उसी को है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी. इसी फैसले के हफ्तेभर बाद केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई, जिसने अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा आखिरी फैसला लेने का हक फिर से उपराज्यपाल को दे दिया.
केजरीवाल सरकार ने इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर अब अदालत में गुरुवार को सुनवाई होनी है. लेकिन 20 जुलाई को संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें इस अध्यादेश को पेश किया जाना है. दिल्ली पर नियंत्रण को लेकर केंद्र की बीजेपी और राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच मतभेद इतने हैं कि विपक्षी दलों की बैठक में भी अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे को उठा चुके हैं.
दिल्ली में तीस साल पहले ही विधानसभा आई है. उससे तीस साल पहले ये केंद्र शासित प्रदेश हुआ करता था. जबकि, दिल्ली को तो अंग्रेजों के समय ही राजधानी बना दिया गया था. ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली को राज्य बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
क्या है दिल्ली का इतिहास?
- 12 दिसंबर 1931 को अंग्रेजों ने दिल्ली को ब्रिटिश इंडिया की राजधानी बनाया. आजादी के बाद भी दिल्ली को ही राजधानी बनाए रखा.
- जब देश आजाद हुआ तो राज्यों को पार्ट A, पार्ट B, और पार्ट C में बांटा गया. दिल्ली को पार्ट C में रखा गया. पार्ट C में रखने का मतलब था कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश होगा.
- 1951 में यहां पहले विधानसभा चुनाव हुए. चौधरी ब्रह्म प्रकाश पहले मुख्यमंत्री बने. उस समय विधानसभा में 48 सीटें थीं. हालांकि, तीन साल में ही चौधरी ब्रह्म प्रकाश को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया. उनकी जगह गुरमुख निहाल सिंह सीएम बने.
- 1956 में राज्य पुनर्गठन कानून बना. इसके तहत राज्यों का नए सिरे से बंटवारा किया गया. इसके तहत, दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया.
- दस साल बाद दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट 1966 आया. इसके तहत दिल्ली में नगरपालिका का गठन किया गया.
यूटी था, तो राज्य क्यों बना?
- दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश जब बनाया गया तो फिर पूर्ण राज्य की मांग उठने लगी. तमाम राजनीतिक पार्टियों ने इसकी मांग उठाई.
- इसके बाद केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बाल कृष्णा समिति बनाई. इस समिति को दिल्ली के पुनर्गठन पर काम करना था.
- 1989 में बाल कृष्णा समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. समिति ने सिफारिश की कि दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश ही बने रहने देना चाहिए, लेकिन यहां विधानसभा का गठन भी किया जाना चाहिए.
37 साल बाद दिल्ली में आई विधानसभा
- बाल कृष्णा समिति की सिफारिश के आधार पर 1991 में संविधान में 69वां संशोधन किया गया. इससे दिल्ली को 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र' यानी 'नेशनल कैपिटल टेरेटरी' का दर्जा मिला.
- इसके लिए गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरेटरी एक्ट (GNCTD) 1991 बना. इससे दिल्ली में 1993 में फिर विधानसभा का गठन हुआ.
- संविधान में धारा 239AA जोड़ी गई. इस धारा के तहत कैबिनेट का प्रावधान किया गया और गवर्नर को 'लेफ्टिनेंट गवर्नर' का नाम दिया गया. कैबिनेट और एलजी के कामकाज का बंटवारा भी किया गया.
- धारा 239AA में ये भी एक प्रावधान किया गया कि अगर किसी बात पर दिल्ली सरकार और एलजी के बीच विवाद होता है तो राष्ट्रपति का फैसला मान्य होगा.
फिर शुरू हुआ विवाद, तब आया नया कानून
- दोबारा विधानसभा बनने के बाद आगे के सालों में ज्यादा दिक्कतें नहीं हुई. फिर केंद्र और दिल्ली, दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार थी तो भी कोई विवाद नहीं हुआ.
- विवाद असल में तब शुरू हुआ जब दिल्ली की सत्ता में आम आदमी पार्टी आई और केंद्र में बीजेपी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र की बीजेपी सरकार उपराज्यपाल के जरिए काम में दखल डालने का आरोप लगाया.
- 2021 में केंद्र सरकार ने GNCTD बिल पेश किया. केंद्र सरकार ने कहा कि 1991 के कानून में कुछ खामियां थीं, जिन्हें संशोधन के जरिए दूर करने की कोशिश की जा रही है. और इस तरह से GNCTD एक्ट 2021 दोनों सदनों में पास हो गया और कानून बन गया.
- केंद्र सरकार ने पुराने कानून में चार संशोधन किए थे. इसके तहत, इस कानून की धारा 21, 24, 33 और 44 में संशोधन किया गया था. धारा 21 में प्रावधान किया गया कि विधानसभा कोई भी कानून बनाएगी तो उसे सरकार की बजाय 'उपराज्यपाल' माना जाएगा.
- कानून में संशोधन के जरिए दिल्ली के उपराज्यपाल को और ज्यादा शक्तियां दी गईं. प्रावधान किया गया कि कैबिनेट को कोई भी फैसला लागू करने से पहले उपराज्यपाल की राय लेनी होगी. जबकि, पहले दिल्ली सरकार विधानसभा में कानून पास करने के बाद उसे उपराज्यपाल के पास भेजती थी.
- इसके साथ ही, ये भी प्रावधान किया गया कि दिल्ली की कैबिनेट प्रशासनिक मामलों से जुड़े फैसले नहीं ले सकती.
वो जंग, जो खत्म ही नहीं हो रही!
- केंद्र सरकार के इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. इस पर इसी साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार भी उसी का है.
- प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया है कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी.
- इसके जवाब में केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लेकर आई. अध्यादेश के तहत, अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा आखिरी फैसला लेने का हक फिर से उपराज्यपाल को दे दिया गया है.
- इस अध्यादेश को संसद के इसी मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा. हालांकि, इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ के पास भेजने की बात कही है. केजरीवाल सरकार ने इसका विरोध किया है.
आखिर में बात- UT, NCT, NCR क्या है?
- दिल्ली को लेकर अक्सर कन्फ्यूजन रहती है कि ये केंद्र शासित प्रदेश है? एनसीटी है? या फिर एनसीआर है?
- असल में दिल्ली तीनों ही है. धारा 239AA के तहत दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. इसलिए यहां केंद्र और दिल्ली सरकार को मिलकर काम करना होता है.
- चूंकि, दिल्ली देश की राजधानी है, इसलिए फरवरी 1992 में इसे 'नेशनल कैपिटल टेरेटरी' यानी 'एनसीटी' दिया गया.
- वहीं, एनसीआर एक तरह की योजना है जिसे 1985 में लागू किया गया था. इसका मकसद दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों को प्लानिंग के साथ डेवलप करना था. एनसीआर में अभी हरियाणा के 14, उत्तर प्रदेश के 8, राजस्थान के दो और पूरी दिल्ली शामिल है.