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9 थीम सिटी, 27 टाउनशिप, 1 लाख करोड़ का बजट... कैपिटल सिटी के लिए नायडू ने अमरावती को ही क्यों चुना?

आंध्र प्रदेश में फिर एक बार चंद्रबाबू नायडू की सरकार आने के बाद अमरावती को नई राजधानी बनाने की चर्चा तेज हो गई है. नायडू भी साफ कर चुके हैं कि आंध्र की राजधानी सिर्फ अमरावती ही होगी. ऐसे में जानते हैं कि अमरावती को राजधानी के तौर पर किस तरह से तैयार किया जा रहा है और इसमें कितना खर्चा आएगा?

अमरावती को वर्ल्ड क्लास सिटी की तरह तैयार किया जाएगा. अमरावती को वर्ल्ड क्लास सिटी की तरह तैयार किया जाएगा.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने ऐलान किया है कि आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती होगी. उन्होंने ये ऐलान मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से एक दिन पहले किया था. नायडू ने ये भी कहा कि आंध्र प्रदेश की एकमात्र राजधानी अमरावती ही होगी. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने 'थ्री कैपिटल' फॉर्मूला दिया था.

चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि हमारी सिर्फ एक राजधानी अमरावती होगी. विशाखापट्टनम को आर्थिक राजधानी के तौर पर विकसित किया जाएगा.

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नायडू ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों में से एनडीए ने 164 सीटें जीती हैं. जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस 11 सीटों पर सिमट गई है.

टीडीपी के एक बार फिर सत्ता में आने के बाद अमरावती को नई राजधानी बनाने की कवायद तेज हो गई है. नायडू ने अपनी पिछली सरकार में अमरावती को राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था. इस पर काम भी चल रहा था, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में टीडीपी की हार के बाद ये प्लान ठंडे बस्ते में चला गया था. 2019 में जब जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने तीन राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था. रेड्डी ने आंध्र की तीन राजधानी- विशाखापट्टनम, अमरावती और कुर्नूल को बनाने का प्रस्ताव रखा था. इसे लेकर बिल भी लाया गया था. लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है.

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अमरावती ही क्यों?

2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा हुआ और तेलंगाना नया राज्य बना. 10 साल तक हैदराबाद को ही तेलंगाना और आंध्र की राजधानी बनाया गया. 2 जून 2024 को 10 साल पूरे होने के बाद अब हैदराबाद सिर्फ तेलंगाना की ही राजधानी बन गई है.

दस साल पहले जब बंटवारा हुआ था, तब तय हुआ था कि हैदराबाद हमेशा के लिए तेलंगाना की राजधानी रहेगी, जबकि आंध्र को नई राजधानी बनानी होगी.

2014 में सरकार में आने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को राजधानी बना दिया. 22 अक्टूबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरावती में नई राजधानी की बुनियाद भी रख दी थी. इतना ही नहीं, नई राजधानी बनाने के लिए नायडू सरकार ने किसानों से 33 हजार एकड़ जमीन भी अधिग्रहित कर ली थी.

मास्टर प्लान के मुताबिक, अमरावती को आंध्र की नई राजधानी के लिए इसलिए चुना गया था क्योंकि ये राज्य के दो बड़े अर्बन सेंटर विजयवाड़ा और गुंटूर के बीचोबीच स्थित है. आंध्र सरकार अमरावती के आसपास के साढ़े आठ हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे को राजधानी क्षेत्र बनाएगी. इस दायरे में विजयवाड़ा और गुंटूर भी आएंगे.

अमरावती का नाम अमरेश्वर मंदिर के नाम पर पड़ा है, जो भगवान शिव का मंदिर है. माना जाता है कि दूसरी सदी में बनाया गया था. ये कभी सातवाहन और पल्लव राजाओं की राजधानी हुआ करती थी. मौर्य साम्राज्य के सम्राट अशोक के दौर में यहां एक स्तूप और मठ का निर्माण भी किया गया था.

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यह भी पढ़ें: आंध्र प्रदेश से 10 साल बाद क्यों छिनी राजधानी हैदराबाद? जानें- जगन मोहन रेड्डी का 'थ्री कैपिटल फॉर्मूला' कैसे हुआ फेल

कैसी होगी राजधानी अमरावती?

आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (CRDA) की वेबसाइट पर मौजूद अमरावती मास्टर प्लान के मुताबिक, 217 वर्ग किलोमीटर के दायरे में राजधानी को तैयार किया जाएगा. अमरावती को हर व्यक्ति की जरूरत का ख्याल रखते हुए एक वर्ल्ड क्लास सिटी की तरह बनाया जाएगा.

कोर कैपिटल एरिया में सरकारी दफ्तर, सांस्कृतिक संस्थान और पब्लिस स्पेस होंगे. इसे इस तरह से डिजाइन किया जाएगा, ताकि राजधानी के सभी रिहायशी इलाके, कमर्शियल इलाके, शैक्षणिक संस्थान और बिजनेस हब सड़क और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से कनेक्ट रहें.

मास्टर प्लान में अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक अमरावती की आबादी 35 लाख से ज्यादा होगी. अमरावती को राजधानी बनाने से 15 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है.

(फोटो क्रेडिट- APCRDA)

अमरावती में होंगी 9 सिटी

1. गवर्नमेंट सिटीः ये उत्तर-दक्षिण में बसेगी. यहां सरकारी दफ्तर होने के साथ-साथ रिहायशी इलाके भी विकसित किए जाएंगे. ये पूरी सिटी 1,093 हेक्टेयर में फैली होगी.

2. जस्टिस सिटीः गवर्नमेंट सिटी के बगल में ही जस्टिस सिटी को बसाया जाएगा. यहां ज्यूडिशियरी से जुड़े संस्थान होंगे. जस्टिस सिटी 1,339 हेक्टेयर में बनेगी.

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3. फाइनेंस सिटीः इस सिटी को आंध्र की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के मकसद से तैयार किया जाएगा. यहां कमर्शियल और रेसिडेंशियल, दोनों इलाके होंगे. फाइनेंस सिटी 2,091 हेक्टेयर में तैयार होगी.

4. नॉलेज सिटीः जस्टिस और फाइनेंस सिटी के दक्षिण में इसे बसाया जाएगा. यहां यूनिवर्सिटी कैम्पस, कॉलेज और नॉलेज पार्क बनाए जाएंगे. नॉलेज सिटी 3,459 हेक्टेयर में बनेगी.

5. इलेक्ट्रॉनिक सिटीः साउथ इंडिया में आने वाली आईटी और इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिटी बनेगी. इलेक्ट्रॉनिक सिटी 2,663 हेक्टेयर में बनाई जाएगी.

6. हेल्थ सिटीः राजधानी के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके, इसके लिए अलग से हेल्थ सिटी बसाई जाएगी. ये पूरी सिटी 2,647 हेक्टेयर में होगी.

7. स्पोर्ट्स सिटीः रिवरफ्रंट के उत्तर-पश्चिम में स्पोर्ट्स सिटी बनेगी. यहां बड़े-बड़े स्टेडियम और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्पोर्ट्स इवेंट के लिए इवेंट वेन्यू तैयार होंगे. स्पोर्ट्स सिटी 1,679 हेक्टेयर में बनेगी.

8. मीडिया सिटीः अनंतवरम के पास मीडिया और कल्चरल सिटी को तैयार किया जाएगा. अनंतवरम में ऐतिहासिक अनंतवरम वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर है. ये सिटी 2,067 हेक्टेयर में बनाई जाएगी.

9. टूरिज्म सिटीः कृष्णा नदी के किनारे उंदावल्ली गुफाओं के पास टूरिज्म सिटी को तैयार किया जाएगा. ये पूरी सिटी 4,716 हेक्टेयर में होगी.

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(फोटो क्रेडिट- APCRDA)

कितनी लागत में बनेगी राजधानी?

2015 में जब नायडू ने अमरावती को राजधानी बनाने का ऐलान किया था. 2016 में नायडू ने अमरावती में 9 थीम सिटी और 27 टाउनशिप बनाने की घोषणा की थी. 2019 की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, अमरावती को राजधानी बनाने में अगले 20 साल में 1.09 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

अमरावती को राजधानी के रूप में तैयार करने के लिए वर्ल्ड बैंक ने 30 करोड़ और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक ने 20 करोड़ डॉलर देने का वादा किया था. हालांकि, 2019 में टीडीपी के सत्ता से जाने के बाद फंडिंग अधर में लटक गई.

दिसंबर 2019 में दिसंबर 2019 में जगन मोहन रेड्डी नया बिल लेकर आए. इसे 'थ्री कैपिटल बिल' भी कहा जाता है. इसमें प्रावधान था कि आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां बनेंगी. पहली होगी विशाखापट्टनम, जहां से प्रशासनिक काम होगा. दूसरी होगी अमरावती, जहां विधानसभा होगी और तीसरी होगी कुर्नूल जहां हाईकोर्ट होगा. पिछले साल CAG की रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि 10 हजार करोड़ खर्च करने के बावजूद अधिग्रहित जमीन बेकार पड़ी है.

बहरहाल, अब एक बार फिर राज्य में चंद्रबाबू नायडू के मुख्यमंत्री बनने के बाद अमरावती को राजधानी बनाने के काम में तेजी आने की उम्मीद है. केंद्र सरकार में भी टीडीपी होने से काम में तेजी आ सकती है.

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